कश्मीर से 370 हटाना सरकार का साहसिक कदम :मोहन भागवत
नई दिल्ली। आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस भी है, इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज स्वयंसेवकों को संबोधित किया, उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव की 550वीं जयंती, गांधी जी की 150वीं जयंती, लोकसभा चुनाव जैसी कई घटनाएं हैं जिनकी वजह यह साल कई सालों तक संस्मरण में रहेगा।
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भागवत ने की मोदी सरकार की तारीफ
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के लिए मोदी सरकार को एक साहसी फैसला लेने वाली सरकार बताया, इस सरकार में जनता ने विश्वास दिखाया है। सरकार ने भी कई कड़े फैसले लेकर बताया कि उसे जनभावना की समझ है, उन्होंने कहा कि नई सरकार को बढ़ी हुई संख्या में फिर से चुनकर लाकर समाज ने उनके पिछले कार्यों की सम्मति व आने वाले समय के लिए बहुत सारी अपेक्षाओं को व्यक्त किया था। जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए, देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है। धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है।
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'कुछ सवालों के जवाब हमें अभी खोजने हैं'
संघ प्रमुख ने कहा कि आज भी मार्ग के रोड़े, बाधाएं और हमें रोकने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के कारनामे अभी समाप्त नहीं हुए हैं। हमारे सामने कुछ संकट हैं जिनका उपाय हमें करना है। कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर हमें देने हैं और कुछ समस्याएं हैं जिनका निदान कर हमें उन्हें सुलझाना है।
भागवत ने सेना की तारीफ की
संघ प्रमुख ने सेना की तारीफ करते हुए कहा कि सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति तथा हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं, हमारी स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छीहै। केवल स्थल सीमा पर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमा पर(द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी ।देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आई है। उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है।
हमारे देश की परंपरा उदारता की: भागवत
हमारे देश की परंपरा उदारता की है, मिलकर रहने की है, इतनी विविधताओं के बावजूद इतने शांति से लोगों के रहने का उदाहरण भारत के अलावा कहीं और देखने को मिलता है क्या, समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए। समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग और कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति हो। यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है।
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