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गणतंत्र दिवस स्पेशल: परमवीर योगेंद्र यादव ने ऐसे लहराया था कारगिल पर तिरंगा, सीने में लगी थी 15 गोलियां

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नई दिल्ली। आज गणतंत्र दिवस है। आज के दिन देश उन तमाम वीरों को याद कर रहा है जिन्होंने इस देश के गणतंत्र की रक्षा के लिए सीमा पर अपने जान की बाजी लगा दी। ऐसे ही एक परमवीर थे 18 ग्रेनेडियर्स में तैनात सूबेदार, योगेंद्र सिंह यादव। योगेंद्र सिंह यादव ने कारगिल युद्ध के दौरान मौत को मात देते हुए 15 गोली लगने के बाद भी टाइगर हिल्स से पाकिस्तानी सौनिकों को खदेड़ा और वहां तिरंगा झंडा फहराया। योगेंद्र यादव को उनके अदम्य वीरता के लिए भारत सरकार ने सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

कारगिल लड़ाई में दिखाई थी बहादुरी

कारगिल लड़ाई में दिखाई थी बहादुरी

पूर्व थल सेनाध्यक्ष, जनरल वीके सिंह ने योगेंद्र यादव की बहादुरी याद करते हुए बताया, 'श्री अटल बिहारी वाजपेयी जहां पड़ोसी मुल्क जा कर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे थे, वहीं सामने वाला एक नापाक साजिश को अंजाम दे रहा था। लोग अक्सर कहते हैं कि पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते बनाने चाहिए। ऐसा नहीं कि हम शान्ति नहीं चाहते। मगर अच्छे होते हैं वो बुरे लोग, जो अच्छा होने का दिखावा नहीं करते। सर्दियों में Line of Control (LOC ) से भारत और पाकिस्तान की सेनाएं अत्यंत विषम परिस्तिथियों के कारण पीछे हट जाती हैं, और सर्दियों के उपरान्त पुनः अपनी पुर्वोचित स्थान पर आ जाती हैं। 1998 की सर्दियों में भारतीय सेना के हटने के बाद पाकिस्तानी सेना और उसके सहयोगी आतंकी भारतीय सीमाओं के अंदर की पर्वत चोटियों पर जा बैठे। उन ऊंचाईयों पर बैठने से दुश्मन को एक अजेय सुविधा प्राप्त हो गयी थी। नीचे से ऊपर आक्रांताओं पर हमला करती भारतीय सेना आसानी से दुश्मन के निशाने पर आ गयी थी। सेना जिन ऊंचाइयां की रक्षा करती थी, वही ऊंचाइयां उनका काल बन रहीं थीं।'

ग्रेनेडियर योगेंद्र को मिली टाइगर हिल्स पर कब्जे की जिम्मेदारी

ग्रेनेडियर योगेंद्र को मिली टाइगर हिल्स पर कब्जे की जिम्मेदारी

वीके सिंह ने अपने फेसुबुक पेज पर आगे लिखा, 'ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव भारतीय सेना के 18 Grenadiers का हिस्सा थे। 'घातक' कमाण्डो पलटन के सदस्य ग्रेनेडियर यादव को Tiger Hill के अत्यधिक महत्वपूर्ण तीन दुश्मन बंकरों पर कब्ज़ा करने का दायित्व सौंपा गया। सामने के हमले विफल हो रहे थे। योजना यह थी कि 18000 फीट की ऊँचाई वाले Tiger Hill पर उस तरफ से चढ़ाई करनी होगी जो इतनी दुर्गम हो कि दुश्मन उस तरफ से भारतीय सैनिकों के आने की कल्पना भी न कर पाए। अगर चढ़ते हुए दुश्मन की नजर पड़ी, तो निश्चित मृत्यु। अगर दुश्मन नहीं भांप पाया तो 100 फीट से ज्यादा की खड़ी चढ़ाई चढ़ने की थकान की उपेक्षा कर के गोला बारूद से लैस प्रशिक्षित आतंकियों से भरे उन बंकरों पर हमला करना था जो दूसरी तरफ से आगे बढ़ने वाले भारतीय सैनिकों को बिना कठिनाई के मार गिरा रहे थे। क्या आपके मुँह से "असंभव" निकल गया? यह शब्द भारतीय सैनिकों के कान खड़े कर देता है। ऐसे शब्द उनके अहम् को चुनौती देते हैं।'

