रियलिटी चेक: बॉम्बे हाईकोर्ट के दखल के बावजूद निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों को लूटा जा रहा है
नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो दिन पूर्व एक याचिका की सुनवाई पर महाऱाष्ट्र सरकार से जानना चाहा था कि क्या उसने ऐसी क्या कोई व्यवस्था बनाई है, जिससे कोरोना महामारी के बीच यह सुनिश्चित हो सके कि अस्पताल मरीजों को लूट न सके। हाईकोर्ट ने इस बारे में राज्य सरकार व दो अस्पतालों को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। याचिका में दावा किया गया था कि कोरोना महामारी के दौरान अस्पताल व नर्सिंग होम मरीजों से पीपीई किट, ग्लोव्स, मास्क व दूसरी वस्तुओं के लिए मनमाना रकम वसूल रहे हैं।
सुशांत केसः CBI जांच से अब तक भाग रही महाराष्ट्र सरकार और अब रिया चक्रवर्ती हुईं फरार?
4 अस्पतालों में हुए रियलिटी चेक में याचिका में किए दावों की पुष्टि हुई
मिरर द्वारा मामले में किए गए एक रियलिटी चेक में जो बात सामने आई है, वह याचिका में किए दावे की पुष्टि करती नजर आती है। बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता अभिजीत मगड़े की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि उसकी मां ठाणे की जुपिटर अस्पताल में एक बीमारी के इलाज के लिए भर्ती थी, जहां उन्हें सिर्फ पीपीई किट का 72,806 रुपए बिल दिया गया है, जबकि एक अन्य मरीज से दूसरे अस्पताल में तीन दिन में किट के लिए 16 हजार रुपए का बिल दिया गया था। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 7 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है।
महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक लूट रोकने के लिए कोई तंत्र विकसित नहीं किया
गत बुधवार को मिरर द्वारा किए गए रियलिटी चेक पता चला है कि निजी अस्पतालों में लूटमार को रोकने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा अभी तत कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया है, जिससे निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के साथ अंधाधुंध लूटमार जारी है।
सामान्य बिस्तर के लिए 18,500 और आईसीयू बेड के लिए 35,000 रुपए
निजी अस्पतालों में कोरोना रोगी को एडमिट करने के लिए रेट कार्ड जानने के लिए मिरर ने 50 से कम बेड वाले विले पार्ले और बोरिवली के बीच पश्चिमी उपनगरों में चार नर्सिंग होम का दौरा किया और पाया कि उक्त चारो नर्सिंग होम में क्रमशः सामान्य बिस्तर के लिए 18,500 रुपए और आईसीयू बिस्तर के लिए 35,000 रुपए प्रति दिन चार्ज किए जा रहे थे। इस लागत में दवाएं और रक्त जांच शुल्क शामिल नहीं हैं। इतना ही नहीं, नर्सिंग होम ने सामान्य वार्ड में प्रवेश के लिए 1 लाख रुपए और आईसीयू में भर्ती होने के लिए 2 लाख रुपए और भी मांगे गए।
कोरोना मरीजों के सामान्य बेड के लिए 4000 शुल्क फिक्स किया था
गत 21 मई को राज्य सरकार की ओर से कोविद-19 मरीज के बिस्तर के शुल्क को कम करके क्रमशः सामान्य बिस्तर के लिए 4,000 रुपए, वेंटिलेटर के बिना आईसीयू बिस्तर के लिए 7,500 रुपए और वेंटीलेटर के साथ आईसीयू के लिए 9,000 रुपए शुल्क निर्धारित किए थे। इस शुल्क में ड्रग्स, डॉक्टर परामर्श शुल्क, नर्सिंग, भोजन और बिस्तर शुल्क शामिल था।
किसी में नर्सिंग होम्स में 4,000 रुपए प्रतिदिन वाले बेड उपलब्ध नहीं थे
चारों नर्सिंग होमों में किसी में भी 4,000 रुपए प्रतिदिन वाले सबसे बुनियादी बिस्तर नहीं मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं था। म्युनिसिपल के अतिरिक्त कमिश्नर सुरेश काकानी ने मिरर को बताया कि वार्ड वॉर रूम में नियुक्त अधिकारियों को आरोपों की निगरानी करने और अस्पतालों का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है।
शिकायतों के बाद बोरीवली के चार निजी अस्पतालों से छीना गया दर्जा
तीन दिन पहले बीएमसी द्वारा मरीजों को ओवरचार्ज करने की कई शिकायतों के बाद बोरीवली के चार निजी अस्पतालों से कोविद -19 उपचार सुविधाओं के रूप में उनका दर्जा छीन लिया गया है।
छोटे नर्सिंग होम बड़े अस्पतालों से अधिक शुल्क ले रहे हैं
नर्सिंग होम का अत्यधिक शुल्क वसूलने का मुद्दा उठाने वाले मालाड के भाजपा समूह के नेता और निगम पार्षद विनोद मिश्रा ने बताया कि' बीएमसी की ऐसे लूटने वाले हॉस्पिटलों पर कोई निगरानी अथवा जांच नहीं की है, जहां छोटे नर्सिंग होम बड़े अस्पतालों से अधिक शुल्क ले रहे हैं।
कैप्ड दरों के साथ कोविद -19 सुविधा चलाना संभव नहीं हैः AMC
एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स के अध्यक्ष डॉ. दीपक बैद ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा दरों के कैपिंग को मजबूर किया गया। हमारे साथ इस पर कभी चर्चा नहीं हुई और हमारे सुझाव नहीं लिए गए। हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि कैप्ड दरों के साथ कोविद -19 सुविधा चलाना संभव नहीं है।