84 साल बाद नजर आया रेड कोरल स्नेक, जानिए लाल रंग का ये दुर्लभ सांप है कितना खतरनाक
नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक बहुत ही दुर्लभ प्रजाति का सांप देखने को मिला है। खुरियाखत्ता में निवासी रविंद्र सिंह कोरंगा का कहना है कि उन्होंने अपने घर की बाउंड्री पर एक दुर्लभ लाल रंग का सांप देखा, इससे पहले उन्होंने कभी इस तरह का सांप नहीं देखा था। सांप का अनोखा रंग देखकर घबराए रविंद्र सिंह ने तुरंत वन विभाग से संपर्क किया और उनसे मदद मांगी। फॉरेस्ट के गौला रेंज के रेंजर के अधिकारी ने रविंद्र को बताया कि इस तरह के दर्लभ प्रजाति वाले सांप के 84 साल बाद देखा गया है।
नैनीताल में दुर्लभ प्रजाति का सांप
रविंद्र सिंह ने वन विभाग को पहले ही फोन कर अजीबो-गरीब रंग के सांप को देखने की जानकारी दे दी थी, यही वजह थी कि रेंजर आरपी जोशी ने कर्मचारियों को भेजने के साथ-साथ उन्हें सांप को कोई नुकसान न पहुंचाने की भी हिदायत दी थी। इसके बाद वन विभाग की स्नेक कैचर टीम (सांप पकड़ने के विशेषज्ञ) मौके पर पहुंची और सांप को रेस्क्यू कर लिया। सांप पकड़ने वाले हरीश ने बताया कि उन्होंने भी इस तरह के सांप को पहली बार देखा है।
पहली बार 1936 में देखा गया
हल्द्वानी के डीएफओ कुंदन कुमार ने बताया कि रविंद्र सिंह के घर से पकड़ा गया सांप बेहद दुर्लभ प्रजाति का सांप है, इसे बोलचाल की भाषा में लोग लाल मूंगा खुखरी सांप (रेड कोरल कुकरी स्नेक) भी कहते हैं। वन अधिकारियों के अनुसार, इस दुर्लभ सांप को पहली बार 1936 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी क्षेत्र में देखा गया था। इसके बाद इसको 'ओलिगोडोन खेरिएन्सिस' वैज्ञानिक नाम दिया गया।
इसलिए कहा जाता है कुकरी
सांप को कुकरी इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसके दांत गोरखाओं के कुखरी (चाकू) की तरह होते हैं। इनके दांत कुखरी के ब्लेड की तरह घुमावदार होते हैं। वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस प्रजाति के सांप को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 में शेड्यूल- 4 का दर्जा प्राप्त है। यानी इस सांप को संरक्षित श्रेणी में रखा गया है। राहत की बात यह है कि ये सांप जितना दिखने में खतरनाक है उतना स्वभाव से नहीं है। इस प्रजाति के सांप जहरीले नहीं होते।
उत्तराखंड में सिर्फ दो बार देखा गया
बता दें कि इससे पहले इस सांप को साल 2014 में खटीमा के सुरई रेंज में देखा गया था, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वन्यजीव विशेषज्ञ विपुल मौर्य के मुताबिक उत्तराखंड में अब तक केवल दो बार ही लाल कोरल कुकरी सांप को देखा गया है। साल 2014 में ही यह उत्तर प्रदेश और एक बार पूर्वोत्तर के राज्य असम में देखा गया था। इस प्रजाति के सांप दीमक के टीलों में रहते हैं और अन्य सांप वह छिपकली के अंडे खाते हैं।
A rare Red Coral Kukri #snake (Oligodon kheriensis) has been rescued today by #Uttarakhand Forest department near Haldwani.
It was first sighted in Lakhimpur Kheri district of UP in 1936 from where it got it's zoological name.@VaibhavSinghIFS @Saket_Badola @rameshpandeyifs pic.twitter.com/1iLG8hIqhi
— Kundan Kumar, IFS (@kundan_ifs) August 7, 2020
कोबरा की तरह फन नहीं निकाल सकता ये सांप
दिखने में ये एकदम लाल यानी इसमें मूंगे के पत्थर की तरह चमक होती है। लाल कोरल कुकरी सांप स्वभाव से शर्मिले होते हैं, यह जल्दी किसी पर हमला नहीं करते। गलती से ये किसी को काट भी लें तो उस शख्स की मौत नहीं होगी क्योंकि यह जहरीला नहीं होता। रात में ज्यादा सक्रिय होता है और खुले में रहना पसंद करता है। यह कोबरा की तरह फन नहीं निकाल सकता है। रेंगने वाले छोटे कीड़े इसका भोजन होते हैं।
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