RSS की ख्वाहिश चीन के खिलाफ पीएम मोदी और उनकी सरकार हों और आक्रामक
कोयंबटूर में हुई राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस ) के वार्षिक अधिवेशन में की गई घोषणा, भारत को चीन के खिलाफ बनानी चाहिए और भी आक्रामक नीति जिसमें आर्थिक और राजनयिक रिश्तें भी हों शामिल।
नई दिल्ली। भारत और चीन के रिश्ते इन दिनों हर जगह चर्चा का विषय बने हुए हैं और इन रिश्तों के बीच ही राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस ) ने एक बड़ा ऐलान किया है। आरएसएस का मानना है कि भारत को चीन के खिलाफ अपनी नीति को और आक्रामक बनाना होगा जिसमें आर्थिक से लेकर राजनयिक पहलू तक शामिल हों। मार्च माह में कोयंबटूर में आरएसएस के वार्षिक अधिवेशन में यह बात कही गई है।
भारत के दोस्ताना रवैये को तरजीह नहीं देता चीन
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक आरएसएस इस बात से खुश नहीं है कि चीन, भारत के उस कदम में अड़ंगा लगा रहा है जिसके तहत यूनाइटेड नेशंस से जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर मौलाना मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने की मांग की गई है। इसके अलावा भारत की न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में एंट्री को लेकर भी चीन की ओर से रोड़े अटकाए जा रहे हैं, इसकी वजह से भी आरएसएस काफी नाखुश है। वहीं चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की वजह से भी आरएसएस काफी दुखी है। सूत्रों की मानें तो आरएसएस के मुखिया चाहते हैं बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को चीन के खिलाफ अपना रवैया आक्रामक करने की जरूरत है। आरएसएस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के हवाले से लिखा गया है कि चीन पिछले कई वर्षों से भारत के दोस्ताना रुख को नजरअंदाज करता आ रहा है। हाल ही में जब चीन की ओर से दलाई लामा के अरुणाचल दौरे को लेकर चेतावनी दी गई तो उससे साफ हो गया कि चीन कैसे भारत के साथ तानाशाही वाला लेकर चलना चाहता है। ऐसे में अब जरूरत है कि भारत चीनी को लेकर बनाई गई अपनी नीति को फिर से बदले।
बदली जाए चीन पर विदेश नीति
आरएसएस चाहता है कि सरकार के लिए चीन उसकी विदेश नीति का एक अहम अंग हो खासतौर पर तब जब चीन ने अभी तक अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपना रवैया नहीं बदला है। साथ ही भारत के विरोध के बाद भी वह सीपीईसी पर आगे बढ़ना जारी रखे है। वर्ष 2014 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आए थे तो दोनों ही देश इस बात पर रजामंद हुए थे कि 12 क्षेत्रों में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। इसमें चीन की ओर अगले पांच वर्षों के दौरान 20 बिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करना भी शामिल था। लेकिन आरएसएस इस बात से नाखुश है कि भारत, चीन के साथ 'एकतरफा' आर्थिक संबंध जारी रखे हुए है।