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गुजरात में तुरुप के पत्ते ने रोक रखी हैं कांग्रेस-बीजेपी की सांसें

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अमिताभ श्रीवास्तव

वरिष्ठ पत्रकार
अमिताभ श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं, वनइंडिया हिन्दी के पाठकों के लिए वो गुजरात चुनाव पर खास विश्लेषण लिख रहे हैं।

नई दिल्ली। गुजरात चुनाव में तुरुप का पत्ते पर सबकी नजर है और इस तुरुप के पत्ते पर न केवल राजनीतिक दलों की नजर है बल्कि गुजरात की जनता भी इसका बेसब्री से इंतजार कर रही है क्योंकि तुरुप का पत्ता ही तय करेगा कि वोटर किस ओर झुकने वाले हैं और किसका पलड़ा भारी होने वाला है। कांग्रेस और हार्दिक पटेल भी इस पर लगातार मंथन में जुटी हुई है और बीजेपी भी कांग्रेस के रुख का इंतजार कर रही है ताकि आगे की रणनीति में बदलाव किया जा सके। दोनों ही दल एक दूसरे की ओर ताक रहे हैं जिससे कि काउंटर गेम खेला जा सके। आखिर ये तुरुप का पत्ता क्या है, ये जानना जरूरी है जो गुजरात चुनाव की दशा और दिशा तय करने वाला है।

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तुरुप का पत्ता है आरक्षण। इस मुद्दे पर सभी की सांसें अटकी हैं। कांग्रेस इसी मुद्दे पर चुनाव की नैया पार लगाने की जुगत में है तो बीजेपी इसी मुद्दे पर कांग्रेस पर पलटवार करने की तैयारी में है। मौजूदा व्यवस्था ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण है। एससी वर्ग को 15 प्रतिशत और एसटी वर्ग को 7.5 प्रतिशत। अब सवाल ये हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार इससे ज्यादा आरक्षण मुमकिन नहीं। जब गुजरात में पाटीदार आंदोलन तेज हुआ तो गुजरात सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। पाटीदार समाज चाहता है कि उन्हें अलग से आरक्षण मिले उधर ओबीसी अपना हिस्सा किसी और से बांटने को तैयार नहीं। यदि ओबीसी का हिस्सा कटता है तो उनका वोट बैंक भी कट जाएगा।

तो अब विकल्प क्या है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। इसी उधेड़बुन में कांग्रेस और बीजेपी हैरान-परेशान है। कांग्रेस एक विकल्प सोच रही है कि आर्थिक रूप से आरक्षण को 20 फीसदी कर दिया जाए। जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक हार्दिक इसके लिए नरम हैं लेकिन कैसे ये आरक्षण लागू होगा, कानूनी अड़चनें क्या हैं और पाटीदारों को कितना लाभ मिलेगा, इन सब पर राय मशविरा अभी पूरा नहीं हुआ है। कांग्रेस और हार्दिक पटेल के हर कदम पर बीजेपी की बारीक नजर है और आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र से कौन सा तीर आएगा, इससे कांग्रेस भी आशंकित है इसीलिए न केवल कांग्रेस की ओर से देरी हो रही है बल्कि बीजेपी भी इसी इंतजार में है। दरअसल दोनों ही पार्टी आरक्षण के मसले पर घबराहट में हैं।

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हार्दिक पटेल को भी मालूम है कि कांग्रेस की ओर से कोई परेशानी नहीं है, बल्कि बीजेपी क्या गुल खिलाएगी, इससे हार्दिक पटेल घबराए हुए हैं, क्योंकि केंद्र की एक घोषणा हार्दिक पटेल की आरक्षण राजनीति पर जबर्दस्त ब्रेक लगा सकती है। बीजेपी के पास आरक्षण को लेकर क्या तुरुप का पत्ता है किसी को नहीं मालूम। कांग्रेस जरूर तमाम पत्ते फेंट रही है ताकि बीजेपी कुछ प्रतिक्रिया दे।

कुल मिलाकर ये साफ है कि आरक्षण पर हार्दिक पटेल की राजनीति टिकी है और इसी राजनीति के सहारे कांग्रेस गुजरात की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही है। बीजेपी भी ये जान रही है कि हार्दिक पटेल की राजनीति का कांटा अगर निकल गया तो कांग्रेस को जमीदोंज करने में वक्त नहीं लगना है। जब तुरुप का पत्ता खुलेगा, तभी तस्वीर साफ होगी कि सरकार किसकी बनने वाली है।

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English summary
Reservation issue gujarat assembly election 2017 bjp congress hardik patel alpesh thakor
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