आरबीआई गवर्नर बोले- सरकार ने नहीं मांगा है अतिरिक्त अंतरिम लाभांश, मीडिया रिपोर्ट्स गलत
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया है कि सरकार केन्द्रीय बैंक से 30,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश मांग सकती है। दास ने कहा कि, उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सरकार ने 30 हजार करोड़ रुपए की मांग की है। बता दें कि, मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि, चालू वित्त वर्ष के अंत में 3.3 फीसदी वित्तीय घाटे के लक्ष्य पर खरा उतरने के लिए सरकार आरबीआई से 30,000 करोड़ रुपए का अंतरिम लाभांश मांग सकती है।
रिजर्व बैंक की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद दास ने इस संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा, मैंने भी इसे (अंतरिम लाभांश मांग) मीडिया में देखा है। सरकार की तरफ से अंतरिम लाभांश मांगे जाने के बारे में मुझे किसी तरह की जानकारी नहीं है। बता दें कि, रिपोर्ट में कहा गया था कि राजस्व संग्रह में कमी और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के कारण सरकार पर दबाव है। इसलिए सरकार बैंक से लाभांश ले सकती है।
दरअसल सरकार ने कंपनी कर में करीब 10 प्रतिशत की कटौती की है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर बढ़ाया गया अधिभार वापस ले लिया है। विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली नई कंपनियों के लिये कर की दर घटाकर 15 प्रतिशत कर दी। अर्थव्यवस्था में मांग और निवेश बढ़ाने के लिये किये गये इन उपायों से सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है। इसी के मद्देनजर मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार चालू वित्त वर्ष के आखिरी महीनों में केंद्रीय बैंक से 30,000 करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के रूप में मांग सकती है।
2017-18 में सरकार ने आरबीआई से 10,000 करोड़ रुपए का अंतरिम लाभांश हासिल किया था। पिछले महीने आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने बिमल जालान समिति की रिपोर्ट के मुताबिक अपने सरप्लस में से सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपए हस्तांतरित किए जाने की मंजूरी दी थी। इस राशि में से 1,23,414 करोड़ रुपए 2018-19 के लिए सरप्लस है, जबकि 52,637 करोड़ रुपए आरबीआई के लिए संशोधित इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) के रूप में अतिरिक्त प्रावधान है।
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