सेना के लिए 7800 करोड़ की लागत वाले कम्युनिकेशन सिस्टम को आखिरकार मिली मंजूरी
नई दिल्ली। सुरक्षा मामलों पर बनी कैबिनेट कमेटी यानी सीसीएस की तरफ से 7800 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। इस लागत के साथ सरकार ने सेना के लिए एक सुरक्षित कम्यूनिकेशन सिस्टम को तैयार करने की सहमति दे दी है। सरकार की तरफ से इस फैसले को एक अहम कदम करार दिया जा रहा है। सरकार के इस फैसले के बाद चीन से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) समेत सभी फॉरवर्ड इलाकों पर बेहतर नेटवर्क तैयार हो सकेगा। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक एलएसी पर चीन के साथ जारी तनपाव के बीच इस फैसले से सेना की तैयारियों में कई गुना इजाफा हो सकेगा।
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गुरुवार को ASCON प्रोजेक्ट लॉन्च
सीसीएस की तरफ से सेना के लिए जरूरी आर्मी स्टैटिक स्विच्ड कम्यूनिकेशन नेटवर्क (एस्कॉन) को आखिरकार पूरा किया जा सकेगा। यह प्रस्ताव पिछले कई वर्षों से अपने चौथे चरण में अटका हुआ है। इसके तहत भारतीय टेलीफोन इंडस्ट्रीज की तरफ से प्रोजेक्ट को लॉन्च किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत पब्लिक सेक्टर की एक फर्म ने संचार मंत्रालय के तहत आने वाले टेलीकम्युनिकेशन विभाग के साथ मिलकर गुरुवार को कॉन्ट्रैक्ट को साइन किया है। कम्युनिकेशन नेटवर्क को आने वाले तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा। इससे अलग मंत्रालय की तरफ से 409 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट पहली बार किसी निजी कंपनी को सौंपा गया है। इस कॉन्ट्रैक्ट के साथ ही सेना को लाखों हैंड ग्रेनेड मिलेंगे। इन हैंड ग्रेनेड के बाद सेना इस समय द्वितीय विश्व युद्ध के बने ग्रेनेड का प्रयोग कर रही है, उसकी जगह उसे आधुनिक ग्रेनेड मिल सकेंगे। अधिकारियों की मानें तो इससे मेक इन इंडिया की पहल को आगे बढ़ाया जाएगा।
हर स्थिति में कनेक्टिविटी होगी बेहतर
सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट के बाद हर प्रकार की स्थिति में कनेक्टिविटी बेहतर हो सकेगी। साथ ही इंटरनेशनल बॉर्डर (आईबी), लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) और एलएसी के करीब भी अच्छी कवरेज मिल सकेगी। सेना पिछले कई वर्षों से सूनसान इलाकों में कनेक्टिविटी को बेहतर करने की मांग कर रही थी। रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक प्रोजेक्ट से संवेदनशील इलाकों में सेना का कम्युनिकेशन नेटवर्क बेहतर हो सकेगा और इससे तैयारियों पर भी बेहतर असर पड़ेगा। रक्षा विशेषज्ञों की तरफ से सरकार के इस फैसले का स्वागत किया गया है। एस्कॉन का फेज IV प्रोजेक्ट स्थानीय इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने वाला है क्योंकि इसमें 80 प्रतिशत तक तत्व स्वदेशी हैं। सेना की तरफ से कहा गया है कि प्रोजेक्ट में कई प्रकार की गतिविधियां जैसे ऑप्टिलक फाइबर केबल को बिछाना और टॉवर का निर्माण की वजह से बॉर्डर के निर्जन इलाकों में बसे लोगों को रोजगार देने का काम करेगा।