कर्नाटक से भी अटूट रिश्ता है हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर का इसलिए यहां मन रहा है जश्न
शिमला। हिमाचल के मुखिया अब सादगी पसंद जयराम ठाकुर के हाथ में जा रही है, वो राज्य के 13वें सीएम हैं। कहा जा रहा है कि सादगी पसंद जमीनी नेता जयराम ठाकुर पर मोहर इसलिए लगी क्योंकि वो पीएम मोदी की पहली पसंद थे। यूं तो जयराम ठाकुर पहाड़ों के बेटे हैं लेकिन उनका एक अटूट संबंध कर्नाटक से भी है, जी हां वो यहां के जमाई हैं, उनकी पत्नी डॉ. साधना ठाकुर, कर्नाटक के शिवामोगा की रहने वाली हैं लेकिन उनका बचपन जयपुर ( राजस्थान) में बीता है, दोनों ने प्रेम विवाह किया है इसलिए आज कर्नाटकवासी भी ठाकुर की इस सफलता पर काफी खुश हैं।
दोनों की पहली मुलाकात कॉलेज में
जयराम और साधना दोनों की पहली मुलाकात कॉलेज में तब हुई जब साधना खुद एबीवीपी की तेज तर्रार सदस्य हुआ करती थीं, तब जयराम ठाकुर जम्मू कश्मीर में बीजेपी के लिए काम कर रहे थे, दोनों की मुलाकात पहले दोस्ती में बदली, फिर दोनों के विचार मिले और फिर ये रिश्ता प्रेम में तब्दील हो गया और दोनों ने एक-दूसरे का हमसफर बनने का फैसला किया।
शादी के बाद राजनीति से दूरी
आज दोनों के प्यार की बगिया में दो बेटियां फूल के रूप में मुस्कुरा रही हैं। साधना ने शादी के बाद राजनीति से दूरी बना ली, वो पेशे से डॉक्टर हैं, वो हिमाचल में चिकित्सा का काम करती हैं, वो ब्लड डोनेशन और हेल्थ चेकअप का काम करती हैं।
हर कसौटी पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा
गौरतलब है कि जयराम ठाकुर का नाम सीएम की कुर्सी के लिए फाइनल करने के लिए भाजपा को काफी माथापच्ची करनी पड़ी थी। रविवार को शिमला में विधायक दल की बैठक के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र तोमर ने विधायक दल के नेता के तौर पर उनके नाम का ऐलान किया। इस ऐलान के बाद जयराम ठाकुर ने पार्टी के सभी लोगों को दिल से शुक्रिया बोला और मीडिया को संबोधित किया। जयराम ने कहा कि पार्टी और जनता ने मुझ पर भरोसा जताया है इसलिए मैं उनकी हर कसौटी पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा।
छोटे से गांव में 6 जनवरी 1965
हिमाचल के छोटे से गांव में 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और बृकु देवी के घर जन्मे जय राम ठाकुर का बचपन काफी गरीबी में बीता है इसलिए उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा अच्छे है और इसी वजह से वो गरीब-तबके लोगों के काफी करीबी कहे जाते हैं।
बगस्याड़ स्कूल
जय राम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्राइमरी करने के बाद बगस्याड़ स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की और एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया। साल 1988 में उन्होंने बीजेपी के टिकट से विधायक का चुनाव लड़ा और लगातार जीतते गए।
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