क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

स्ट्रेच मार्क होने पर महिलाओं को नौकरी देने से मना किया

यह मामला घाना का है लेकिन भारत में भी महिलाओं की स्थिति कोई बेहतर नहीं.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
महिलाएं
Getty Images
महिलाएं

क्या किसी महिला को सिर्फ इसलिए नौकरी पर रखने से मना किया जा सकता है कि उसने ब्लीच की हो या उसके शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स हों?

घाना में ऐसा ही एक वाक़या सामने आया है जहां आप्रवासन (इमिग्रेशन) सेवा के लिए चल रही भर्ती के दौरान ऐसी महिलाओं को अयोग्य ठहरा दिया गया जिन्होंने त्वचा ब्लीच करा रखी थी या जिन्हें स्ट्रेच मार्क्स थे.

घाना की इमिग्रेशन सेवा के प्रवक्ता अमाओको-अत्ताह ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान ऐसी त्वचा से ख़ून निकल सकता है इसलिए उन्हें नौकरी नहीं दी गई.

"हमारा काम काफी कठोर होता है. इसकी ट्रेनिंग ऐसी होती है कि अगर आपके शरीर पर ब्लीच है या स्ट्रेच मार्क हैं, तो खून बहने की संभावना होती है."

इसके अलावा टैटू वाली और सिर के बालों को जटा की तरह बनाने वाली महिलाओं के आवेदन पर भी विचार नहीं किया गया.

यह मामला सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर इसकी काफ़ी चर्चा हो रही है. कुछ लोगों ने इस पर सवाल उठाए तो कुछ इसका समर्थन करते नज़र आ रहे हैं.

महिला नेताओं ने महिलाओं का जीवन सुधारा?

महिला थाना बेहतर या थाने में महिला डेस्क?

क्या स्ट्रेच मार्क से काम पर असर पड़ता है?

लेकिन क्या वाक़ई स्ट्रेच मार्क से किसी महिला के काम पर असर पड़ सकता है. बीबीसी ने यही सवाल स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश रानाडे से पूछा.

डॉ. रानाडे के मुताबिक़, "ये तर्क एकदम बकवास है कि स्ट्रेच मार्क से महिलाओं की शारीरिक क्षमता पर असर पड़ता है. स्ट्रेच मार्क प्राकृतिक बदलाव है."

घाना के अधिकारियों के तर्क पर सवाल उठाते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने कहा कि "यह एक बिल्कुल अनुचित क्राइटेरिया है, ये बहुत अजीब है. अगर महिलाएं उस पोस्ट के योग्य हैं तो उन्हें मौका क्यों नहीं दिया जा रहा?"

वहीं आईपीएस अधिकारी और ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की पूर्व डायरेक्टर जनरल मीरा बोरवंकर कहती हैं, "घाना के ये मानदंड बिल्कुल बेतुके हैं. शुक्र है कि भारत में महिलाओं के लिए ऐसे कोई पैमाने नहीं हैं."

औरतों को पीरियड्स के दिनों में छुट्टी मिलेगी?

महिला दिवस पर अमरीका में महिलाओं की हड़ताल

महिलाएं
Getty Images
महिलाएं

भारतीय पुलिस में भी महिलाओं की संख्या कम

महिलाओं के साथ भेदभाव का मामला किसी एक देश का ही नहीं है. भारत में भी पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी तय लक्ष्य से कम है.

पुलिस में महिलाओं की उचित भागीदारी की मांग लंबे समय से उठती रही है.

2013 में भारतीय सरकार ने राज्यों को एडवायज़री जारी की थी जिसमें महिलाओं की 30 फ़ीसदी भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश करने के लिए कहा गया.

बीपीआरएंडडी के आंकड़ों के मुताबिक़ एक जनवरी 2017 से 17 राज्यों में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण लागू कर दिया गया.

फिलहाल महाराष्ट्र पुलिस में सबसे ज़्यादा 18.7% महिलाएं हैं. दूसरे नंबर पर तमिलनाडु में 11.81% महिलाएं हैं.

जबकि लक्षद्वीप की पुलिस में सबसे कम 0.02% महिलाओं की हिस्सेदारी है.

मैं महिला थाने क्यों नहीं जाऊंगी?

वो महिला जिसने महिलाओं को पहनाई स्कर्ट!

महिलाएं
Getty Images
महिलाएं

'हमारे देश में हालात सुधर रहे हैं'

फ़िलहाल पुदुचेरी की लेफ़्टिनेंट गवर्नर का पद संभाल रही किरण बेदी कहती हैं कि "भारत में महिलाएं तरक्की कर रही हैं और मेरिट के आधार पर आगे आ रही हैं."

मीरा बोरवंकर भी उनसे सहमत दिखती हैं, "महिलाओं के लिए पुलिस में माहौल बेहतर हो रहा है. जब मैं पुणे शहर में कमिशनर के पद पर थी, तब मैं एक युवा महिला पुलिसकर्मी से मिली. मैंने पूछा कि वो पुलिस में कैसे भर्ती हुई. उसने बताया कि उसके पिता ने इसके लिए प्रोत्साहित किया और उसकी चचेरी बहन भी पुलिस में काम करती है. यह निश्चित रूप से एक उत्साहजनक संकेत था."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Refrain from giving jobs to women when a stretch marks occur
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X