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लोकसभा चुनाव 2019: यूपी में ये छोटे दल बिगाड़ सकते हैं बड़ी पार्टियों का 'खेल'

By विनोद कुमार शुक्ला
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के लिहाज से उत्तर प्रदेश काफी अहम रहा है और आगामी चुनाव में भी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों के बीच जोरदार मुकाबला देखने को मिल सकता है। सपा, बसपा के गठबंधन की खबरों के बीच बीजेपी और कांग्रेस भी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं, जबकि इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के छोटे दलों को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। बीजेपी एक तरफ दावा कर रही है कि वो पिछले चुनाव के प्रदर्शन को दोहराएगी जकि बसपा-सपा यूपी में रालोद के साथ मिलकर बीजेपी को झटका देने की कोशिश में हैं।

लोकसभा चुनावों में छोटे दल निभाएंगे बड़ी भूमिका

लोकसभा चुनावों में छोटे दल निभाएंगे बड़ी भूमिका

आगामी लोकसभा चुनावों में छोटे दल भी बड़ी पार्टियों का खेल बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। पीस पार्टी, ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल, कौमी एकता दल, AIMIM और रालोद के अलावा कई नए दल इस चुनाव में उतर रहे हैं। समाजवादी पार्टी से अलग होने वाले शिवपाल यादव के अलावा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भी लोकसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं।

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अपना दल-निषाद पार्टी और सुभासपा पर नजरें

अपना दल-निषाद पार्टी और सुभासपा पर नजरें

दलित नेता के रूप में उभरकर आए चंद्रशेखर आजाद भी कुछ इलाकों में प्रभावी साबित हो सकते हैं। जबकि निषाद पार्टी जातीय समीकरणों को देखते हुए अहम भूमिका निभा सकती है। प्रवीण कुमार निषाद सपा के टिकट पर गोरखपुर से सांसद हैं। निषाद समाज यूपी के कुछ इलाकों में खासा प्रभावी है। वहीं, अपना दल और भासपा ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है। पटेल और राजभर के अलावा निषाद समाज बीजेपी से छिटक सकता है। जबकि राजा भैया के मैदान में आने से राजपुत वोट बैंक पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।

शिवपाल और राजा भैया की पार्टी भी मैदान में

शिवपाल और राजा भैया की पार्टी भी मैदान में

जबकि पीस पार्टी, उलेमा काउंसिल और कौमी एकता दल समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सूबे के मुस्लिम बड़ी संख्या में बसपा और कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करते रहे हैं। हवा का रूख देखकर अंत समय ये पक्ष चुनते हैं। शिवपाल यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। जबकि चंद्रशेखर आजाद का कोई भी कदम पर बसपा के नजरिए से काफी अहम होगा।

बड़े दलों का बिगड़ सकता है खेल

बड़े दलों का बिगड़ सकता है खेल

भासपा एक तरफ बीजेपी से नाराज है और ओम प्रकाश राजभर ने पार्टी को डेडलाइन दी है कि उनकी मांगों को पूरा करें, तो दूसरी तरफ माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल के साथ गठबंधन की अटकलें बीजेपी की परेशानियों को बढ़ाने का काम कर रही हैं। इत्तेहाद मिल्लत भी पूर्वांचल के इस इलाके में प्रभावी है। इसलिए यूपी में लोकसभा की चुनावी जंग काफी रोचक होने के आसार हैं।

Comments
English summary
Role of about a dozen smaller parties very crucial in Uttar Pradesh for LS polls
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