क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

रोज 24km साइकिल चलाकर स्कूल जाने वाली रोशनी बनना चाहती है IAS, 10वीं में मिले 98.75% अंक

Google Oneindia News

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के चलते छात्रों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, तीन महीने से भी अधिक समय से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। हालांकि इस बीच कई राज्यों के रिजल्ट भी घोषित किए जा रहे हैं, शनिवार को मध्य प्रदेश बोर्ड के दसवीं के परीक्षा परिणामों की घोषणा की गई। इन परीक्षाओं में 15 वर्षीय 10वीं की छात्रा रोशनी भदौरिया ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 98.75 प्रतिशत अंक हासिल किए। अपनी मेहनत और लगन से अपने गांव का नाम रोशन करने वाली रोशनी भदौरिया के संघर्ष की कहानी हर छात्र के लिए प्रेरणा बन सकती है।

दूसरे छात्रों के लिए प्रेरणा बनी रोशनी

दूसरे छात्रों के लिए प्रेरणा बनी रोशनी

रोशनी भदौरिया को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है, उन्हें स्कूल में पढ़ने के लिए 24 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। रोशनी के गांव में कोई बस या वाहन की सुविधा ना होने के कारण उन्हें साइकिल से ये दूरी तय करनी पड़ती है। भिंड के अजनौल गांव की रहने वाली रोशनी बताती हैं कि उन्हें हर रोज 24 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल पढ़ने जाना पड़ता था। उन्होंने कहा, 'मुझे सरकार ने साइकिल दी थी जिसका मैंने अच्छे से इस्तेमाल किया।'

10वीं कक्षा में 98.5% अंक हासिल किए

रोशनी ने कहा, 'मैं हर दिन चार से साढ़े चार घंटे पढ़ा करती थी। मैं आगे चलकर IAS की तैयारी करना चाहती हूं।' बता दें कि अजनौल गांव की रोशनी भदौरिया ने 10वीं कक्षा में 98.5% अंक लाकर मध्य प्रदेश में 8वीं रैंक हासिल की है। रोशनी के पिता पुरुषोत्तम भदौरिया का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। उन्होंने कहा, अब स्कूल आने-जाने के लिए उसके लिए साइकिल के बजाय परिवहन की कोई अन्य सुविधा उपलब्ध कराऊंगा।

12 किलोमीटर रोज साइकिल से आना-जाना

12 किलोमीटर रोज साइकिल से आना-जाना

रोशनी के पिता ने आगे कहा कि आठवीं कक्षा तक उनकी बेटी दूसरे स्कूल में पढ़ती थी वहां से आने जाने के लिए बस की सुविधा थी लेकिन नौवीं में स्कूल बदलने के बाद से वह साइकिल से जाने लगी। बता दें कि रोशनी मेहगांव स्थित शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ती हैं जो उनके घर से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। इस स्कूल में आने-जाने के लिए टैक्सी जैसी अन्य सुविधाएं भी नहीं थीं इसलिए रोशनी कई दिनों तक साइकिल से स्कूल गई।

आईएएस बनना चाहती है रोशनी

पुरुषोत्तम भदौरिया ने बताया कि उनकी बेटी ने गांव का नाम रोशन किया है और उसकी उपलब्धि से अजनोल गांव के सभी लोग खुश हैं। बता दें कि रोशनी के दो भाई भी हैं और उसके पिता किसान हैं। रोशनी ने बताया कि साइकिल से स्कूल जाना कठिन है, वह लगभग 2 महीने तक रोज साइकिल चलाकर स्कूल जाया करती थी। रोशनी ने कहा, स्कूल से आने के बाद मैं सात-आठ घंटे पढ़ाई करती थी। मैं सिविल सर्विस की परीक्षाएं पास कर आईएएस अधिकारी बनना चाहती हूं। रोशनी कि इस उपलब्धि पर मेहगांव शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य हरीशचंद्र शर्मा ने भी उसकी सराहना की है।

यह भी पढ़ें: कोरोना का बढ़ा प्रकोप, कटक में और अरुणाचल प्रदेश के कैपिटल कॉम्प्लेक्‍स में लागू किया गया लॉकडाउन

Comments
English summary
Roshni Bhadauria wants to become IAS get more than 98 percent number in Madhya Pradesh 10th Board
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X