पाक गोलाबारी में शहीद हुए भारतीय टुकड़ी के ज्यादातर सदस्य

पाक गोलाबारी में शहीद हुए भारतीय टुकड़ी के ज्यादातर सदस्य

वीके सिंह ने बताया, 'ग्रेनेडियर यादव ने स्वेच्छा से आगे बढ़ कर उत्तरदायित्व संभाला जिसमे उन्हें सबसे पहले पहाड़ पर चढ़ कर अपने पीछे आती टुकड़ी के लिए रस्सियों का क्रम स्थापित करना था। 3 जुलाई 1999 की अंधेरी रात में मिशन आरम्भ हुआ। कुशलता से चढ़ते हुए कमाण्डो टुकड़ी गंतव्य के निकट पहुमची ही थी कि दुश्मन ने मशीनगन, RPG, और ग्रेनेड से भीषण हमला बोल दिया जिसमें भारतीय टुकड़ी के अधिकांश सदस्य मारे गए या तितर बितर हो गए, और स्वयं यादव को तीन गोलियां लगीं। मैं चाहूंगा की कमजोर दिल वाले इसके आगे न पढ़ें।'

15 गोली लगने के बाद भी नहीं टूटे ग्रेनेडियर योगेंद्र

15 गोली लगने के बाद भी नहीं टूटे ग्रेनेडियर योगेंद्र

वीके सिंह ने आगे लिखा, 'इस हमले से ग्रेनेडियर यादव पर यह असर हुआ कि वह एक घायल शेर की तरह पहाड़ी पर टूट पड़े। यादव ने तीन गोलियां लगने के बावजूद खड़ी चढ़ाई के अंतिम 60 फीट अकल्पनीय गति से पार की। ऊपर पहुंचने के बाद दुश्मन की भारी गोलाबारी ने उनका स्वागत किया। अपनी दिशा में आती गोलियों को अनदेखा कर के दुश्मन के पहले बंकर की तरफ यादव ने धावा बोल दिया। निश्चित मृत्यु को छकाते हुए बंकर में ग्रेनेड फेंक कर यादव ने आतंकियों को मौत की नींद सुला दिया। अपने पीछे आती भारतीय टुकड़ी पर हमला करते दूसरे बंकर की तरफ ध्यान केन्द्रित किया। जान की परवाह न करते हुए उसी बंकर में छलांग लगा दी जहां मशीनगन को 4 सदस्यों का आतंकीदल चला रहा था। ग्रेनेडियर यादव ने अकेले उन सबको मौत के घाट उतार दिया। ग्रेनेडियर यादव की साथी टुकड़ी तब तक उनके पास पहुंची तो उसने पाया कि यादव का एक हाथ टूट चुका था और करीब 15 गोलियां लग चुकी थीं। ग्रेनेडियर यादव ने साथियों को तीसरे बंकर पर हमला करने के लिए ललकारा और अपनी बेल्ट से अपना टूटा हाथ बांध कर साथियों के साथ अंतिम बंकर पर धावा बोल कर विजय प्राप्त की।'

भारत सरकार ने मृत समझ लिया था

भारत सरकार ने मृत समझ लिया था

वीके सिंह ने अंत में लिखा, 'विषम परिस्तिथियों में अदम्य साहस, जुझारूपन और दृढ़ संकल्प के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया। समस्या बस यह थी कि ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव इस अविश्वसनीय युद्ध में जीवित बच गए थे और उन्हें अपने मरणोपरांत पुरस्कार का समाचार अस्पताल के बिस्तर पर ठीक होते हुए मिला। विजय दिवस पर ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव जैसे महावीरों को मेरा सलाम जिन्होंने कारगिल युद्ध में भारत की विजय सुनिश्चित की।'

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English summary
Republic Day 2018: paramveer chakra grenadier yogendra singh yadav story kargil war
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