भारत एक हिंदू राष्ट्र, हम हर किसी को हिंदू मानते हैं: मोहन भागवत
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नई दिल्ली। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस की विचारधारा को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि संघ किसी एक विशेष विचारधारा या किसी एक विचारक की नहीं है, ना ही संघ किसी विशेष वाद या सिद्धांत पर भरोसा करता है। भागवत ने कहा कि आरएसएस को किसी एक वर्ग या किताब में सीमित नहीं किया जा सकता है। संघ को कुछ लोगों के विचारों में नहीं बांधा जा सकता है, ना ही यह एमएस गोवलकर के कुछ भाषणों का संकलन है।
संघ की विचारधारा जैसा कोई शब्द नहीं
भागवत ने कहा कि आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार ने कहा था कि हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है, हमने इसे अपने जीवन के इस सच को स्वीकार किया है। हम इसे बदल नहीं सकते हैं। यह एक हिंदू राष्ट्र है, जबतक कि हर व्यक्ति खुद को हिंदू नहीं कहता है। एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव सुनील अंबेकर की किताब The RSS: Roadmaps for the 21st Century के लॉन्च के मौके पर भागवत ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा जैसा कुछ भी नहीं है, किसी विचारधार के लिए संघ की जरूरत नहीं है।
संघ को किसी विचार में नहीं बांधा जा सकता है
भागवत ने कहा कि संघ को किसी किताब में संकलित नहीं किया जा सकता है और ना ही कुछ विचारों में इसे बांधा जा सकता है। संघ परिवार या संघ की विचारधारा जैसे शब्द का इस्तेमाल गलत है। यह सभी शब्द अधूरे हैं। हेडगेवार ने कभी भी यह नहीं कहा कि वह संघ को समझते हैं। गुरुजी ने कहा था कि काफी लंबे समय तक सरसंघचालक बनने के बाद उन्होंने संघ को समझना शुरू किया था। भागवत ने कहा कि कुछ लोग अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुद को संघ विचारक के रूप में पेश करते हैं, लेकिन कोई भी संघ विचारक नहीं है। उन्होंने कहा कि हनुमान, मराठा राजा शिवाजी और हेडगेवार हमारे प्रेरणास्त्रोत हैं।
भारत एक हिंदू राष्ट्र
किताब के बारे में बोलते हुए भागवत ने कहा कि भारत कए हिंदू राष्ट्र है और इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। संघ उन लोगों को भी हिंदू मानता है जो लोग खुद को हिंदू नहीं मानते लेकिन भारतीय मानते हैं और भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं। होमोसेक्युएलिटी और ट्रांसजेंडर विषय पर भागवत ने कहा कि इन लोगों की समाज में जगह है। महाभारत में भी जरासंध था, जिसने युद्ध लड़ा। हमने भी इस बारे में बोला है। यह कोई बड़ी समस्या नहीं है, हम इसका समाधान ढूंढ़ सकते हैं।