भारत पर आर्थिक मंदी का साया, मंदी पर आखिर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
बेंगलुरू। भारत में आर्थिक मंदी पर विशेषज्ञों की कभी हां और कभी ना का खेल शुरू हो चुका है। रेटिंग एजेंसी जेपी मार्गन ने जारी एक ताजा बयान में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मंदी में फंसने का डर नहीं है। एजेंसी के मुताबिक भारत के बड़े बैंकों को प्रदर्शन उम्दा रह सकता हैं, क्योंकि ब्याज दरों में कमी का सिलसिला जारी है।
वहीं, एजेंसी का कहना है कि इश्योरेंस कंपनियां से भी अच्छा पैसा बनाया जा सकता है। जेपी मॉर्गन में इंडिया इक्विटी रिसर्च के हेड भरत अय्यर ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत अर्थव्यवस्था में कंजप्शन बड़ा फैक्टर है, जिसे डिमोग्राफी और निवेश से सपोर्ट मिल रहा है।
कहा जा रहा है कि आर्थिक मंदी का सबसे ज्यादा असर देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर पड़ रहा है, लेकिन ट्रेडर्स बॉडी सीएआईटी (CAIT)ने मंगलवार को यह कहकर लोगों को चौका दिया है कि घरेलू ऑटोमोबाइल सेक्टर में किसी प्रकार की कोई मंदी नहीं है। सीएआईटी ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में मचे हाय-तौबा को नकली करार देते हुए कहा कि ऑटोमोबाइल कंपनियां केवल सरकार से पैकेज पाने के लिए यह रोना रो रही हैं।
सीएआईटी महासचिव ने कहा कि कंपनियों को भारी संख्या में बुकिंग मिल रही है, जो दर्शाता है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कोई मंदी नही हैं। सीएआईटी भले ही मंदी को नकार रही है, लेकिन आर्थिक मंदी का हवाला देकर ऑटोमोबाइल कंपनियां अब हजारों लोगों को नौकरी से निकाल चुकी है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM)के अध्यक्ष राजन वाधेरा का कहना है लगभग 10 महीनों से कंपनियां बिक्री में कमी दर्ज कर रही हैं।
अगस्त 2019 में बिक्री के आंकड़े बताते हैं कि सबसे बड़ी ऑटोमोटिव कंपनियां भी मंदी की चपेट में आई हैं और मारुति सुज़ुकी, टाटा मोटर्स और ह्यूंदैई ने बिक्री में क्रमशः 34.4%, 58% और 16.58% गिरावट दर्ज की गई है। महिंद्रा और महिंद्रा कंपनी मंदी की कंपकंपी के चलते 17 दिन तक गाड़ियों के प्रोडक्शन भी बंद करने का ऐलान कर दिया है।
हीरो साइकिल के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मुंजाल भी आर्थिक मंदी का हवाला देते हुए कहा है कि उन्होंने पिछले 55 साल के अंतराल में पहली बार ग्रोथ रेट में ऐसी मंदी महसूस की है। मंदी के लिए शहरी और ग्रामीण बाजार में लोगों की क्रय क्षमता आई गिरावट को दोषी ठहराते हुए पंकज मुंजाल कहते हैं कि लोग अब बचत को प्रोत्साहन देने लगे हैं, जिससे उनकी साइकिल की बिक्री की रफ्तार थम गई हैं।
मंदी की मार से शेयर बाजार भी जार-जार है। बताया जा रहा है कि 17 सितंबर को शेयर बाजार में साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स 642.22 प्वाइंट लुढ़ककर 36, 481.09 पर बंद हुआ। वहीं, एनएसई निफ्टी 185.90 प्वाइंट गिरावट के साथ 10, 817 पर पहुंच गया। इसके साथ ही यूरोप का बाजार भी गिरावट के साथ खुला है। इतना ही नहीं, जर्मनी के इंडेक्स में 3 फीसदी गिरावट बताती है मंदी बस चौराहे पर खड़ी है।
कोई कह रहा है कि लोगों को आय वृद्धि दर में गिरावट से ऑटोमोबाइल सेक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर और रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी आई है, तो कोई बता रहा है कि सऊदी अरब में ड्रोन हमले से कच्चे तेल में हुई 13 फीसदी वृद्धि मंदी बढ़ाने में योगदान कर रही है।
