महिलाओं के आरक्षण के मामले में सामने आया भाजपा का असली चेहरा, केंद्र सरकार अध्यादेश ला सकती
महिलाओं के आरक्षण के मामले में सामने आया भाजपा का असली चेहरा, भाजपा शासित राज्य ही नहीं पास कर रहे हैं बिल, योगी आदित्यनाथ हैं महिलाओं के आरक्षण के खिलाफ, यूपी में नहीं पास हुआ बिल
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महिलाओं के आरक्षण के लिए हाल ही में एक पत्र लिखा था, जिसके बाद माना जा रहा है कि मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल की समीक्षा कर सकती है। लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण तो पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण लाने पर सरकार विचार कर रही है, माना जा रहा है कि इसके लिए केंद्र सरकार अध्यादेश ला सकती है।
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भाजपा के भीतर उठे थे विरोध के सुर
पूर्व ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने 2016 में यह सुझाव सामने रखा था कि तीनों जगह पर महिलाओं के लिए आधी सीटें आरक्षित रखी जाएं, इसके लिए संविधान संसोधन बिल लाया जाए, जिससे कि सभी तीनों ग्रामीण इकाइयों, जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल हैं, वहां महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया जाए। लेकिन जिस तरह से इसके खिलाफ विरोध के सुर उठे वह भी खासकर भाजपा के भीतर से, उसे देखते हुए मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को छोड़ दिया और राज्यों को इस बात की जिम्मेदारी दी कि वह अपना कानून खुद बनाएं।
16 राज्य कर चुके हैं लागू
संविधान के 73वें व 74वें संशोधन के अनुसार जिसे 1993 में पास किया गया था, सभी ग्रामीण और शहरी निकायों में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई थी। जिस वक्त चौधरी बीरेंद्र सिंह ने 2016 में 50 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव सामने रखा था, उस वक्त 16 राज्य पहले से ही इस कानून को पास कर चुके थे। लेकिन उसके बाद चार अन्य राज्यों ने भी इस कानून को पास किया है, जिसमें पंजाब भी शामिल है, जिसने इसी वर्ष जुलाई में इसे पास किया है। पंजाब सरकार की कमान संभालने के चार महीने के भीतर ही अमिरंदर सिंह सरकार ने इस कानून को पास कर दिया था।
भाजपा शासित राज्य सबसे पीछे
हालांकि
भाजपा
शासित
प्रदेश
उत्तर
प्रदेश,
हरियाणा,
गोवा
और
जम्मू
कश्मीर
में
अभी
तक
यह
कानून
पास
नहीं
किया
गया
है।
इसके
अलावा
पूर्वोत्तर
भातर
के
राज्य
मणिपुर,
मिजोरम,
मेघालय,
नागालैंड,
अरुणाचल
प्रदेश
में
भी
अभी
तक
इस
तरह
का
कानून
पास
नहीं
किया
गया
है।
मंत्रालय
के
सूत्र
का
कहना
है
कि
कुछ
राज्यों
ने
इसके
लिए
लिए
संविधान
की
विशेष
धारा
243
(एम)
का
जिक्र
किया
है
जो
कहती
है
कि
पंचायती
राज
से
संबंधित
संविधान
की
धारा
उनपर
लागू
नहीं
होती
है।
महिला आरक्षण के खिलाफ योगी आदित्यनाथ
वहीं
अगर
उत्तर
प्रदेश
की
बात
करें
तो
ग्राम
विकास
एवं
पंचायती
राजय
मंत्री
नरेंद्र
सिंह
तोमर
ने
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
के
सामने
यह
मुद्दा
उठाया
है।
एक
शीर्ष
अधिकारी
ने
बताया
कि
मंत्री
ने
योगी
आदित्यनाथ
के
सामने
यह
मुद्दा
उठाया
है,
ऐसे
में
अब
यह
राज्य
सरकार
पर
है
कि
वह
इस
कानून
को
पास
करना
चाहती
है
या
नहीं।
आपको
बता
दें
कि
पूर्व
में
योगी
आदित्यनाथ
ने
महिलाओं
के
आरक्षण
के
खिलाफ
अपना
बयान
दिया
था।
उन्होंने
अपनी
आधिकारिक
वेबसाइट
पर
लिखा
था
कि
महिला
शक्ति
को
आजादी
की
जरूरत
नहीं
है,
बल्कि
उन्हें
सुरक्षा
देने
की
जरूरत
है
और
उन्हें
बेहतर
तरीके
से
चैनलाइज
करने
की
जरूरत
है।
उन्होंने
कहा
था
कि
मौजूदा
समय
में
जरूरत
है
कि
ग्राम
सभा,
ग्राम
पंचायत
और
स्थानीय
निकाय
में
दिए
जा
रहे
आरक्षण
का
मूल्यांकन
किया
जाए।
इसके
आधार
पर
इस
बात
का
फैसला
किया
जाना
चाहिए
कि
क्या
जो
महिलाएं
पुरुषों
की
तरह
राजनीतिक
में
सक्रिय
हैं
वह
बतौर
मां,
बहन,
बेटी
के
तौर
पर
अपनी
जिम्मेदारियों
का
वहन
कर
पा
रही
हैं।