RSS नेता रघुनंदन शर्मा ने कृषि मंत्री तोमर को सुनाई खरी-खरी, FB पर लिखी लंबी पोस्ट
नई दिल्ली। केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान बीते महीनों से ज्यादा से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे है। इस आंदोलन को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) नेता रघुनंदन शर्मा ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि सत्ता का अंहकार नरेंद्र सिंह तोमर के सिर चढ़ गया है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा के सांसद रह चुके रघुनंदन शर्मा ने दो दिन पहले अपने फेसबुक पोस्ट में यह भी सुझाव दिया कि तोमर को राष्ट्रवाद मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए।
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शर्मा ने फेसबुक पोस्ट में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा। उन्होंने लिखा कि प्रिय नरेंद्र जी, आप भारत सरकार में सहयोगी एंव सहभागी हैं। आज की राष्ट्रवादी सरकार बनने तक हजारों राष्ट्रवादियों ने अपने जीवन को लगाया है। पिछले 100 सालों से कई जिंदगीयां अपने त्याग, समर्पण और परिश्रम से भारत माता की सेवा में लगी हुई है। उन्होंने आगे लिखा कि आज आपको जो सत्ता का अधिकार मिला है उसे लेकर आपको ये भ्रम हो गया है कि ये आपके परिश्रम का फल है। उन्होंने कहा कि ये आपका भ्रम है कि आप अपनी मेहनत का फल पा रहे हैं।
उन्होंने कहा सत्ता का नशा आपके सिर चढ़कर बोल रहा है। शर्मा ने यह भी कहा कि कैसे हजारों राष्ट्रवादियों ने आज की राष्ट्रवादी सरकार की खातिर अपना जीवन समर्पित कर दिया। आप जनादेश क्यों खो रहे हैं? हम कांग्रेस की सभी सड़ी नीतियों का समर्थन कर रहे हैं, जो हमारे हित में नहीं है। घड़े से पानी की बूंदें जब टपकती हैं तो इससे घड़ा खाली हो जाता है। ऐसा ही जनादेश के साथ भी होता है। राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए काम करें, वरना हमें पछतावा होगा।'
रघुनंदन शर्मा ने तोमर को लेकर खत में लिखी ये बातें
प्रिय नरेंद्र जी, आप भारत शासन में सहयोगी एवम सहभागी हैं l आज की राष्ट्रवादी सरकार बनने तक हज़ारों राष्ट्रवादियों ने अपने जीवन और यौवन को खपाया है l पिछ्ले 100 वर्षों से जवानीयाँ अपने त्याग समर्पण और परिश्रम से मातृभूमि की सेवा तथा राष्ट्रहित सर्वोपरि की विचार धारा के विस्तार में लगी हुई है l आज आपको जो सत्ता के अधिकार प्राप्त हैं, वे आपके परिश्रम का फल है, यह भ्रम हो गया है l सत्ता का मद जब चढ़ता है तो नदी, पहाड़ या वृक्ष की तरह दिखाई नहीं देता, वह अदृश्य होता है जैसा अभी आपके सिर पर चढ़ गया है l प्राप्त दुर्लभ जनमत को क्यों खो रहे हो? कांग्रेस की सभी सड़ी गली नीतियाँ हम ही लागू करें यह विचार धारा के हित में नहीं है l बूंद बूंद से घड़ा खाली होता है, जनमत के साथ भी यही है l आपकी सोच कृषकों के हित की हो सकती है परंतु कोई स्वयम का भला नहीं होने देना चाहता तो बलात् भलाई का क्या ओचित्य है l कोइ नंगा, नंगा ही रहना चाहता तो बल पूर्वक कपड़े क्यों पहनाना? आप राष्ट्रवाद को बल शाली बनाने में संवैधानिक शक्ति लगाओ, कहीं हमें बाद में पछताना ना पड़े l सोचता हूं विचार धारा के भविष्य को सुरक्षित रखने का संकेत समझ गए होगें l
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