इसके पीछे थ्योरी यह बताई गई है कि ड्रोन हमले से तेल उत्पादन में कमी आई और मांग बढ़ने से उसकी कीमतों में वृद्धि हो गई। कहा जा रहा है कि अगर क्रूड ऑयल में 10 डॉलर की वृद्धि हो गई तो अनुमान है कि जीडीपी में 0.25 फीसदी गिरावट दर्ज हो सकती है।
मंदी ने बीमा कंपनियों को भी नहीं बख्शा है। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के दूसरे क्वार्टर में 57 हजार करोड़ रुपए की चोट लगी है। एलआईसी को हुए नुकसान के पीछे थ्योरी यह दिया जा रहा है कि कंपनी ने जिन कंपनियों के शेयर में निवेश किया था, उन कंपनियों के शेयरों के भाव में 81 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। बताया जाता है कि एलआईसी का सबसे ज्यादा निवेश आईटीसी में करती है।
उधर, कोल इंडिया ने मंदी को धता बताते हुए कंपनी में 9000 लोगों को नौकरी देने जा रही है। कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि कोल इंडिया के 400 एग्जिक्यूटिव में से 900 की नियुक्ति जूनियर कैटेगरी में विज्ञापन और इंटरव्यू के जरिए होगी। बाकी के 400 लोगों की नियुक्ति कैंपस सलेक्शन के जरिए होगी। 100 एग्जिक्यूटिव्स की नियुक्ति मेडिकल स्टाफ के तौर पर होगी। कोल इंडिया की उलट चाल से मंदी के नाम पर हजारों लोगों को निपटा चुकीं कंपनियां नाक-मुंह सिकोड़ने लगी हैं।
भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में कूदते ही भारी बुंकिंग से हलकान हुई एमजी हेक्टर ने महज एक दिन में ही 21, 000 कारों की बुंकिंग कर इतिहास बना लिया। एमजी हेक्टर ही नहीं, कीया सेल्टोज भी मंदी के बीच भारतीय बाजार में पर्दापण करती है और धड़ाधड़ हो रही उसके कारों की बुंकिंग नहीं रूकी, तो उसने बुंकिंग काउंटर भी बंद कर दिया। कंपनी को कारों की बुंकिंग इसलिए रोकनी पड़ गई, क्योंकि कार की बुंकिंग का औसत कारों के प्रोडक्शन से तीन-चार गुना अधिक हो चुका था।
भारत में आर्थिक मंदी आ रही है या आने वाली है पर राजनीतिक पार्टियां भी कूद पड़ीं। पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां आर्थिक स्लो डाउन के लिए जिम्मेदारा हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदी पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मंदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार मीडिया मैनेजमेंट करके मंदी को बरगला रही है।
ऑटो सेक्टर में मंदी का रोना खत्म होने ही वाला था कि लोगों ने ई-कॉमर्स इंडस्ट्री पर मंदी का असर पड़ने का अंदेशा जताना शुरू कर दिया। ई-कॉमर्स पर मंदी की आशंका के बीच अमेजन इंडिया के निदेशक मंयक शिवम का बयान आया और बयान आते ही ई-कॉमर्स की मंदी का भूत भी भाग खड़ा हुआ।
अमेजन इंडिया के निदेशक (कैटेगरी मैनेजमेंट-फैशन) ने संभावित आर्थिक सुस्ती और कंज्यूमर डिमांड की कमी की खबरों की परवाह किए बिना कहा कि उनकी कंपनी इस बार के त्योहारी सीजन में सबसे अधिक सेल्स दर्ज करने वाली है और पिछले एक साल में उनके सेलर्स की तादाद 3.5 लाख से बढ़कर 5 लाख पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि अमेजन कंपनी की 65-70 डिमांड छोटे शहरों से आ रही है, जहां के लिए थ्योरी गढ़ी गई थी कि आय घटने से बिक्री की डिमांड घट गई है।
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