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दिल्ली के चुनाव में भाजपा की हार की RSS ने बताई ये वजह

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है, उसके बाद पार्टी की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े होने लगे हैं। आरएसएस ने भी भाजपा की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़ा किया है। संघ की पत्रिका ऑर्गेनाइजर में छपे लेख में दिल्ली के चुनाव में भाजपा की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़ा करते हुए कहा गया है कि दिल्ली एक छोटा सा शहर है, लिहाजा पार्टी को यहां अपना मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रखना चाहिए था। यही नहीं पत्रिका में भाजपा पर स्थानीय मुद्दे नहीं उठाने को लेकर भी निशाना साधा गया है।

सही मुद्दे और चेहरे का अभाव

सही मुद्दे और चेहरे का अभाव

ऑर्गेनाइजर में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में स्थानीय मुद्दों को सही से नहीं उठाया, वहीं विपक्ष के पास ना सिर्फ मजबूत वोट बैंक था बल्कि उन्होंने स्थानीय मुद्दों को भी लोगों के बीच उठाया जिसका उन्हें फायदा मिला। जिस तरह से तमाम सांसद, कैबिनेट मंत्रियों ने दिल्ली चुनाव में पार्टी का प्रचार किया, उसपर पत्रिका का कहना है कि दिल्ली भाजपा की यूनिट केंद्रीय नेताओं के दम पर चुनाव जीतना चाहती थी, जोकि इस चुनाव में उसकी सबसे बड़ी कमी रही। पार्टी को स्थानी मुद्दों के साथ दिल्ली के यूनिट को चुनाव की कमान संभालनी चाहिए थी।

देर से शुरू हुआ प्रचार

देर से शुरू हुआ प्रचार

पत्रिका में इस लेख को रतन शरद ने लिखा है, उन्होंने लिखा है कि भाजपा की चुनाव प्रचार की टाइमिंग सही नहीं थी। पार्टी ने चुनाव से महज कुछ ही दिन पहले चुनाव प्रचार करना शुरू किया, जबकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने बहुत पहले ही अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। भाजपा को दिल्ली के चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक अभियान चलाने की जरूरत थी। लेकिन पार्टी ऐसा नहीं कर सकी। दिल्ली के लोग आम चुनाव और दिल्ली के चुनाव में अलग-अलग मुद्दों पर वोट करते हैं।

लोगों ने आप पर किया भरोसा

लोगों ने आप पर किया भरोसा

2014 के लोकसभा चुनाव में लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को चुना था, जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में लोगों ने आम आदमी पार्टी को पसंद किया था। यही नहीं दूसरे प्रदेश के चुनाव के रुझान पर नजर डालें तो वह भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। सर्वे में पता चलता है कि लोग सीएए का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में लोगों ने आप पर अधिक भरोसा जताया है। भारतीय जनता पार्टी के समर्थक इस बात से सहमत नहीं होंगे, लेकिन हकीकत यही है। जिस तरह से शाहीन बाग के मुद्दे को चुनाव के दौरान उठाया गया, वह पूरी तरह से विफल रहा है।

शाहीन बाग का मुद्दा विफल

शाहीन बाग का मुद्दा विफल

शाहीन बाग के मुद्दे पर ऑर्गेनाइजर में लिखा गया है कि गृहमंत्री ने अपनी अधिकतर रैलियों में शाहीन बाग का मुद्दा उठाया, लेकिन भाजपा के नेताओं को आश्चर्य होगा कि यह मुद्दा पूरी तरह से पार्टी के लिए विफल रहा। चुनाव परिणाम के बाद खुद अमित शाह ने कहा था कि उनका मूल्यांकन गलत निकला। साथ ही लेख में कहा गया है कि भाजपा के नेताओं ने लोगों को उकसाने और माहौल बिगाड़ने वाले बयान दिया, जोकि पार्टी के खिलाफ गया।

सिर्फ 8 सीटों पर मिली जीत

सिर्फ 8 सीटों पर मिली जीत

बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 70 में से सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली, जबकि आम आदमी पार्टी के खाते में 62 सीटें आई। वहीं कांग्रेस एक बार फिर से प्रदेश में अपना खाता तक नहीं खोल पाई। दिल्ली के चुनाव में भाजपा ने कुल 6577 मीटिं की, जिसमे खुद अमित शाह ने 52 रोड शो और पब्लिक मीटिंग की। यही नहीं 30 बार इस तरह के भाषण दिए गए कि ईवीएम का बटन इतनी जोर से दबाओ कि करंट शाहीन बाग तक पहुंचे।

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English summary
RSS questions BJP delhi poll campaign CM face and and right issue was missing.
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