भारत से 1300 रोहिंग्या मुसलमानों को भेजा गया बांग्लादेश, यूएन ने की आलोचना
नई दिल्ली। इस वर्ष की शुरुआत में करीब 1300 रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से बांग्लादेश भेजा गया है। एक अधिकारी की ओर से बुधवार को इस बात की जानकारी दी गई है। भारत में रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में सेना की ज्यादती के चलते भारत आकर बसे हैं। भारत के इस कदम की अब यूनाइटेड नेशंस और कई मानवाधिकारी संगठन आलोचना कर रहे हैं। इनका कहना है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन नहीं किया है। यूएन और दूसरे संगठनों ने भारत पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि म्यांमार में संभावित खतरे के बीच रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना कानून तोड़ने के जैसा है।
40,000 रोहिंग्या देश के अलग-अलग हिस्सों में
भारत ने यूएन रिफ्यूजी कनवेंशन को साइन किया है। साल 2018 में भारत में 230 रोहिंग्या मुसलमानों की गिरफ्तारी हुई थी। इंटर सेक्टर कोआर्डिनेशन ग्रुप (आईएससीजी) की प्रवक्ता नयना बोस ने बताया है कि तीन जनवरी से रोहिंग्या मुसलमानों का बांग्लादेश पहुंचना तेज हो गया है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक इस वर्ष अब तक 300 परिवारों के करीब 1300 लोगों को भारत की ओर से बांग्लोदश भेजा जा चुका है। आईएससीजी में यूएन की कई एजेंसियां और कुछ और विदेशी मानवीय संगठन शामिल हैं। बताया जा रहा है कि सीमा पार करके बांग्लादेश आए लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और कॉक्स बाजार भेज दिया है। कॉक्स बाजार बांग्लादेश के दक्षिण का एक जिला है जहां दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है।
गौरतलब है कि भारत में गैरकानूनी रूप से दाखिल होने के आरोप में 2012 से जेल में बंद सात रोहिंग्या मुसलमानों को पुलिस ने असम-म्यांमार बॉर्डर पर भेज दिया है। म्यांमार सेना के अभियान से बचने के लिए करीब सात लाख रोहिंग्या बांग्लादेश भाग गए हैं। वहीं करीब 40,000 रोहिंग्या शरणार्थियों ने भारत के अलग-अलग हिस्सों में शरण ली है। 15,000 से भी कम शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त में रजिस्टर्ड हैं।