क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कहां है मंदी, MG हेक्टर और कीया सेल्टोज कारों के लिए टूट पड़े लोग

Google Oneindia News

बंगलुरू। कृषि प्रधान देश हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था में आज भी कृषि और कृषि उत्पादों का योगदान सर्वाधिक हैं। रोटी, कपड़ा और मकान जैसी पारंपरिक जरूरतों से इतर लग्जरी चीजों पर खर्च करने के बारे में भारतीय तब सोचता है जब उसके जेब में पर्याप्त पैसा होता है। क्योंकि बचत की परंपरा को प्राथमिकता देने वाला भारतीय लग्जरी चीजों मसलन, ब्रांडेड कपड़े और गाड़ी के बारे में तब सोचता है जब पैसा उसके मूल जरूरतों से अधिक उसकी जेब में होते हैं।

Auto sector

मध्यम वर्ग की सतायी हुई है भारतीय ऑटो इंडस्ट्री

मौजूदा दौर में भारतीय ऑटो और टेक्सटाइल सेक्टर मंदी की शिकार हो रही है, जो लोगों के लिए लग्जरी सामानों का निर्माण करती है। चूंकि वर्ष 2015 से लोगों की आय वृद्धि दर में लगातार गिरावट जारी है, यही कारण है कि लग्जरी सामानों का निर्माण कर रहे ऑटो इंडस्ट्री और टेक्सटाइल इंडस्ट्री मंदी की मार झेल रहे हैं। मंदी इसलिए क्योंकि आय वृद्धि दर में जारी गिरावट के चलते लोग वापस रोटी, कपड़ा और मकान तक सीमित हो गए हैं और शेष पैसों को बचत में निवेश करने लगे हैं।

आय में गिरावट आई तो लोगों ने खरीदना बंद कर दिया

पारंपरिक भारतीय ही नहीं, अधिकांश भारतीय आज भी बचत को पहली प्राथमिकता देते हैं। यही कारण है कि पिछली बार आई वैश्विक मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था और उसकी सेहत कोई खास नहीं पड़ा था। वर्तमान समय में भी मंदी की आहट सुनते ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले मध्यम वर्ग बैक टू पवेलियन हो गईं, लेकिन उच्च मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग पर अभी भी मंदी से कोई लेना-देना नहीं है, वह लग्जरी सामानों पर अभी भी वैसे ही निवेश कर रहा था, जैसे वो पहले कर रहा था। वह आज भी भारत में लांच हो रही कारों की खरीदारी में उतनी ही रूचि ले रहा है और पैसा खर्च कर रहा है, जैसा वो मंदी और मंदी की आहट से पहले करता आता रहा है।

Auto Sector

मंदी के बाद भी लग्जरी कारों की बुकिंग पर असर नहीं

दो महीने पहले एक नामचीन कंपनी MG Hector ने भारत में अपनी सुपर लग्जरी कार को लांच किया। यकीन मानिए कि एजी हेक्टर कार बनाने कंपनी को तथाकथित मंदी के बावजूद रिकॉर्ड तोड़ रिस्पांस मिला। इतना कि कंपनी को अपनी कार बुंकिंग बंद करनी पड़ गई। कार का इतना डिमांड था, जितना कंपनी की कार का प्रोडक्शन नहीं था। अभी हाल ही में एक और कार निर्माता कंपनी ने KIA Selto नामक कार भारत में लांच किया है और पहले ही दिन भारतीय कार प्रेमियों ने 6000 कारों की बुकिंग करवा ली है और कार की बुकिंग लगातार तेजी से बढ़ रही है। इसका कतई यह मतलब नहीं है कि ऑटो सेक्टर में स्लो डाउन नहीं है, लेकिन यह स्लो डाउन लग्जरी इंडस्ट्री तक ही सीमित है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए तो बिल्कुल चिंता का विषय नहीं कहा जा सकता है।

स्लो डाउन के लिए रिकॉर्ड प्रोडक्शन भी है जिम्मेदार

ऑटो इंडस्ट्री में स्लो डाउन के लिए विभिन्न ऑटो कंपनियों द्वारा किया गया रिकॉर्ड तोड़ प्रोडक्शन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि कार कंपनियां भारतीय मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति और उत्तरोत्तर बढ़ती आय को पैमाना मानकर कार प्रोडक्शन उसकी डिमांड के आधार पर वर्ष दर वर्ष बढ़ाती गई, लेकिन आय में लगातार गिरावट के बाद जब मध्यम वर्ग ने लग्जरी सामानों से मुंह फेर लिया तो साल दर साल उत्तरोत्तर कारों को प्रोडक्शन कर रहीं कंपनियों का कलेजा मुंह को आ गया, क्योंकि मध्यम वर्ग ने कार समेत अन्य लग्जरी चीजों की डिमांड कम कर दी, जिससे पहले से तैयार माल फैक्टरी और शो रूम में पड़े रह गए और कंपनी को प्रोडक्शन बंद करना पड़ गया।

Auto

लैंड स्लाइड बदलाव के लिए तैयार नहीं थी कंपनियां

भारतीय बाजार में मध्यम वर्ग के मूड को पहचान को समझने वाली कंपनियां ही बेहतर व्यापार कर पाती है। ऑटो और टेक्सटाइल समेत अन्य लग्जरी सामानों के निर्माण से जुड़ी कंपनियों ने बहुसंख्यक मध्यम वर्ग की उत्तरोत्तर बढ़ती आय वृद्धि और डिमांड के आधार पर प्रोडक्शन वैल्यू को बढ़ाती हैं, लेकिन लगता है ऑटो सेक्टर पारंपरिक बचत को प्रोत्साहन देने वाले मध्यम वर्ग के मूड से बिल्कुल वाकिफ नहीं थी अन्यथा प्रोडक्शन समीक्षा को महत्व देती और मध्यम वर्ग के मूड और प्राथमिकताओं के बारे में उन्हें जरूर पता होता।

