RTI में पूछा- देवेंद्र फडणवीस ने 2019 में कैसे ली महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ, जानिए गृह मंत्रालय ने क्या कहा
नई दिल्ली। किसी जमाने में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पक्की दोस्त रही शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी। चुनाव नतीजे आने के बाद से शिवसेना और बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर खिंचतान चल रही थी इसी बीच 23 नवंबर की सुबह 8 बजे सबको चौंकाते हुए देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फडणवीस की मख्यमंत्री पद और एनसीपी नेता अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी।
राजनीति में रातों-रात आया था नाटकीय मोड़
महाराष्ट्र में राजनीति में रातों-रात आए इस नाटकीय मोड़ ने पूरे देश को हैरान कर दिया था खि आखिर एक रात में स्थिति इतनी तेजी से कैसे बदल गई। बता दें कि इससे एक रात पहले थे यानी 22 नवंबर को यह लगभग तय हो गया था कि राज्य में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन की सरकार बनेगी। ऐसे में शनिवार की सुबह देवेंद्र फड़नवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सबको हैरान कर दिया।
देवेंद्र फडणवीस के शपथ से हैरान हुआ पूरा देश
इस घटना को आठ महीने पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी यह सवाल बना हुआ है कि आखिर उस रात क्या हुआ कि अगली सुबह देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली। हालांकि इसके तीन दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फडणवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। शपथ से पहले तक बीजेपी के पास बहुमत नहीं था और कोई नहीं जानता था कि उन्होंने कैसे खुद को पहले स्थान पर स्थापित किया।
तख्तापलट को कैसे दिया गया अंजाम
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 22 और 23 नवंबर, 2019 की देर रात किसी रहस्यमय रात से कम नहीं है क्योंकि उन कुछ घंटो में एक राजनीतिक तख्तापलट को अंजाम दिया गया था। इस तख्तापलट में महाराष्ट्र के राज्यपाल, दिल्ली का केंद्रीय मंत्रिमंडल और भारत के राष्ट्रपति भी शामिल थे। इन तीन संवैधानिक रूप से स्वीकृत संस्थाओं के अनुपालन के बिना देवेंद्र फड़नवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की शपथ नहीं ले सकते थे।
इन तीन वजह से आश्चर्यजनक था फडणवीस का शपथ
23 नंबवर की सुबह इतनी आश्चर्यजनक क्यों थी इसके तीन प्रमुख कारण थे। पहला, देवेंद्र फडणवीस की शपथ से कुछ घंटे पहले ही उद्धव ठाकरे का नाम कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना वाली गठबंधन सरकार के सीएम के रूप में घोषित किया गया था। दूसरा, उस समय महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू था। और तीसरा कारण यह कि यह एक फडणवीस की शपथ ग्रहण बहुत जल्दी और राज्यपाल के कार्यालय में हुआ। शपथ ग्रहण पर सवाल इसलिए खड़ा होता है क्योंकि मानदंडों के अनुसार जब एक राष्ट्रपति शासन होता है, तो मुख्यमंत्री के दोबारा नियुक्त होने से पहले कई कदम उठाने होते हैं। हालांकि इनमें से किसी भी कदम का पालन नहीं किया गया।
इंडिया टुडे ने आरटीआई में पूछे ये सवाल
इस मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए इंडिया टुडे ने गृह मंत्रालय से सूचना का अधिकार (आरटीआई) याचिका दायर जवाब मांगा। याचिका में कई सवाल पूछे गए जैसे-
- सरकार बनाने का दावा किसने किया?
- महाराष्ट्र के राज्यपाल ने देवेंद्र फड़नवीस के दावे का सत्यापन कैसे किया?
- राज्यपाल ने केंद्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश कब की?
- राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए कैबिनेट कब बुलाई गई थी?
- मंत्रिमंडल के निर्णय के समय भारत के राष्ट्रपति को क्या संदेश दिया गया था?
गृह मंत्रालय ने RTI का जवाब देने से किया इनकार
लगभग एक महीने बाद RTI के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा, 'मांगी गई जानकारी आरटीआई एक्शन 2005 की धारा 2 (एफ) और धारा 8 (1) (ई) के तहत प्रदान नहीं की जा सकती है।' गृह मंत्रालय से इनकार के बाद इंडिया टुडे ने इस मुद्दे पर कुछ जानकारी प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति सचिवालय के साथ आरटीआई आवेदन दायर किया। रिपोर्ट के मुताबिक सवालों का जवाब देने के बजाय राष्ट्रपति सचिवालय ने वापस आवेदन को गृह मंत्रालय (MHA) को भेज दिया।
यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस: चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- मरीजों को एंबुलेंस में जानवरों की तरह भरा जा रहा