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अगर ऐसा ही रहा तो सिब्बल और अय्यर 2019 में भी कांग्रेस को ले डूबेंगे

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नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने एक और राज्य अपने हाथों से गवां दिया है। गुजरात तो हारे ही साथ में हिमाचल प्रदेश भी हाथ से चला गया। जब से बीजेपी सत्ता में आई हैं, तब से कांग्रेस को महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, असम और मणिपुर में सत्ता गंवानी पड़ी है। कांग्रेस को पिछले तीन सालों में अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ तो वो महाराष्ट्र है, जहां वे 15 साल से राज कर रहे थे। फिलहाल, सोमवार के नतीजों से कांग्रेस को सबक सिखाया है कि अपनी हार का आत्ममंथन करने के साथ-साथ कपिल सिब्बल और मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं पर भी आत्मचिंतन कर लेना चाहिए।

अय्यर-सिब्बल ने बीजेपी को पहुंचाया फायदा

अय्यर-सिब्बल ने बीजेपी को पहुंचाया फायदा

गुजरात में जब कांग्रेस अपनी जीत का दावा करती हुई ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां कर रही थी, तब कपिल सिब्बल और मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं ने दिल्ली में बैठकर पार्टी को नुकसान करवाने और विरोधियों के पक्ष में हवा बनाने का मौका दे दिया। कपिल सिब्बल अपने ससंदीय क्षेत्र चांदनी चौक के अलावा पार्टी के लिए चुनावी रैलियां और जनसभाएं कहां और कितनी की है, इसका सबूत गूगल के पास भी नहीं होगा। भारतीय विदेश सेवा में अपनी सेवाएं दे चुके मणिशंकर अय्यर आज दिन तक कोई चुनाव नहीं जीता है और ना ही उन्होंने कांग्रेस के लिए कभी किसी चुनावी रैली को संबोधित किया है। वकील और रिटायर्ड ऑफिसर बीजेपी में भी है, लेकिन वे पार्टी से इतर इन सभी मामलों से दूर रहते हैं। हालांकि, इस बार दोनों ही नेताओं ने मोदी की अच्छी खासी मदद कर ली और बीजेपी ने दोनों राज्यों में अपना झंडा गाड़ दिये।

कठोर धर्मनिरपेक्ष वाली छवी से कांग्रेस को नुकसान

कठोर धर्मनिरपेक्ष वाली छवी से कांग्रेस को नुकसान

राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव में नोटबंदी, जीएसटी, रोजगार, शिक्षा और किसान संकट जैसे मुद्दों पर बीजेपी को जमकर घेरने की कोशिश की और इसमें काफी हद तक कामयाब भी हुए। गुजरात में कांग्रेस की अच्छी खासी हवा बनाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन मणिशंकर अय्यर और कपिल सिब्बल ने गलत टाइम पर अपनी कठोर धर्मनिरपेक्ष वाली छवी को दिखाकर पार्टी को नुकसान पहुंचाने काम किया है। मणिशंकर अय्यर का मोदी पर दिया 'नीच' वाला बयान और बाबरी मस्जिद वाले संवेदनशील मामले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का कपिल सिब्बल का वकील बनना निश्चित रूप से पार्टी को नुकसान पहुंचाया है।

सिब्बल ने खेल बिगाड़ा

सिब्बल ने खेल बिगाड़ा

सुप्रीम कोर्ट में कपील सिब्बल ने जब दलील दी की राम मंदिर मामले पर कोर्ट अपना अंतिम फैसला 2019 आम चुनाव के बाद सुनाए। एक वकील के तौर पर अपनी धर्मनिरपेक्ष छवी रखना सही हो सकती है, लेकिन चुनाव के मौके पर पार्टी के लिए तो इसका नुकसान ही होगा, वो भी इसलिए क्योंकि बीजेपी के आने के बाद हिंदुत्व वोट बैंक का माहौल अपने चरम पर है। गुजरात में बीजेपी ने यह मौका नहीं छोड़ा और सिब्बल पर हाथ रखकर कांग्रेस पर हमला बोला दिया। कांग्रेस पहली बार सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेल रही थी, लेकिन कपिल सिब्बल की गलत टाइमिंग पर सारा खेल बिगाड़ दिया। वहीं, तीन तलाक मामले में भी कपिल सिब्बल ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील के रूप में अपनी सेवाएं देकर पार्टी का नुकसान ही किया।

अय्यर ने विपक्ष को दिया मौका

अय्यर ने विपक्ष को दिया मौका

मणिशंकर अय्यर जो कहते हैं कि उन्हें हिंदी नहीं आती, जिस वजह से मोदी के खिलाफ वे गलत शब्द का प्रयोग कर गए। मोदी के लिए 'नीच' का प्रयोग करने के बाद अय्यर ने माफी भी मांगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नरेंद्र मोदी ने अय्यर के नीच वाले शब्द को गुजरात से जोड़कर कांग्रेस पर हमला बोल दिया। मोदी ने अय्यर के शब्द से जमकर खेला एक दिन में तीन-तीन रैलियों में कांग्रेस को इसी एक शब्द पर घेरा लिया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि सिब्बल और अय्यर से गुजरात चुनाव में कांग्रेस को नुकासन ही हुआ है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली है।

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English summary
Rigid secularists like Kapil Sibal and Mani Shankar will not help Congress in 2019 elections
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