राम मंदिर, कोरोना से लेकर चीन, CAA तक, दशहरे पर मोहन भागवत के संबोधन की 10 बड़ी बातें
राम मंदिर से लेकर चीन, CAA तक, दशहरे पर मोहन भागवत के संबोधन की 10 बड़ी बातें
नागपुर: दशहरे (Dusshera 2020) के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने देशवासियों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दी हैं। इस मौके पर संबोधन की शरुआत मोहन भागवत ने राम मंदिर और सीएए के साथ की। मोहन भागवत ने कहा, 9 नवंबर को श्री राम जन्मभूमि के मामले में अपना असंदिग्ध निर्णय देकर सर्वोच्च न्यायालय ने इतिहास बनाया। भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया। मोहन भागवत ने कहा, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को आधार बनाकर समाज में विद्वेष व हिंसा फैलाने का षडयंत्र चल रहा है।
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Dusshera 2020: मोहन भागवत ने क्या-क्या कहा?
1. सीएए पर बोलते हुए भागवत ने कहा, CAA को आधार बनाकर समाज में विद्वेष व हिंसा फैलाने का षडयंत्र चल रहा है। कुछ विदेशी देश भी यही काम कर रहे हैं। उन देशों में साम्प्रदाय प्रताड़ना का इतिहास है। इस कानून को संसद से पूरी प्रक्रिया से पास किया गया। इस षडयंत्र में शामिल लोग मुसलमान भाइयों के मन में यह बैठाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे अब भारत में नहीं रहेंगे। आपकी संख्या न बढे इसके लिए कानून बनाई गई, यह बात फैलाया गया। भारत के इस नागरिकता कानून में किसी संप्रदाय विशेष का विरोध नहीं है।
2. मोहन भागवत ने कहा, विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत कोरोना संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं। इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है।
3. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, अपने समाज की एकरसता का, सहज करुणा व शील प्रवृत्ति का, संकट में परस्पर सहयोग के संस्कार का, जिन सब बातों को सोशल कैपिटल ऐसा अंग्रेजी में कहा जाता है, उस अपने सांस्कृतिक संचित सत्त्व का सुखद परिचय इस संकट में हम सभी को मिला।
4. चीन पर मोहन भागवत ने कहा, भारत के लोगों का एकजुट होने से चीन को पहली बार हमारी अलग ताकत का अहसास हुआ होगा। उसे अब समझ जाना चाहिए। चीन की तरह का ख्याल जो भी मन में रखते हैं, उनको समझ जाना चाहिए कि हम इतने कच्चे नहीं हैं। ऐसी स्थिति कभी भी आएगी तो हमारी तैयारी, दृढ़ता और सजगता कम नहीं है। भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा।
5. अपराध पर संघ प्रमुख ने कहा, समाज में किसी प्रकार से अपराध की अथवा अत्याचार की कोई घटना हो ही नहीं,अत्याचारी व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर पूर्ण नियंत्रण रहे और फिर भी घटनाएं होतीहैं तो उसमें दोषी व्यक्ति तुरंत पकड़े जाएँ और उनको कड़ी से कड़ी सजाहो,यह शासन प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए।
6. मोहन भागवत ने कहा, हम सभी से मित्रता चाहते हैं।वह हमारा स्वभाव है।परन्तु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले,झुका ले,यह हो नहीं सकता,इतना तो अब तक ऐसा दुःसाहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए। हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है।
विजयादशमी उत्सव https://t.co/BORoDvsQNX
— RSS (@RSSorg) October 25, 2020
7. मोहन भागवत ने कहा, हिन्दुत्व ऐसा शब्द है,जिसके अर्थ को पूजा से जोड़कर संकुचित किया गया है।संघ की भाषा में उस संकुचित अर्थ में उसका प्रयोग नहीं होता।वह शब्द अपने देश की पहचान को,अध्यात्म आधारित उसकी परंपरा के सनातन सातत्य तथा समस्त मूल्य सम्पदा के साथ अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है। संघ मानता है कि हिंदुत्व शब्द भारतवर्ष को अपना मानने वाले,उसकी संस्कृति के वैश्विक व सर्वकालिक मूल्यों को आचरण में उतारना चाहने वाले तथा यशस्वी रूप में ऐसा करके दिखाने वाली उसकी पूर्वज परम्परा का गौरव मनमें रखने वाले सभी 130करोड़ समाज बन्धुओं पर लागू होता है।
8. मोहन भागवत ने कहा, भारत की विविधता के मूल में स्थित शाश्वत एकता को तोड़ने का घृणित प्रयास, हमारे तथाकथित अल्पसंख्यक तथा अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को झूठे सपने तथा कपोलकल्पित द्वेष की बातें बता कर चल रहा है। 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' ऐसी घोषणाएं देने वाले लोग इस षड्यंत्रकारी मंडली में शामिल हैं। राजनीतिक स्वार्थ, कट्टरपन व अलगाव की भावना, भारत के प्रति शत्रुता तथा जागतिक वर्चस्व की महत्वाकांक्षा, इनका एक अजीब सम्मिश्रण भारत की राष्ट्रीय एकात्मता के विरुद्ध काम कर रहा है। भारत की भावनिक एकता व भारत में सभी विविधताओं का स्वीकार व सम्मान की भावना के मूल में हिन्दू संस्कृति, हिन्दू परम्परा व हिन्दू समाज की स्वीकार प्रवृत्ति व सहिष्णुता है।
9. किसान बिल पर बात करते हुए भागवत ने कहा, कृषि नीति का हम निर्धारण करते हैं, तो उस नीति से हमारा किसान अपने बीज स्वयं बनाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। हमारा किसान अपने को आवश्यक खाद, रोगप्रतिकारक दवाइयाँ व कीटनाशक स्वयं बना सके या अपने गांव के आस-पास पा सके यह होना चाहिए। हमारा कृषि का अनुभव गहरा व्यापक व सबसे लम्बा है। इसलिये उसमें से कालसुसंगत, अनुभवसिद्ध, परंपरागत ज्ञान तथा आधुनिक कृषि विज्ञान से देश के लिये उपयुक्त व सुपरीक्षित अंश, हमारे किसान को अवगत कराने वाली नीति हो।
10. Vocal for Local यह स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है।प रन्तु इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूर्ण होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा। इसलिये स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में सबने आत्मसात करनाहोगा,तभी उचित दिशामें चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी। हमारे राष्ट्र के विकास व प्रगति के बारे में हमें अपनी भाव भूमि को आधार बनाकर, अपनी पृष्ठभूमि में, अपने विकास पथ का आलेखन करना पड़ेगा। उस पथ का गंतव्य हमारे राष्ट्रीय संस्कृति व आकांक्षा के अनुरूप ही होगा।
संबोधन से पहले नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में महर्षि व्यास सभागार में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य नेता वार्षिक दशहरा समारोह में हिस्सा लिया। कोविड-19 महामारी की वजह से सभागार के अंदर केवल 50 स्वयंसेवकों को अनुमति दी गई है।
आरएसएस (RSS) ने देशवासियों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दी है। संघ की ओर ट्वीट कर बधाई दी गई है। संघ ने लिखा, समस्त देशवासियों को विजयादशमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
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