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Religious Persecution: यहां हर साल 1000 हिंदू लड़कियां जबरन बना दी जाती हैं मुस्लिम!

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बेंगलुरू। जी हां, हम पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बात कर रहे हैं, जहां पिछले 70-72 वर्षों के अंतराल में छूट गए हिंदू अल्पसंख्यक का नाम और निशान मिटने के कगार पर पहुंच गया है। इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान से हिंदू अल्पसंख्यक मुस्लिम बना दिए या इस्लाम नहीं कबूलने हिंदुओं को पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान में आकर शरणार्थी बनना पड़ा और शेष हिंदू आबादी पाकिस्तान के ईश निंदा कानून की भेंट चढ़ा दिए गए।

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पाकिस्तान में हिदू अल्पसंख्यक ही नहीं, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई और पारसी भी इसके शिकार हुए हैं। शायद यही कारण है कि भारतीय संसद में पारित नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हिंदू अल्पसंख्यक ही नहीं, बल्कि पीड़ितों में शामिल सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसियों के लिए भी सुगम भारतीय नागरिकता प्रदान करने प्रावधान किया गया है।

गौरतलब है एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक वर्ष पाकिस्तान में 1000 से अधिक हिंदू अल्पसंख्यक लड़कियां का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है, जिसे स्वैच्छिक धर्म परिवर्तन बता कर पाकिस्तानी सरकार और वहां की स्थानीय मशीनरी छिपाने की असफल कोशिश करती है।

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अभी हाल में पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कराची प्रेस क्लब के सामने लोगों ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया, लेकिन वहां की पुलिस और सरकार धर्म परिवर्तन के आरोपियों को पकड़ने के बजाय पीड़ितों को ही राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में फंसा कर गिरफ्तार कर लेती हैं।

हालिया द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन की शिकार 15 साल की हिंदू लड़की महक कुमारी गत 16 जनवरी को अचानक लापता हो गई। जैकोबाबाद की रहने वाली महक के परिवार का कहना है कि एक मुस्लिम समुदाय के प्रभावशाली व्यक्ति ने उसका अपहरण कर धर्मांतरण करा दिया है।

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पता चला कि शिकारपुर के दरगाह अमरोत शरीफ में जबरन महक को इस्लाम धर्म कबूल करवाकर उससे निकाह किया गया, लेकिन मामले के खुलासे के बाद भी वहां पुलिस ने जबरन धर्म परिवर्तन छोड़िए, पाकिस्तान के बाल विवाह निरोधक कानून के तहत भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

पाकिस्तान में जबरिया धर्म परिवर्तन कोई नई बात नहीं है और इसमें भी कोई शक नहीं है कि वहां की स्थानीय प्रशासन और पुलिस की शह और सहमित से हो रहा है, क्योंकि पीड़ितों में शामिल लोग गैर-मुस्लिम है। वहां की प्रशासन और पुलिस ऐसे मामलों में पीड़ितों की सहायता करने के बजाय उनके परिवार को ही टारगेट करते हैं ताकि विरोध और प्रदर्शन को दबाया जा सके।

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सिंध प्रांत के जैकोबाबाद की निवासी 15 वर्षीय नाबालिग हिंदू लड़की महक के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ विरोध करने पर वहां की स्थानीय पुलिस ने विरोध करने वाले चार हिंदू लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और अब उनके घरों पर छापेमारी कर जुबान खोलने के लिए दंडित किया जा रहा है।

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उल्लेखनीय है जबरन धर्म परिवर्तन का इस्लामिक में कोई जगह नहीं, लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के 73 वर्षों का ही इतिहास खंगालेंगे तो तस्वीर साफ हो जाएगी। धार्मिक आधार पर पाकिस्तान के जन्म सूत्रधार और कायदे आजम के तमगे से नवाजे गए मोहम्मद अली जिन्ना ने 17 अगस्त 1947 को भाषण में कहा था कि हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में भयमुक्त होकर रहने की जरूरत है। उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।

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बकौल कायदे आजम जिन्ना, आप स्वतंत्र हैं, निडर होकर अपने धर्मस्थलों पर जाइए. आप चाहे किसी भी धर्म, जाति और समुदाय के हों, आप सभी पाकिस्तान राष्ट्र के नागरिक हैं. सभी के लिए यहां कानून और दर्जा एक सरीखा होगा. लेकिन ऐसा पाकिस्तान में कभी नहीं हुआ। इसकी तस्दीक वर्ष 1947 से 2020 के अंतराल में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी और उनकी दशा-दिशा से समझा जा सकता है।

