मोदी सरकार के साथ मतभेद के सवालों को टाल गए RBI गवर्नर उर्जित पटेल
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) के गर्वनर उर्जित पटेल ने केंद्र सरकार के साथ हितों के टकराव को लेकर हुए विवाद पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। सरकार की ओर से अब तक कभी नहीं इस्तेमाल की गई रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा-7 के तहत पहली बार आरबीआई को निर्देश दिए जाने और रिजर्व बैंक की कमाई में सरकार के हिस्से को लेकर नियम बनाने जैसे मुद्दों को लेकर उठाए गए संवाददाताओं के सवालों पर उन्होंने उन पर कोई टिप्पणी नहीं की।
टाल गए सरकार को लेकर किए गए सवाल
पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करने के लिए किए गए संवाददाता सम्मेलन में पटेल ने टकराव से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी करने से परहेज किया। पटेल ने कहा कि, मैं ऐसे सवालों पर टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि अभी हम मौद्रिक नीति के नतीजे पर चर्चा कर रहे हैं। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य द्वारा केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के बयान और रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी प्रबंधन नियम के बारे में पूछे गए सवालों को इसी तरीके से टाल दिया।
रेपो रेट को पहले के स्तर 6.5 प्रतिशत पर ही बरकार रखा
पटेल ने कहा, 'क्या ये सवाल मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) से जुडे़ हैं? मुझे तो ऐसा नहीं लगता। हम यहां एमपीसी के प्रस्ताव और मैक्रोइकॉनमी पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। रिवर्ज बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली बैठक में केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट को पहले के स्तर 6.5 प्रतिशत पर ही बरकार रखने का निर्णय किया गया है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने सोच-विचार के साथ मौद्रिक नीति को कड़ा करने के अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया है।
मिंट रोड और नॉर्थ ब्लॉक के बीच के संबंधों में कड़वाहट घुली
बता दें कि, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 के तहत केंद्रीय बैंक के साथ चर्चा के बाद से ही मिंट रोड और नॉर्थ ब्लॉक के बीच के संबंधों में कड़वाहट घुली हुई है। सेक्शन 7 सरकार को जनहित के मुद्दों पर आरबीआई को निर्देश देने का अधिकार देता है, जिसका अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है। केंद्रीय बैंक के सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने लगभग दर्जन भर मांगों को लेकर 10 अक्टूबर तक आरबीआई को तीन पत्र भेज चुकी है, जिसका जवाब एक सप्ताह के भीतर ही दिया गया था।
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