पद्मश्री से सम्मानित कवि गोपालदास नीरज का निधन, एम्स में ली अंतिम सांस
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नई दिल्ली। हिंदी के प्रसिद्ध कवि और गीतकार गोपालदास नीरज नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद आज उनका निधन हो गया। मंगलवार को अचानक तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें पहले आगरा के लोटस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां से उन्हें दिल्ली एम्स में रेफर किया गया, जहां आज उनका निधन हो गया।
93 साल के गोपलादास नीरज लंबे वक्त से बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। गोपाल दास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवली गांव में हुआ था। हिंदी के महान कवि नीरज को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 1991 में पद्मश्री सम्मान, 1994 में यश भारती सम्मान, 2007 में पद्म भूषण सम्मान, इसके अलावा विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार और फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
उन्होंने फिल्म जगत के लिए कई गीत लिखे। 70 के दशक में उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए लगातार तीन बार पुरस्कार दिया गया। उनके लिखे गीत काल का पहिया घूमे रे भइया (चन्दा और बिजली), बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फिल्म पहचान) और ए भाई! ज़रा देख के चलो (मेरा नाम जोकर) को लगातार तीन बार सम्मान मिला।
उनकेकुछ मशहूर गीत:
1-.
ए
भाई,
ज़रा
देखके
चलो
2-
दिल
आज
शायर
है,
ग़म
आज
नग़मा
है
3-लिखे
जो
ख़त
तुझे
4-
आज
मदहोश
हुआ
जाए
रे
5-शोखियों
में
घोला
जाये,
फूलों
का
शबाब
6-कारवाँ
गुज़र
गया
गुब्बार
देखते
रहे
7-काल
का
पहिया
घूमे
रे
भइया
8-
बस
यही
अपराध
मैं
हर
बार
करता
हूँ