देश के 14 सबसे प्रदूषित शहरों के सांसदों का रिपोर्ट कार्ड
बेंगलुरु। देश में लोकसभा चुनावों की लहर तेज़ है। सभी राजनीतिक दल इस हवा में अपने हिसाब से रंग घोलने में जुटी हुई है। इससे पहले कि हवा और अधिक प्रदूषित हो जाये, चलिये एक नज़र डालते हैं उन शहरों के रिपोर्ट कार्ड पर जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही सबसे ज्यादा प्रदूषित घोषित कर चुका है। साथ ही हम आपको यह भी बतायेंगे कि शहर की हवा में घुल रहे ज़हर को कम करने के लिये वहां के सांसद ने 16वीं लोकसभा में अपने कार्यकाल के दौरान कोई ठोस कदम उठाये या नहीं।
वायु प्रदूषण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) की एक ताजा वैश्विक रिपोर्ट से जाहिर होता है कि वर्ष 2016 में महीन साँस के साथ फेफड़ों के अन्दर तक पहुँच जाने वाले प्रदूषणकारी कण यानी पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) के सबसे उच्चतम स्तरों की चपेट में फंसे 15 में से 14 शहर भारत में थे। ये 14 शहर उत्तरी भारत में पश्चिम से पूरब तक की पट्टी में बसे हुए हैं। डब्ल्यू.एच.ओ. की इस नयी रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि राजस्थान और कश्मीर के साथ-साथ सिंधु-गांगीय मैदान के इलाकों की हवा दुनिया में सबसे बदतर है। क्लाइमेट चेंज द्वारा तैयार की गई उन 14 संसदीय क्षेत्रों पर आधारित है, जिनमें ये शहर आते हैं।
चलिये बात करते हैं प्रदूषण के स्तर पर शहर की रैंक और फिर वहां उठाये गये कदमों की।
रैंक 1- कानपुर
कानपुर शहर जो एक समय में यूपी का बिजनेस हब हुआ करता था, आज प्रदूषण की चपेट में है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने हवा के प्रदूषण से निबटने के लिये कुछ कदम उठाये भी, लेकिन सांसद डा. मुरली मनोहर जोशी संसद में पूरी तरह शांत बैठे रहे। उन्होंने पिछले पांच सालों में इस संबंध में काई कदम नहीं उठाये। जबकि रिपोर्ट के मुताबिक यहां के लोगों पर दूषित हवा का असर तीन से चार गुना बढ़ गया है।
रैंक 2- फरीदाबाद
एनसीआर में होने की वजह से हर कोई प्रदूषण के लिये दिल्ली को जिम्मेदार ठहरा देता है। राज्य सरकार ने अपनी ओर से भले ही कोई ठोस कदम नहीं उठाये, लेकिन सांसद कृष्ण पाल की पहल पर राज्य सरकार ने दूषित हवा से निबटने के लिये कई कदम उठाये।
रैंक 3 - वाराणसी
वृहद स्तर पर चल रहे निर्माण कार्यों की वजह से वाराणसी की हवा बुरी तरह दूषित हो गई है। डॉक्टरों का मानना है कि इसकी वजह से यहां पर एलर्जी और श्वास संबंधी बीमारियों के केस बढ़े हैं। लेकिन अगर पिछले पांच सालों पर नज़र डालें तो सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद का फोकस यहां के सौंदर्यीकरण पर ज्यादा रहा।
रैंक 4- गया
हर कोई सोचता है कि फाल्गू नदी से उठने वाली बालू के छोटे-छोटे करण तेज़ हवाओं के साथ शहर की हवा को प्रदूषित करते हैं। लेकिन असली कारण यहां के वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषण है। सांसद हरि मांझी ने इसइ पर डब्ल्यूएचओ को जवाब दिया कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। और प्रदूषण से निबटने के लिये हर कदम उठाये जा रहे हैं।
रैंक 5 - पटना
बिहार का सबसे प्रदूषित शहर, जहां ईंट के भट्ठों और वाहनों के प्रदूषण के कारण हवा में जहर घुल रहा है। लेकिन पटना साबिह से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को अपने संसदीय क्षेत्र से अधिक चिंता दिल्ली के स्मॉग की रहती है।
