इस मसौदे को लेकर BJP-RSS में ठनी, देशभर में विरोध पर उतरे कार्यकर्ता
Recommended Video
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक दूसरे का करीबी माना जाता है। लेकिन दोनों के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आई हैं। जानकारी के अनुसार रीजनल कॉप्रिंहेंसन इकॉनोमिक पार्टनरशिप यानि आरीईपी को लेकर भाजपा और संघ में आम सहमति बनती नहीं दिख रही है। माना जा रहा है कि यह मसौदा अपने आखिरी चरण में है। हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि केंद्र को इस समझौते से कुछ खास हासिल नहीं होगा, जिसके दो दिन बाद भाजपा की ओर से कहा गया है कि भारत बंद अर्थव्यवस्था नहीं हो सकती है, कई अहम क्षेत्र देश को आगे ले जाने के लिए सजग हैं।
देशभर
में
होगा
प्रदर्शन
बता
दें
कि
आरसीईपी
का
मुख्य
लक्ष्य
10
आसियान
देशों
के
बीच
व्यापारिक
संबध
को
मजबूत
करने
का
माध्यम
है,
जिसमे
भारत
के
साथ
चीन,
ऑस्ट्रेलिया,
न्यूजीलैंड,
साउथ
कोरिया,
जापान
भी
शामिल
हैं।
स्वदेशी
जागरण
मंच
जोकि
आरएसएस
की
आर्थिक
ईकाई
है,
उसने
ऐलान
किया
था
कि
वह
आरसीईपी
के
खिलाफ
अपना
अभियान
तेज
करेगी।
इसके
अलावा
16
देशों
के
फ्री
टट्रेड
अग्रीमेंट
का
भी
भी
विरोध
करेगी।
यह
विरोध
पूरे
देश
में
गुरुवार
से
शुरू
हो
गया
है।
स्वदेशी
जागरण
मंच
की
ओर
से
कहा
गया
है
कि
देशभर
में
यह
प्रदर्शन
होगा
और
प्रधानमंत्री
को
जिले
के
डीएम
के
जरिए
ज्ञापन
सौंपा
जाएगा
हम
सरकार
को
सौपेंगे
रिपोर्ट
हालांकि
भाजपा
की
आर्थिक
ईकाई
के
प्रवक्ता
गोपाल
कृष्ण
अग्रवाल
का
कहना
है
कि
इस
देश
में
हर
कोई
आरसीईपी
और
एफटीए
के
खिलाफ
नहीं
है।
भारत
का
व्यापारिक
संबंध
वैश्विक
स्तर
पर
काफी
जरूरी
है।
इससे
देश
की
आंतरिक
इंडस्ट्री,
अर्थव्यवस्था
और
आम
आदमी
को
लाभ
होगा।
लिहाजा
भाजपा
ने
फैसला
लिया
है
कि
वह
इस
फैसले
से
संबंधित
सभी
पक्षों
के
साथ
मुलाकात
करेगी।
वह
इंडस्ट्री
के
लोगों,
विचारकों,
एक्टिविस्ट
से
इस
बाबत
सलाह
मशविरा
करेगी।
कई
लोगों
इस
मसौदे
के
पक्ष
में
हैं
और
वह
चाहते
हैं
कि
देश
सही
रास्ते
पर
आगे
बढ़े।
सरकार
जल्दबाजी
में
है
अग्रवाल
ने
कहा
कि
व्यापारिक
समझौते
आपसी
लेनदेन
पर
आधारित
होते
हैं।
इसके
लिए
राजनीतिक
और
कूटनीतिक
मशविरे
की
जरूरत
होती
है।
बता
दें
कि
सोमवार
को
भाजपा
मुख्यालय
में
राउंड
टेबल
कॉन्फ्रेंस
हुई
थी,
जिसमे
संगठन
सचिव
बीएल
संतोष
और
अग्रवाल
व
उद्योग
जगत
के
लोग
शामिल
हुए
थे।
जिसके
बाद
अग्रवाल
ने
कहा
कि
हम
इस
बाबत
सरकार
को
एक
रिपोर्ट
सौंपेंगे।
जिसके
बाद
मंगलवार
को
मोहन
भागवत
ने
कहा
था
कि
हमे
स्वदेशी
को
बढ़ावा
देना
चाहिए,
साथ
ही
कहा
कि
सरकार
इस
डील
को
लेकर
जल्दबाजी
में
है।