मध्यम वर्ग की आय में गिरावट की शिकार हुईं इंडस्ट्री

वर्ष 2015 के बाद खासकर भारतीय मध्यम वर्ग की आय वृद्धि दर में लगातार कमी आती गई है, जो मौजूदा दौर में ऑटो और टेक्सटाइल समेत अन्य लग्जरी सामान बनाने वाली इंडस्ट्री में आई मंदी के लिए जिम्मेदार हैं। आय वृद्धि दर में उत्तरोतर आई कमी के चलते उन्हीं सेक्टर से जुड़े इंडस्ट्री को मंदी का नुकसान पहुंच रहा है, जो लग्जरी सामान बनाते हैं। लग्जरी सामान सीधे तौर पर उपभोक्ता के निवेश और बचत शक्ति से जुड़े हुए हैं।

Auto

ऑटो इंडस्ट्री, जो लग्जरी प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की खरीदारी कंज्यूमर तभी कर सकता है जब आय के स्रोत पहले की तरह ही सुदृढ़ हों, लेकिन आय वृद्धि में गिरावट ने मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा कर दिया। लोगों ने डिमांड करना कम कर दिया, लेकिन लगातार बढ़ती मांग से उत्साहित कंपनियों ने प्रोडक्शन जारी रखा और भारतीय बाजार का रीव्यू नहीं किया।

प्रोडक्शन रीव्यू नहीं करने से चौपट हुआ धंधा

ऑटो सेक्टर समेत दूसरे लग्जरी सामानों का निर्माण करने वाली कंपनियों के पहले से तैयार माल की बिक्री दर कम होने का सीधा कनेक्शन मध्यम वर्ग की आय से जुड़ा हुआ और आय में लगातार हुई कमी के चलते लोगों की उपभोग, निवेश और बचत बाधित हो गई और कंपनियों की तैयार मामलों की बिक्री घटती चली गईं है, जिससे अब कंपनियों को प्रोडक्शन तक बंद करना पड़ रहा है, क्योंकि मांग घटने से पहले तैयार प्रोडक्ट शो रुम में सड़ रहे हैं और कंपनी अब और प्रोडक्शन का जोखिम क्यों लेगी। यही कारण हैं कि कंपनिया कास्ट कटौती के नाम पर अब उन कर्मचारियों की छंटनी करने पर अमादा है, जिन्हें उन्होंने लोगों की बढ़ती आय के समय बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए नौकरी पर रखा था।

auto

हर आठवें साल आती है मंदी, भारत पर नहीं पड़ता है असर

अर्थ विश्लेषकों की मानें तो अर्थव्यवस्था में मंदी अमूमन हर आठवें साल आती है और इसी तर्क के आधार पर मंदी का आना ही है, क्योंकि 8 वर्ष पहले भी वैश्विक मंदी से भारत ही नहीं, दुनिया भी जूझ चुकी है। वर्ष 2016-17 में भारत की जीडीपी विकास दर 8.2% थी, जो वर्ष 2018-19 में 5.8% पर पहुंच गई है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की रिसर्च के मुताबिक आशंका है कि वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह और नीचे गिरकर 5.6% पर पहुंच सकती है। चूंकि विकास की रीढ़ कहे जाने वाले निजी उपभोग का भारतीय जीडीपी में करीब 60 फीसदी योगदान है, इसलिए इसमें दर्ज हो रही गिरावट चिंता का विषय जरूर कहा जा सकता है।

सिटी ट्रैफिक, मेट्रो विस्तारीकरण और कैब सुविधाएं भी जिम्मेदार

भारतीय ऑटो इंडस्ट्री में मौजूदा मंदी के पीछे भारतीय के पारंपरिक बचत प्रोत्साहन की नीति है, लेकिन जिस मध्यम वर्ग के प्राथमिकता बदलने से ऑटो इंडस्ट्री मंदी की मार से जूझ रही है उसके लिए सड़कों पर तेजी से बढ़ा ट्रैफिक भी जिम्मेदार है। सिटी मेट्रो का विस्तारीकरण और कैब सुविधाओं ने भी लोगों को कारों से दूर रखने में खूब भूमिका अदा कर रही है। अभी पूरे देश के करीब 10 बड़े शहरों में मेट्रों का विस्तार हो चुका है, इनमें कोलकाता, दिल्ली, बंगलुरू, गुरूग्राम, मुंबई, चेन्नई, जयपुर, कोच्चि, हैदराबाद और लखनऊ मेट्रों शामिल हैं।

auto

मेट्रो के जरिए एक जगह से दूसरी जगह आराम से सफ़र रहा मध्यम वर्ग कारों से इसलिए भी दूरी बना रही है, जिससे ऑटो इंडस्ट्री को डिमांड कम होने से प्रोडक्शन घटाने को मजबूर होना पड़ रहा है। आज लोग अपनी गाड़ी सड़क पर निकालने से बेहतर कैब सुविधा का उपयोग करने लगे है, जिससे उन्हें अनावश्यक दुविधा से भी बचने में आसानी हो रही है। इसलिए ऑटो इंडस्ट्री जैसे दूसरे लग्जरी सेक्टर में आ रही मंदी को एक नजरिए से देखना भी उचित हैं।

यह भी पढ़ें-Auto Industry: तो इसलिए मंदी की शिकार हो रही हैं ऑटो और टेक्सटाइल इंडस्ट्री

Comments
English summary
Buzz in Indian Auto industry of recession but Indian citizen are dying to buy earlier launched car MG Hector and KIA seltos which totally luxury range cars.Who is buying this car if Indian auto industry facing recession
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X