रैंक 6 - दिल्ली
दिल्ली की जनता ने 7 सांसदों को चुना। साथ में दिल्ली सरकार। बेहतर पर्यावरण की दिशा में इनके प्रयासों की पोल मार्च 2019 में तब खुल गई जब एक वैश्विक रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी के खिताब से नवाज़ा गया।
रैंक 7- लखनऊ
एक वैश्विक अध्ययन में पाया गया कि उत्तर प्रदेश भारत का दूसरा राज्य है, जहां हवा में प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। और लखनऊ भी उसमें शामिल है। यहां सो सांसद राजनाथ सिंह ने प्री-मेच्योर डेथ के इस दावे को सिरे से नकार दिया। आलम यह है कि शहरों के डॉक्टरों ने लोगों को इस संबंध में जागरूक करने का बीड़ा उठाया है।
रैंक 8- आगरा
जिला प्रशासन की तमाम पाबंदियों के बावजूद इस शहर में आज भी भारी मात्रा में कूड़ा जलाया जाता है। लेकिन सांसद प्रो. राम शंकर पूर पांच साल तक इस मुद्दे को संसद में उठाने से झिझकते रहे।
रैंक 9 - मुज़फ्फरपुर
यहां के कृषि उत्पादों में जहरीले तत्व पाये जाने के बाद भी यहां कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये। सांसद अजय निषाद प्रदूषण की समस्या पर सक्रिय नज़र नहीं आये। जबकि वास्तविकता तो यह है कि यहां की संरक्षित इमारतें भी प्रदूषण की मार झेल रही हैं।
रैंक 10- श्रीनगर
जब डब्ल्यूएचओ ने श्रीनगर को प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल किया, तो बहुत सारे लोग चकित रह गये। मजेदार बात यह है कि चूंकि प्रदूषण से जुड़ा डेटा राज्य सरकार ने मुहैया नहीं कराया था, इसलिये राज्य सरकार और सांसद डा. फारूक अब्दुल्ला ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाया। जबकि यहां पर प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोत- वाहन और कोयला व लकड़ी हैं, जिनका प्रयोग हर गली-मोहल्ले में आग जलाने के लिये होता है।
रैंक 11- गुरुग्राम
गुरुग्राम में वायु की गुणवत्ता लगातार गिरती गई, लेकिन फिर भी उसे नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल नहीं किया गया। सीपीसीबी के द्वारा पिछले कुछ वर्षों से यहां के प्रदूषण स्तर की माप भी नहीं की गई। यहां के बच्चों में जहरीले मेटल कण पाये जाने के बावजूद यहां की राज्य सरकार और सांसद राव इंद्रजीत सिंह के ऐक्शन प्लान में सड़क निर्माण और मेट्रो रेल को ज्यादा तरजीह दी गई।
रैंक 12- जयपुर
जयपुर में कूड़ा जलये जाने और लकड़ी व कोयले की वजह से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। यहां की राज्य सरकार और सांसद रामचंत्र बोहरा ने सौर्य ऊर्जा को ज्यादा प्राथमिकता दी, लेकिन इसके बावजूद यहां पर हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये बड़े कदम उठाये जाने की जरूरत है।
रैंक 13 - पटियाला
यहां पर प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है फसल कटने के बाद गैर जरूरी तत्वों का जलाना, जिसे क्रॉप बर्निंग भी कहते हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मात्रा से अधिक स्तर पर प्रदूषण के तत्व यहां मौजूद हैं। सांसद धरम वीर गांधी ने भले ही कोई ठोस कदम इस दिशा में नहीं उठाये, लेकिन पंजाब सरकार ने केंद्र ससे बेहतर मशीनों की मांग जरूर की है।
रैंक 14 - जोधपुर
सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने शहर की हवा की गिरती गुणवत्ता पर ठोस कदम उठाये। उन्होंने संसद में कई बार संसदीय क्षेत्र के पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाये।