100 फीसदी खारिज होनी तय है अयोध्या राम मंदिर फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका?
बंगलुरू। अयोध्या राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष ने एक बार सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रही है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बीते रविवार को ऐलान किया है कि मुस्लिम पक्ष फैसले के खिलाफ रिव्यू याचिका दायर करेगी, क्योंकि मुस्लिम अयोध्या में नई मस्जिद के लिए नहीं गए थे, बल्कि मुस्लिमों ने बाबरी मस्जिद पर अपने हक के लिए मुकदमा दायर किया था।
हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड किस हैसियत से रिव्यू याचिका दायर करने की बात कह रही है, यह स्पष्ट नहीं है, क्योंकि अयोध्या राम मंदिर विवाद केस में वह पक्षकार भी नहीं है। अगर कोई फैसले के खिलाफ रिव्यू डाल सकता है, तो उसका हक सिर्फ अभी सिर्फ सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास है, क्योंकि इकबाल अंसारी फैसले के खिलाफ रिव्यू याचिका डालने से पहले ही इनकार कर चुके हैं।
उधर, विवादित स्थल की खुदाई करने वाले पुरातत्ववेत्ता के के मोहम्मद ने कहा है कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से मुस्लिम समुदाय को कोई फायदा नहीं मिलेगा। मोहम्मद उस दल का हिस्सा थे, जिसने अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर खुदाई की थी।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष फैसले के खिलाफ भले ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की कोशिश करने जा रहे हैं, लेकिन इससे मुस्लिम पक्ष को फायदा नहीं मिलेगा। ऐसा केके मोहम्मद ने इसलिए कहा है, क्योंकि भारतीय पुरातत्व की खुदाई में मिले मंदिर के ढांचे को भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक बड़ा आधार माना है।
हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में शामिल जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलान अरशद मदनी की मानें तो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका 100 फीसदी खारिज हो जाएगी। उनका कहना है कि चूंकि पुनर्विचार याचिका दाखिल करना मुस्लिम पक्ष का अधिकार है इसलिए इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
गौरतलब है मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू याचिका दायर करने से इनकार करने के साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से आयोजित की बैठक का भी बहिष्कार कर दिया था।
अयोध्या राम मंदिर विवाद केस में पक्षकार हिंदू महासभा के वकील वरुण सिन्हा का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वह केस में पक्षकार ही नहैं, इस मामले में फैसला सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को लेना है।
बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मस्जिद के लिए विवादित परिसर से अलग पांच एकड़ भूमि लेने पर भी सहमति नहीं बनी है। मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन लेने से इन्कार करते हुए कहा है कि यह शरीयत के खिलाफ है।
बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी का कहना है कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट से फैसले बोर्ड संतुष्ट नहीं है, इसमें मुस्लिमों के साथ इंसाफ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद की एवज में 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष नहीं ले सकता है, क्योंकि इस्लामी शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती है।
उनके मुताबिक इस्लामी शरियत मस्जिद के बदले में जमीन या कुछ भी लेने की इजाजत नहीं देती है। अधिवक्ता राजीव धवन के मुताबिक 30 दिन के अंदर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दिया जाएगा।
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कौन है ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) एक एनजीओ के तौर पर काम करता है। एक गैर सरकारी संगठन है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारतीय मुस्लिमों के लिए शरीयत में बने कानूनों को लागू करने और मुस्लिमों की देखभाल करने के साथ ही उनका प्रतिनिधित्व करता है। एआईएमपीएलबी की स्थापना 1972 में हुई थी. मौजूदा वक्त में एआईएमपीएलबी को एक अध्यक्ष, 5 उपाध्यक्ष, एक महासचिव, 4 सचिव, एक कोषाध्यक्ष और 39 सदस्य मिलकर चलाते हैं। एआईएमपीएलबी मुस्लिमों के शरिया कानून के हिसाब से काम करता है। इस संस्था से मुसलमानों के तीनों ही स्कूल देवबंद, नदवा और बरेली के लोग जुड़े हुए हैं। संस्था में एक महिला सदस्य डॉ. असमा के साथ ही अन्य रूप में 25 अन्य महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं।
तीन तलाक कानून पर भी एतराज जता चुकी है बोर्ड!
संसद के लोकसभा में तीन तलाक कानून विधेयक के पास होते ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB) ने ऐलान किया कि वह तीन तलाक कानून को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेगा। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाबा राबे हसन नदवी ने प्रधानमंत्री को खत लिखा कि कानून को बनाने में पर्सनल लॉ बोर्ड और महिला संगठनों की भी राय ली जानी चाहिए थी। वही महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने भी कहा कि कानून बनाने में ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड और शरियत के एक्सपर्ट्स को भी शामिल करना चाहिए था।
देश में माहौल बिगाड़ने में लगी है AIMPLV: मोहसिन रजा
योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड पर देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश का बड़ा आरोप लगाया है। रजा ने कहा कि मुस्लिम समाज सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को मंजूर कर चुका है, तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड माहौल खराब क्यों करना चाहता है। एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधते हुए मोहसिन रजा ने कहा कि ओवैसी जैसे लोग मुस्लिम भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। रजा ने एआईएमआईएम चीफ की मंशा पर सवाले उठाते हुए कहा कि इस बात की अब जांच होनी चाहिए आखिर इस संस्था की फंडिंग कौन कर रहा है।
मुस्लिमों के लिए भी पूज्य हैं राम, 99 फीसदी मुस्लिम धर्मांतरितः रामदेव
योगगुरू बाबा रामदेव ने जारी एक बयान में कहा है कि भगवान राम न सिर्फ हिंदुओं के बल्कि उन मुस्लिमों के लिए भी पूज्य हैं, क्योंकि देश के 99 फीसदी मुस्लिम धर्मांतरित हैं। रामदेव ने अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले कहा कि मैं इसे राष्ट्रीय एकता के परिपेच्छ में देख रहा हूं, क्योंकि जैसे कैथोलिकों के लिए वेटिकन, मुस्लिमों के लिए मक्का, सिखों के लिए स्वर्ण मंदिर है, वैसे ही हिंदुओं के लिए अयोध्या का महत्व है। रामदेव ने कहा कि अयोध्या में बनने वाला मंदिर भव्य और भारतीय संस्कृति को परिलक्षित करने वाला होना चाहिए।
बाबुल सुप्रियो ने कहा दूसरे जाकिर नाईक बन रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा है कि एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी दूसरे जाकिर नाईक बन रहे हैं। बाबुल सुप्रियो का यह बयान असदुद्दीन ओवैसी के उस ट्वीट के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, 'मुझे मेरी मस्जिद वापस चाहिए।' अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बयान देने के चलचे असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से उनके खिलाफ केस भी दर्ज कराया गया है।