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तो इस वजह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा हुए बागी, किया आर्टिकल 370 को हटाए जाने का समर्थन

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नई दिल्ली। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल जिस तरह से भाजपा की केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया है, उसके बाद से ही कांग्रेस के भीतर घमासान मचा हुआ है। एक के बाद एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, जिसने पार्टी की मुश्किल को बढ़ा दिय है। इस कड़ी में अब हुड्डा भी जुड़ गए हैं और उन्होंने आर्टिकल 370 का विरोध करने पर कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है।

bhupinder hooda

कांग्रेस पर कसा तंज
हरियाणा के रोहतक में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए हुड्डा ने कहा कि यह पहले वाली कांग्रेस नहीं है जो पहले हुआ करती थी। उन्होंने पार्टी की ओर से कश्मीर मसले पर अपनाई गई रणनीति पर दो टूक कहा कि उनकी पार्टी अपनी राह से भटक चुकी है। । हुड्डा ने कहा कि, "जब सरकार कुछ अच्छा करती है तो मैं उनका समर्थन करता हूं। मेरे बहुत सारे सहयोगियों ने आर्टिकल 370 हटाए जाने का विरोध किया है, मेरी पार्टी रास्ता भटक चुकी है.....यह वह कांग्रेस नहीं है जो हुआ करती थी। जब देशभक्ति और आत्म सम्मान की बात आती है....तो मैं किसी से भी समझौता नहीं करता हूं।"

पार्टी का प्रदेश में बुरा हाल
दरअसल जिस तरह से हुड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है उसके पीछे की कई वजहें हैं। वर्ष 2014 के बाद हरियाणा में जितने भी चुनाव लड़े गए हैं, उसमे कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ रोहतक से जीत मिली थी। अक्टूबर 2014 में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस को और भी बुरी हार का सामना करना पड़ा और पार्टी यहां तीसरे पायदान पर रही, जिसकी वजह से उसे विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिला पाया।

लगातार चुनाव में हार
वर्ष 2009 में अशोक तंवर ने पहली बार सिरसा से लोकसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था, उन्हें राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता है। लेकिन 2014 के बाद लगातार हार के बाद पार्टी के भीतर तंवर को लेकर विद्रोह होने लगा है। 2018 में पार्टी को मेयर के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जनवरी 2019 में जींद उपचुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला हार गए, लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली।

दिग्गज हारे
हरियाणा में अक्टूबर माह में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होना है, यहां भाजपा के पास सभी 10 लोकसभा सीटें हैं, इन सभी सीटों पर भाजपा ने जबरदस्त वोटों से जीत दर्ज की है। लोकसभा चुनाव में तीन बार के सांसद रहे दीपेंद्र हुडा को भी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में पूरी तरह से नेतृत्व का अभाव है, खुद सोनिया गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। प्रदेश में अधिकतर कांग्रेस नेता चाहते हैं कि तंवर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया जाए और हुडा को अध्यक्ष बनाया जाए।

पार्टी में अलग-अलग गुट
हरियाणा कांग्रेस के भीतर चार अलग-अलग गुट बन गए हैं, पहला गुज अशोक कतंवर, दूसरा पूर्व मुख्यमंत्री बंशी लाल की बहू किरण चौधरी का, तीसरा गुट कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का, चौथा गुट पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप विश्नोई का है। ऐसे में इन तमाम गुट में सबसे वरिष्ठ और मजबूत गुट के रूप में खुद भूपेंद्र सिंह हुड्डा सामने आए हैं।

हुड्डा का शक्ति प्रदर्शन
हुड्डा अपनी राजनीति पृष्ठभूमि को मजबूत करने और प्रदेश में खुद को सबसे बड़े नेता के तौर पर स्थापित करने की कवायद में जुटे हैं। इसी वजह से उन्होंने रविवार को परिवर्तन रैली का आयोजन किया। इस रैली में प्रदेश कांग्रेस के 15 में से 12 विधायक, 60 पूर्व कांग्रेस सांसद और विधायकों ने हिस्सा लिया। लिहाजा साफ है कि हुड्डा ने अपनी सियासी मजबूती का दावा पेश कर दिया है। बहरहाल देखने वाली बात यह होगी कि पहले से ही गर्त में जा चुकी कांग्रेस हरियाणा में कैसे इस विद्रोह से पार पाती है।

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English summary
Revealed why Bhupinder Hooda turned rebellion and favored article 370.. जानिए
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