अभी कुछ ही दिन पहले सिंध प्रांत में शादी की मंडप में बैठी एक हिंदू महिला को शादी के मंडप से अगवा कर लिया गया। भारत सरकार द्वारा भी घटना पर कड़ी आपत्ति जताई गई और पाकिस्तान उच्चायुक्त के एक वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया और माता रानी भटियानी मंदिर को क्षतिग्रस्त करने पर फटकार भी लगाई।

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शादी के मंडप से अगवा की गई हिंदू महिला मामले में भारत सरकार द्वारा तत्काल जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई, लेकिन मामला निंदा प्रस्ताव के बाद आगे नहीं बढ़ सका है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदू समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करना इमरान खान सरकार का कर्तव्य है, लेकिन जब सरकार की शह पर ऐसे वारदात हो रहें हो, तो जांच और न्याय की उम्मीद बेमानी कही जा सकती है।

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पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक लड़कियों के साथ जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं लगातार बढ़ती गई हैं, लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कोई माकूल पहल नहीं की है। फिलहाल, इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ के हिंदू अल्पसंख्यक सांसद डॉक्टर रमेश कुमार वांकवानी ने पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए दो विधेयक लाने जा रहे हैं।

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सांसद वांकवानी ने पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली में दो विधेयक पेश किए हैं, जिसमें पहला प्रस्ताव लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल किए जाने को लेकर है जबकि दूसरा प्रस्ताव जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए है।

मालूम हो, पाकिस्तान में मौजूदा क़ानूनों के मुताबिक़, 16 साल की उम्र की लड़की की शादी वैध मानी जाती है जबकि अकेले सिंध प्रांत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है। हालांकि डाक्टर वांकवानी से पहले भी लड़कियों के लिए शादी की उम्र को बढ़ाने की कोशिशें हुई थीं।

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लेकिन राजनीतिज्ञों और पाकिस्तान के काउंसिल ऑफ़ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने ग़ैर इस्लामिक क़रार देते हुए उसे नाकाम कर दिया। पाकिस्तानी हिंदू सासंद वांकवानी ने पाकिस्तानी संसद में पेश किए दूसरे विधेयक में जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मशूहर उन मदरसों पर नियंत्रण का प्रावधान है।

रिपोर्ट्स कहती हैं कि पाकिस्तान में हर साल हज़ारों हिंदू अल्पसंख्यक समेत अन्य समुदायों की लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है। माना जाता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन एक पेशा बन गया है और यह सिलसिला कानूनी अड़चनों के चलते खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

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हालांकि पाकिस्तान में हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न के मामले इमरान सरकार की फजीहत का कारण बनते हैं, लेकिन यह मुसीबत पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों की नीयत बन चुकी है। यही कारण है कि हर वर्ष लाखों की संख्या में हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदाय पाकिस्तान छोड़कर भारत समेत दूसरे देशों में पलायन करने को मजूबर हैं।

यह भी पढ़ें-जानिए, कैसे CAA का विरोध करके आप अल्पसंख्यकों पर हुई प्रताड़ना को सही ठहरा रहें हैं?

दो नाबालिग हिंदू लड़की रवीना और रीना का अपहरण फिर मुस्लिम बनाया

दो नाबालिग हिंदू लड़की रवीना और रीना का अपहरण फिर मुस्लिम बनाया

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में होली से एक दिन पहले दो नाबालिग हिंदू बहनों का अपहरण कर लिया गया। इसके बाद जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराकर उनकी शादी करा दी गई। पीड़ित दोनों नाबालिग हिंदू लड़कियों रवीना (12) और रीना (15) ने पंजाब की एक कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर सुरक्षा की मांग की है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।

पाकिस्तान में कितने अल्पसंख्यक हैं और क्या है उनकी आबादी?

पाकिस्तान में कितने अल्पसंख्यक हैं और क्या है उनकी आबादी?

