नीतीश और PM मोदी के अलावा तेजस्वी यादव के सामने होंगी ये 5 बड़ी चुनौतियां
नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। इस बार तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे। 28 अक्टूबर को पहले चरण की वोटिंग होगी, 10 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। इस बार चुनाव में जहां एक ओर नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वहीं दूसरी ओर इस बार का चुनाव राजद नेता तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा। तेजस्वी के लिए सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी के अलावा कई अहम चुनौतियां हैं जो उनके सामने चुनाव के दौरान परेशानियां खड़ी कर सकती हैं। आईए हम आपको बताते हैं कि वे क्या चुनौतियां हैं जो तेजस्वी की राह की सबसे बड़ी बाधा हैं।
लालू यादव की गैरमौजूदगी
लालू यादव चारा घोटाले की सजा रांची जेल में काट रहे हैं। 1980 के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा जब राष्ट्रीय जनता दल लालू प्रसाद यादव के बिना चुनावी मैदान में उतरेगी। लोकसभा चुनाव 2019 की तरह ये विधान सभा चुनाव भी बगैर लालू के लड़ा जाएगा। बिहार की राजनीति में सबसे बड़े नेता माने जाने वाले लालू यादव की गैरमौजूदगी राजद को परेशानी में डाल सकती है। दरअसल ग्रामीण अंचल में लालू यादव का काफी प्रभाव माना जाता है। 2015 में लालू यादव ने कुल 252 चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। उनकी भाषा शैली और अंदाज मतदाताओं को सीधा उनसे जोड़ता है। जो इस बार राजद के चुनावी कैंपेन में नदारद रहने वाला है। इस बार पूरे कैंपेन का दारोमदार तेजस्वी के कंधों पर होगा।
पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का इस्तीफा देना
इस बार के चुनाव में राजद के लिए एक बड़ी चुनौती उनके वरिष्ठ नेताओं का ना होना भी है। हाल ही में राजद का मुख्य स्तंभ माने जाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उनका इस्तीफे के बाद निधन हो गया। इसके अलावा सतीश गुप्ता भी पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। एक तरफ पार्टी जहां लालू यादव की कमी झेल रही है, ऐसे में सीनियर नेताओं का साथ ना होना पार्टी को दिशाहीन कर सकता है। वहीं आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लेकर तेज प्रताप यादव का एक लोटा पानी वाले बयान को भी एनडीए खेमा जोर शोर से प्रचारित कर रहा है। जो आरजेडी के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है।
पारिवारिक कलह
लालू यादव के परिवार में घरेलू कलह कोई नई बात नहीं है। कई मौकों पर परिवार की लड़ाई खुलकर सामने आ चुकी है। चाहें वो तेज प्रताप यादव या तेजस्वी यादव के बीच की हो या फिर तेजप्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के बीच का झगड़ा हो। 2019 के लोकसभा चुनावों में तेजस्वी यादव द्वारा तेज प्रताप यादव के मन मुताबिक कई उम्मीदवारों को टिकट ना दिए जाने के बाद विवाद देखने को मिला था। यहां तक कि तेजप्रताप ने अलग मोर्चे का भी ऐलान कर दिया था। वहीं दूसरी ओर तेज प्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय की बीच चल रहे झगड़े के कारण पार्टी के पुराने नेता और ससुर चंद्रिका राय ने पार्टी का साथ छोड़ जेडीयू का दामन थाम लिया है। चंद्रिका राय के जेडीयू में जाने का भी खामियाजा राजद को छपरा और आसपास की विधानसभाओं में उठाना पड़ सकता है।
महागठबंधन में खींचतान
राजद बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव महागठबंधन के साथ मिलकर लड़ना चाह रही है। लेकिन चुनावों से पहले ही महागठबंधन में दरार देखने को मिल रही है। जीतनराम मांझी पहले ही महागठबंधन का साथ छोड़ एनडीए में शामिल हो गए हैं, वहीं रालोसपा उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन से अलग होने के संकेत दे दिए हैं। महागठबंधन में कई दल तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर सहज नहीं हैं। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी खींचतान चल रही है। तेजस्वी के लिए सबसे बड़ी समस्या सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा है।
वर्चुअल चुनाव प्रचार
कोरोना वायरस के चलते इस बार बिहार के चुनावों में अलग तरह का प्रचार देखने को मिलेगा। चुनाव आय़ोग ने वर्चुअल रैली की इजाजत दी है। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू अपनी वर्चुअल रैली की शुरुआत काफी पहले से कर चुकी है। इस मामले में आरजेडी और अन्य पार्टियां काफी पीछे हैं। तीन महीने पहले बीजेपी की तरफ से अमित शाह ने बिहार की वर्चुअल रैली को संबोधित करने की शुरुआत की थी। पीएम नरेंद्र मोदी भी उनका साथ दे रहे हैं। अब तक कई शिलान्यास, उद्घाटन कार्यक्रम के बहाने पीएम मोदी आधा दर्जन सभाओं को वर्चुअली संबोधित कर चुके हैं। बीजेपी और जेडीयू का चुनाव प्रचार आक्रामक रुख अपनाए हुए है। ऐसे में तेजस्वी यादव चुनावी प्रचार में मात खा सकते हैं।
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