राज्यसभा में JDU बनाम RJD: हरिवंश के सामने मनोज झा हो सकते हैं उपसभापति पद के उम्मीदवार
14 सितंबर को होने वाले राज्यसभा के उपसभापति चुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच हलचल तेज हो गई है...
नई दिल्ली। 14 सितंबर को होने वाले राज्यसभा के उपसभापति चुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच हलचल तेज हो गई है। उपसभापति पद पर जेडीयू सांसद हरिवंश का कार्यकाल खत्म होने के बाद एनडीए ने एक बार फिर से उन्हें प्रत्याशी बनाया है। हरिवंश ने बीते बुधवार को ही उपसभापति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। वहीं, विपक्षी दलों ने भी इस चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। सूत्रों की मानें आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा को विपक्ष की तरफ से उपसभापति पद का संयुक्त उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
शुक्रवार को विपक्षी दलों की बैठक में हो सकता है फैसला
माना जा रहा है कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले शुक्रवार को विपक्षी दल एक बैठक बुलाएंगे, जिसमें उपसभापति पद के लिए उम्मीदवार पर सहमति बन सकती है। इससे पहले हाल ही में बुलाई गई कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में भी पार्टी ने फैसला लिया था कि उपसभापति पद के लिए वो एनडीए के उम्मीदवार को निर्विरोध नहीं चुनने देगी। इसके बाद से ही विपक्षी दलों के बीच उपसभापति चुनाव के लिए हलचल बढ़ गई है।
नीतीश ने मांगा बीजेडी से समर्थन
राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए 14 सितंबर को चुनाव होगा, जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है। वहीं, गुरुवार को बिहार के सीएम और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक को फोन किया। बीजेडी कार्यालय से इस बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि नीतीश कुमार ने उपसभापति पद पर हरिवंश के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से समर्थन मांगा है।
बिहार विधानसभा चुनाव पर निगाहें
सूत्रों के मुताबिक, उपसभापति पद के उम्मीदवार के तौर पर डीएमके सांसद तिरुचि शिवा के नाम पर भी चर्चा हुई, लेकिन विपक्ष के कुछ नेताओं का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार के किसी नेता को ही मैदान में उतारा जाए। इसके बाद मनोज झा के नाम पर चर्चा हुई और कांग्रेस के नेताओं ने आरजेडी से संपर्क साधा। दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे मनोज झा को 2018 में राज्यसभा सांसद के तौर पर चुना गया था।
तटस्थ दलों को साथ लेने की कोशिश
विपक्षी दल इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में संख्याबल उनके पक्ष में नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वो तटस्थ दलों जैसे बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। राज्यसभा में भाजपा के 87 सांसद हैं और एनडीए के कुल मिलाकर 100 से ज्यादा सांसदों के साथ पार्टी को भरोसा है कि वो उपसभापति पद पर जीत हासिल कर लेगी।
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