खून की प्यासी हुई छत्तीसगढ़ की "लाल नदी"
दंतेवाड़ा। नंदराम कुंजम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसे अपना पुस्तैनी गांव छोड़कर जाना पड़ेगा। लेकिन वो अब गांव छोड़कर जाने को मजबूर है। ऐसा इसलिए नहीं कि उसका गांव माओवादियों का गढ़ है बल्कि इसलिए कि वहां से बहने वाली नदी का पानी लाल हो चुका है। जी हां एनएमडीसी की खदानों से निकलने वाले लौह अयस्क के चलते नदी का पानी पूरी तरह ला चुका है और कुंजम के तरह ही कई लोग गांव छोड़कर जाने को मजबूर हो रहे हैं।
उसने कहा कि गांव वालों के पास पीने के पानी के लिए शंखनी नदी के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इस पानी से कई तरह के स्वास्थय समस्याएं आ रही हैं तो वहीं फसल भी बेकार हो रहा है। पालनार, चोलनार, केरपाल, बेहनार, कड़मपाल, मदाड़ी से होकर बहने वाली मलांगीर नदी के जरिए भी लाल पानी सुकमा जिले में शबरी नदी तक पहुंच रहा है। सबसे ज्यादा असर बैलाडीला के नजदीक बसे गांवों पर पड़ा है। बीते साल जिले के दौरे पर आए यूथ कांग्रेसी अमित जोगी ने भी यइ मामला उठाया था।