क्या धीरे बोल कर कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है? जानें क्या कहता है शोध
क्या धीरे बोल कर कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है? जानें क्या कहता है शोध
नई दिल्ली। कोरोना महामारी से बचाव को लेकर अब तक तमाम शोध किए जा चुके हैं। वहीं अब छुआछूत वाले इस संक्रमण से बचाव के लिए शोधकर्ताओं ने नया शोध किया है। उनका दावा है कि धीरे बोलने से हम कोरोना के संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे?
ये शोध कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के छह शोधकर्ताओं ने किया हैं। इन्होंने अपने अध्ययन में पाया है कि उच्च जोखिम वाले इनडोर स्थानों, जैसे अस्पतालों और रेस्तरां में हम धीमे बोलकर कोरोनोवायरस छूत के जोखिमों को कम करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे स्थानों पर धीरे बोलकर बीमारी के प्रसार को कम किया जा सकता है। यानी कि ऐसे स्थानों पर धीमे बोलने से संक्रमण का प्रसार के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के छह शोधकर्ताओं ने लिखा है कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने पर लगाम लगाने के प्रयासों में, औसत आवाज में बात करने से 6 डेसीबल की कमी का एक कमरे के वेंटिलेशन को दोगुना करने के समान प्रभाव हो सकता है। वैज्ञानिकों ने बुधवार को इस अध्ययन पर आधारित एक पेपर पब्लिश किया। जिसके परिणाम सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को बताया गया कि उच्च जोखिम वाले इनडोर वातावरण, जैसे अस्पताल के वेटिंग रूम या डाइनिंग सुविधाओं वाली जगहों में शांति कायम करने की व्यवस्था पर काम करना चाहिए।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर विपीन सिंह परमार ने बीते मंगलवार को जब कहा कि तेज बोलने से भी कोरोनावायरस का संक्रमण फैलता है और विधायकों को Covid-19 के प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए खास तौर पर विधानसभा सत्र के दौरान उन्हें तेज बोलने से बचना चाहिए। जिस पर सबने उनका मजाक बनाया था। विपिन सिंह परमान ने जब कहा SOP के मुताबिक, तेज बोलने से भी संक्रमण फैलता है। इसलिए हमें कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने के लिए धीरे बोलना चाहिए।" इसके बाद पूरी विधानसभा ठहाकों से गूंज गई थी। शोधकर्ताओं का ये शोध ये साबित कर चुका हैं तेज बोलने से कोरोना संक्रमण का फैलाव होने का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एरोसोल ट्रांसमिशन यानी की हवा के माध्यम से संक्रमण की संभावना को स्वीकार करने के लिए जुलाई में अपनी गाइडलाइन बदल दी, उन्होंने बताया कि गाना गाने के तेज अभ्यास के दौरान या रेस्तरां या फिटनेस क्लास में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ता विलियम रिस्टेनपार्ट ने कहा जोर से बात करने पर लगभग 35 डेसिबल की वृद्धि हो जाती है कोरोना के कण उत्सर्जन दर को 50 गुना बढ़ा देता है। वहीं यह सामान्य बातचीत 10-डेसिबल रेंज से ऊपर है, जबकि रेस्तरां में शोर के दौरान ये लगभग 70 रहता है।"सभी इनडोर वातावरण एयरोसोल ट्रांसमिशन जोखिम के संदर्भ में समान नहीं हैं,"।
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