यासीन पठान, जिन्होंने छेड़ रखा है 34 मंदिरों को बचाने का आंदोलन
करीब 34 मंदिरों के हालत को संवारने और उनकी रक्षा को लेकर यासीन पठान आंदोलन चला रहे हैं।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में रहने वाले यासीन पठान सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। उन्होंने देश के करीब 34 मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार को लेकर आंदोलन छेड़ रखा है।
स्कूल में चपरासी रह चुके हैं यासीन पठान
स्कूल के रिटायर्ड चपरासी रहे यासीन पठान पिछले कई साल से ऐतिहासिक मंदिरों के संरक्षण को लेकर लेकर काम कर रहे हैं। उन्होंने मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार को लेकर आंदोलन चला रखा है। कई दशक से वो इस कार्य से जुड़े हुए हैं।
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करीब 34 मंदिरों के हालत को संवारने और उनकी रक्षा को लेकर यासीन पठान आंदोलन चला रहे हैं। यासीन पठान के मुताबिक पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में कई ऐसे मंदिर हैं जो लगभग 300 साल पुराने हैं।
बताया जा रहा है कि जिस इलाके में ये मंदिर हैं वहां करीब 80 से ज्यादा मंदिर थे लेकिन संरक्षण के अभाव में उनमें से कई गायब हो गए।
दशकों से आंदोलन चला रहे हैं यासीन पठान
ऐसे में यासीन पठान ने बचे हुए 34 मंदिरों को बचाने के लिए आंदोलन शुरू किया। बताया जा रहा है कि उनका शुरू से ही मंदिरों के इतिहास को लेकर एक जुड़ाव था।
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हालांकि शुरूआत में उनके मुस्लिम होने की वजह से उनके समाज और हिंदू समाज के लोग विरोध करते रहे। हालांकि उन्होंने मंदिरों के संरक्षण को लेकर आंदोलन तैयार किया।
धीरे-धीरे यासीन पठान के आंदोलन का असर हुआ। लोगों में मंदिर के प्रति जागरुकता बढ़ी। उन्होंने 1973 के आस-पास मंदिर बचाने के कार्य में जुटे। 1992 में उन्होंने एक आर्कियोलॉजिकल कमिटी का भी गठन किया।
कबीर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं यासीन पठान
यासीन पठान के कार्यों के चलते 1993 में उन्हें कबीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हालांकि पिछले साल असहिष्णुता के मुद्दे पर पुरस्कार लौटाने वालों में वो भी थे।
उन्होंने भी अपना पुरस्कार उस समय लौटा दिया था। बता दें कि अभी भी यासीन पठान मंदिर संरक्षण के आंदोलन में जुटे हुए हैं।