पाकिस्तान सरकार के नेशनल डेटा बेस एंड रजिस्ट्रेशन अथारिटी में दर्ज ताजा तरीन आंकडो़ं के अनुसार वहां अल्पसंख्यकों की आबादी इस प्रकार है-

  1. हिंदू - 1,414,527
  2. ईसाई - 1,270,051
  3. अहमदी - 125,681
  4. बहाई - 33,734
  5. सिख - 6146
  6. पारसी - 4020
  7. बौद्ध - 1492
  8. अन्य - 66,898
वर्ष 1941 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पूर्व क्या स्थिति थी?

वर्ष 1941 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पूर्व क्या स्थिति थी?

वर्ष 1941 में हुए जनगणना के अनुसार पाकिस्तान वाले इस भूभाग पर बंटवारे से पहले 5.9 करोड़ गैर मुस्लिम रहते थे। बंटवारे के दौरान बड़े पैमाने पर हिंदुओं और सिखों का पलायन भारत की ओर हुआ। हिंदुओं की आबादी तब वहां 24 फीसदी के आसपास थी, जो अब घटकर 1.3 फीसदी रह गई है।

पिछले 73 वर्षों के अंतराल में पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की स्थिति

पिछले 73 वर्षों के अंतराल में पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की स्थिति

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को करीब 73 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन एक तरफ जहां हिंदुस्तान में मुस्लिमों की आबादी और उनके धर्म स्थानों में वृद्धि हुई, लेकिन पाकिस्तान में यह उसके उल्ट ही हुै। पाकिस्तान में मौजूद कुल 428 बड़े मंदिरों में 20 ही बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि 90 के दशक में 1000 छोटे बड़े मंदिरों को निशाना बनाया गया।

क्या है वो ईश निंदा कानून, जिसके निशाने पर होते हैं अल्पसंख्यक

क्या है वो ईश निंदा कानून, जिसके निशाने पर होते हैं अल्पसंख्यक

पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक के राज में 1980 के दशक में ईश निंदा कानून को कड़ा करके अल्पसंख्यकों की शामत ही ले आई गई। इस कानून में ये प्रावधान है कि अगर देश के किसी नागरिक को ईश यानी अल्लाह या पैगंबर की निंदा करते पाया गया तो उसके खिलाफ ये कानून लागू हो जाएगा। इस कानून में आमतौर बेगुनाह अल्पसंख्यक ही फंसते हैं।

ईश निंदा का आरोप लगाकर हिंदू अल्पसंख्यकों को फंसा दिया जाता है

ईश निंदा का आरोप लगाकर हिंदू अल्पसंख्यकों को फंसा दिया जाता है

पाकिस्तान में जब बहुसंख्यकों को किसी अल्पसंख्यक से कोई बदला लेना होता है तो उस पर ईश निंदा का आरोप लगाकर उसे फंसा दिया जाता है। ईश निंदा के दोषियों को फांसी या आजीवन कारावास जैसी कड़ी सजा दी जाती है। पाकिस्तान में हाल के बरसों में 16 से ज्यादा लोगों को इस आरोप में मृत्युदंड दिया जा चुका है जबकि 20 शख्स आजीवन कैद की सजा पा चुके हैं। आशिया बीवी का मामला ईश निंदा से ही जुड़ा है

भारत-पाक बंटवारे पर जिन्ना ने अल्पसंख्यकों को दिया था आश्वासन

भारत-पाक बंटवारे पर जिन्ना ने अल्पसंख्यकों को दिया था आश्वासन

पाकिस्तान के जन्म के बाद कायदेआजम जिन्ना ने 17 अगस्त 1947 को भाषण में कहा था कि अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में भयमुक्त होकर रहने की जरूरत है. उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। आप स्वतंत्र हैं. निडर होकर अपने धर्मस्थलों पर जाइए. आप चाहे किसी भी धर्म, जाति और समुदाय के हों, आप सभी पाकिस्तान राष्ट्र के नागरिक हैं। सभी के लिए यहां कानून और दर्जा एक सरीखा होगा। लेकिन ऐसा पाकिस्तान में कभी नहीं हुआ।

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English summary
Not only the Hindu minority in Pakistan, Buddhists, Sikhs, Jains, Christians and Parsis have also fallen victim to it. Perhaps this is the reason that the Citizenship Amendment Act passed in the Indian Parliament i.e. the CAA has made provision for granting easy Indian citizenship not only to religiously oppressed Hindu minorities but also to Sikhs, Jains, Buddhists, Christians and Parsis who are among the victims.
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