नई स्टडी का दावा, आपके पीने के पानी में प्लास्टिक है!
नई स्टडी का दावा, आपके पीने के पानी में प्लास्टिक है!
नई दिल्ली। हमारे घरों के नलों में आने वाले पीने के पानी के साथ हम प्लास्टिक भी पी रहे हैं। पानी के साथ प्लास्टिक के हजारों महीन कण हर रोज हमारे शरीर में जा रहे हैं। दुनियाभर के देशों में पीने के पानी पर किए गए सर्वे के आधार पर ये बात सामने आई है। ओआरबी मीडिया समूह के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर से लिए गए नल में आने वाले पीने के पानी के सैंपल की जांच के बाद ये रिपोर्ट दी है।
दुनियाभर के प्रमुख शहरों से लिए गए सैंपल
घरों में पीने के लिए नलों में आने वाले पानी पर ये सर्वे किया गया है। इस स्टडी में दुनियाभर के देशों के बड़े शहरों जिसमें कंपाला, नई दिल्ली, जकार्ता, बेरूत, क्योटो, 7 यूरोपियों देशों और अमेरिका के बड़े शहरों से पानी के सैंपल लिए गए। इन सैंपल की जांच कर तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक 83 फीसदी नलों के पानी में प्लास्टिक के कण पाए गए, जो पानी के साथ हमारे शरीर में जा रहे हैं।
प्लास्टिक जमीन में दबे हुए या डिस्पोजल के बाद भी पूरी तरह से खत्म नहीं होता। लंबे समय के बाद ये छोटे-छोटे माइक्रोपार्टिकल्स में बदल जाता है और यही कण हमारे पानी में आ जाते हैं। ओआरबी मीडिया ने ये रिपोर्ट तैयार की है।
रोज शरीर के भीतर जा रहे प्लास्टिक के 3 से 4 हजार कण
हर रोज जो पानी हम पी रहे हैं, उसमें हर दिन प्लास्टिक के 3 हजार से 4 हजार प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण हमारे शरीर के भीतर जा रहे हैं। ये रिपोर्ट देने वाली ओआरबी मीडिया के मुताबिक, प्लास्टिक की वजह से नदी, तालाब, मिट्टी के साथ-साथ हवा भी प्रदूषित हो रही है लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा जो आने वाले समय में बड़े नुकसान का सबब हो सकता है। टीम का कहना है कि यह पहली स्टडी थी जिसमें पीने के पानी में प्लास्टिक के कणों की मौजूदगी की जांच की गई है।
उत्तरी अमेरिका में स्थिति सबसे ज्यादा खराब
स्टडी के मुताबिक, नॉर्थ अमेरिका के टैप वॉटर में प्लास्टिक की मौजूदगी सबसे ज्यादा पाई गई है। वहीं यूरोप के 7 देशों से जो सैंपल लिए गए उनमें ये कण सबसे कम पाए गए हैं।। पानी के सैंपल में पाए गए ज्यादातर कण 0.1 से 5 मिलीमीटर लंबे फाइबर्स थे। हालांकि इस स्टडी के नतीजों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।