दो बच्चों को लेकर दिए बयान पर मोहन भागवत ने अब कही ये बात
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जिस तरह से हाल ही में दो बच्चों के कानून का बयान दिया था, उसके बाद उनके बयान पर काफी विवाद खड़ा हो गया था। लेकिन विवाद के बाद मोहन भागवत ने अपने बयान पर सफाई दी है। भागवत ने कहा कि यह प्रकाशित किया गया कि मैंने कहा है हर किसी को दो बच्चे पैदा करना चाहिए, लेकिन मैंने इस तरह की कोई बात नहीं कही है। मैंने कहा कि जनसंख्या और संसाधन एक बड़ी समस्या है, लिहाजा इसको लेकर एक नीति बननी चाहिए। इसको लेकर जो नीति बनेगी वह इस बात का निर्धारण करेगी कि किसी को कितने बच्चे पैदा करने चाहिए।
बयान पर दी सफाई
दरअसल मोहन भागवत का बयान सामने आया था कि दो बच्चे होने चाहिए, ऐसा संघ का मत है पर फैसला सरकार को देना है। जिसके बाद भागवत ने अपने अपने बयान पर सफाई दी है। इसके साथ ही भागवत ने कहा कि संविधान कहता है कि हमे भावनात्मक एकीकरण की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन भावना क्या होती है। यह भावना है कि यह देश हमारा है, हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमे यहां विविधता के बावजूद एक साथ मिलकर रहना है, इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं।
130 करोड़ भारतीय हिंदू
मोहन भागवत ने कहा कि जब आरएसएस कार्यकर्ता कहता है कि यह देश हिंदुओं का है तो उसका कहने का मतलब है कि इस देश में रहने वाले 130 करोड़ लोगों का है, सभी 130 करोड़ लोग हिंदू हैं। इसका कतई मतलब यह नहीं है कि हम किसी हम किसी का धर्म, भाषा, जाति आदि बदलना चाहते हैं। हम संविधान के अलावा किसी भी सत्ता के केंद्र पर भरोसा नहीं करते हैं। इससे पहले भागवत ने कहा था किसंघ भारत की सभी 130 करोड़ की जनता को हिंदू समाज मानता है चाहे वे किसी भी धर्म और संस्कृति के हों। किसी भी धर्म और संस्कृति के लोग जिनके भीतर राष्ट्रवादी भावना है, जो भारत की संस्कृति और इसकी विरासत का सम्मान करते हैं, वे सभी हिंदू हैं।
मंदिर निर्माण पर किया रुख साफ
गौरतलब है कि भागवत ने अपने भाषण में ब्रिटिश राज और उनके फूट डालो और राज करो की नीति की भी याद दिलाया था। इसके साथ ही संघ प्रमुख ने रवीन्द्र नाथ टैगोर की बात भी दोहराई जिन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच एकता पर जोर दिया था। उन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि संघ की भूमिका इस प्रकरण में सिर्फ ट्रस्ट निर्माण होने तक है। इसके बाद संघ खुद को इससे अलग कर लेगा। उन्होंने कहा कि काशी-मथुरा संघ के एजेंडे में न तो कभी थे और न ही कभी होंगे।