सांसदों को संस्कृत सिखाने के लिए ट्रेनिंग सत्र चाहते हैं आरएसएस नेता, लोकसभा स्पीकर से किया सपंर्क
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित संगठन संस्कृत भारती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर देने के लिए कहा है। सगंठन के नेताओं ने कहा है कि संस्कृत भारत की बेहद पुरानी और देश को एकजुट करने वाली भाषा है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार इसे हर स्तर पर बढ़ावा देने के लिए काम करे। वहीं लोकसभा स्पीकर से एक ट्रेनिंग सेशन करवाने के लिए भी आरएसएस नेताओं ने उनसे संपर्क किया है, जिसमें सांसदों को संस्कृत सिखाई जाए।
संस्कृत भारती ने दिल्ली में डॉ हर्षवर्धन, प्रताप सारंगी, अश्विनी चौबे और श्रीपद येसो नाइक समेत उन 47 नवनियुक्त लोकसभा सांसदों को संस्कृत में शपथ लेने के लिए सम्मानित किया। संस्कृत भारती के राष्ट्रीय महासचिव और आरएसएस के वरिष्ठ नेता दिनेश कामत ने कहा कि देश के सांसदों को संस्कृत से परिचित कराने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के लिए उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से भी संपर्क किया है।
कामत ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जीतकर आने वालों में से 37 सांसदों ने संस्कृत में शपथ ली थी और इस दफा 47 सांसदों ने संस्कृत में शपथ ली है। उन्होंने कहा कि ना सिर्फ सांसदों ने संस्कृत में दिलचस्पी दिखाई है, बल्कि दुनियाभर की 254 यूनिवर्सिटीज में भी इसे पढ़ाया जा रहा है और इस पर शोध किया जा रहा है।
कामत ने कहा कि भीम राव आंबेडकर ने कहा था कि संस्कृत को भारत की राजभाषा बनाया जाना चाहिए। जब उनसे कहा गया कि संस्कृत भाषा को ब्राह्मणों से जोड़कर देखा जाता है तो आंबेडकर ने अपने अनुयाइयों से कहा कि संस्कृत के कवि व्यास, वाल्मीकि और कालिदास ब्राह्मण नहीं थे। संस्कृत मानव का विकास करती है, यह भारत को एकीकृत करती है।
कर्नाटक: हम यह तय नहीं कर सकते कि स्पीकर इस्तीफा स्वीकार करें या नहीं- CJI