मोटे लोगों को कोरोना वायरस से सबसे अधिक खतरा, रिसर्च में सामने आए चौंकाने वाले नतीजे
नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर पूरे विश्व में खलबली मची हुई है। ऐसे में एक नई बात सामने आया रही है कि अगर आप मोटापे का शिकार हैं तो आपको कोरोना वायरस से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि यह वायरस मोटे लोगों के लिए काफी खतरनाक है और मोटापे से ग्रस्त लोगों को आइसोलेशन में रखना 14 दिन काफी नहीं है। शोधकर्ताओं के एक समूह ने मोटापे से पीड़ित लोगों को 28 दिन यानी दोगुने वक्त के लिए क्वारंटाइन रहने की सलाह दी है।
मोटापा कोरोना वायरस को दे रहा आमंत्रण
इटली के साइंटिफिक इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च, हॉस्पिटलाइज़ेशन एंड हेल्थकेयर में हुए इस शोध के बारे में बताते हुए शोधकर्ताओं ने कहा कि इन्फ्लूएंजा जैसे वायरस मोटे लोगों को ज्यादा प्रभावित करते हैं। रिसर्च में कहा गया है कि, जो व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित है और मोटापे से भी ग्रसित है उन्हें क्वारंटाइन के दौरान 14 दिन के वजाय 28 दिन तक निरीक्षण करने की जरूरत है। मोटे लोग सामान्य लोगों की तुलना में कई कारणों से ज्यादा संक्रमित होते हैं।
मोटे लोग कोरोनो वायरस से लड़ने में कम सक्षम
शोध में इटली के दो वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि कोविड-19 और मोटापे के बीच इंटरेक्शन इस बात पर निर्भर करता है कि इंफ्लूएंजा जैसा वायरस मोटे लोगों पर कैसा असर डाल रहा है। इंफ्लूएंजा वायरस दुबले लोगों की तुलना में मोटे लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक होता है। इंफेक्शन की चपेट में आने के बाद उनकी हेल्थ को ज्यादा दिन के लिए मॉनिटर किया जाना जरूरी है। शोधकर्ताओं के अनुसार मोटापे शरीर में सूजन हो सकती है। यह व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को बाधित कर सकता है। जिसके कारण मोटे लोग कोरोनो वायरस से लड़ने में कम सक्षम हो पाते हैं।
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मोटापे से ग्रस्त कोरोना के मरीजों की हालत तेजी से बिगड़ी
उन्होंने यह भी सलाह दी कि मोटे व्यक्ति में क्वारंटाइन का समय दुबले लोगों की तुलना में दोगुना होना चाहिए। वहीं अमेरिका में भी एक इसी तरह का अध्ययन सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि, कोरोना महामारी में युवा मरीजों के लिए मोटापा सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है। कैंसर, फेफड़े या हृदय रोग के मरीजों के मुकाबले मोटापे से ग्रस्त कोरोना के मरीजों की हालत तेजी से बिगड़ी। शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापे से ग्रस्त मरीजों में संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा होता है, क्योंकि उनकी प्रतिरोधी क्षमता की ज्यादातर ताकत शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी से होने वाले प्रदाह की मरम्मत में ही लग जाती है। अमेरिका में बड़ी संख्या में मौतों की यह बड़ी वजह बनकर उभरी है। ये अध्ययन एक मार्च से दो अप्रैल के बीच हुए और क्लीनिकल इनफेक्शियस डिसीज जर्नल में प्रकाशित हुए।
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