RBI पे-आउट की वजह से उर्जित पटेल ने दिया इस्तीफा, पैनल के सदस्य का खुलासा
नई दिल्ली। केंद्रीय बैंक के पूंजी ढांचे का अध्ययन करने के लिए गठित पैनल के एक सदस्य के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले दिसंबर में केंद्र सरकार को भंडार हस्तांतरित करने को लेकर हुए मतभेदों के चलते पद छोड़ दिया था। एनडीटीवी में छपी खबर के मुताबिक , पूर्व गवर्नर बिमल जालान के नेतृत्व वाले पैनल में शामिल राकेश मोहन ने बताया कि, सरकार द्वारा आरबीआई से सरप्लस में अधिक शेयर मांगने के चलते बैंक और सरकार के बीच मतभेद पैदा हुए थे।
यह पहला अधिकारिक बयान है जिसमें कहा गया कि, जिसमें इस बात को स्वीकार किया गया है सरप्लस विवाद के चलते उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया था। राकेश मोहन आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रह चुके हैं। उन्होंने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में बताया कि, केंद्र को 1.76 लाख करोड़ रु के रिकॉर्ड भुगतान के लिए केंद्रीय बैंक ने मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि, आपको याद होगा कि पूरा मामला आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 से सामने आया था, जिसमें मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा था कि आरबीआई के पास अधिक भंडार है। संख्या तीन लाख से नौ लाख करोड़ तक कुछ थी।
उन्होंने कहा कि, यह वह संदर्भ था जिसके लिए समिति नियुक्त की गई थी, और उन मुद्दों के बीच भी डॉ. उर्जित पटेल ने गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि उर्जित पटेल ने पिछले साल पद छोड़ने के अपने फैसले के पीछे की वजह व्यक्तिगत कारणों बताए थे। रिजर्व बैंक ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों को अमल में लाते हुये सोमवार को रिकार्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांश और अधिशेष आरक्षित कोष सरकार को ट्रांसफर करने का फैसला किया है।
इससे नरेंद्र मोदी सरकार को राजकोषीय घाटा बढ़ाये बिना सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में मदद मिलेगी। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने 1,76,051 करोड़ रुपये सरकार को ट्रांसफर करने का फैसला किया है। इसमें 2018-19 के लिये 1,23,414 करोड़ रुपये का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान के रूप में चिन्हित किया गया है।
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