अयोध्या विवाद: मध्यस्थता के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर RSS का बड़ा बयान
नई दिल्ली। अयोध्या विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। अयोध्या मामले की मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है। इस पैनल में जस्टिस खलीफुल्ला (रिटायर्ड) के अलावा आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचु भी शामिल हैं। वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आश्चर्यजनक बताया है।
'हिंदुओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मध्यस्थता के फैसले पर कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार कर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्यजनक रुख अपनाया है। संघ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हिंदुओं की गहरी आस्था से जुड़े संवेदनशील अयोध्या मामले को प्राथमिकता नहीं दे रहा है। हिंदुओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्यजनक रुख अपनाया-RSS
संघ ने कहा कि न्याय प्रणाली का पूरा सम्मान करते हुए, हम कहना चाहेंगे कि विवाद पर फैसला जल्द होना चाहिए और मंदिर निर्माण में आने वाली बाधाओं को दूर करना चाहिए। अयोध्या विवाद के अलावा आएसएस ने सबरीमाला मंदिर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय विभिन्न महिलाओं के मतों पर विचार किए बिना लिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ में केरल सरकार हिंदुओं पर ज्यादती कर रही है।
मध्यस्थता के लिए गठित हुआ है तीन सदस्यीय पैनल
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता को लेकर दिए गए फैसले में कहा कि पैनल को चार सप्ताह के भीतर मध्यस्थता प्रक्रिया पर पहली रिपोर्ट अदालत को सौंपनी होगी। मध्यस्थता की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले (अब अयोध्या) में शुरू की जाएगी जहां विवादित स्थल मौजूद है। मध्यस्थता की कार्यवाही पूरी तरह से गोपनीय होगी और इस कार्यवाही के दौरान मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी। इस पैनल को 15 मार्च से 15 मई तक आठ सप्ताह के भीतर मध्यस्थता प्रक्रिया समाप्त करने की उम्मीद है।