एमएसएमई सेक्टर को आरबीआई ने दी राहत, लोन रिस्ट्रक्चरिंग की मोहलत बढ़ाई
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई सेक्टर के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग की मोहलत बढ़ाकर 3 मार्च 2021 तक कर दी है। जिन एमएसएमई का खाता क्लासिफाइड मानकों के हिसाब से होगा, वे कर्ज के रीस्ट्रक्चरिंग के पात्र होंगे। आरबीआई ने बुधार को इसको लेकर जानकारी दी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमएसएमई के लिए पुनर्गठन फ्रेमवर्क, जो डिफॉल्ट रूप से लागू है, पहले से ही मौजूद है। इस स्कीम से बड़ी संख्या में एमएसएमई को फायदा मिला है।
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आरबीआई ने एमएसएमई को अपने लोन का पुनर्गठन करने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। 1 मार्च 2020 को उन पर बैंकों और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) का कुल लोन 25 करोड़ रु से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 1 मार्च 2020 को कर्जदार का खाता 'स्टैंडर्ड एसेट' होना चाहिए। पुर्नगठन लागू होने की डेट पर फर्म जीएसटी रजिस्टर्ड होनी चाहिए। हालांकि यह शर्त उन एमएसएमई पर लागू नहीं होगी जो जीएसटी-पंजीकरण से मुक्त हैं।
आरबीआई ने स्टार्टअप्स को किसी तरह फंडिंग की दिक्कत ना हो इसके लिए आरबीआई ने प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग में स्टार्टअप्स शामिल करने और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के लिए कर्ज लेने की लिमिट बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत रिजर्व बैंक ने स्मॉल एंड मार्जिनल फॉर्मर्स और वीकर सेक्शन को बांटे जाने वाले लोन का लक्ष्य बढ़ाने का फैसला किया है। अब इन्हें बैंक से आसानी से लोन मिल सकेगा।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में भी बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 4 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर स्थिर है। आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि आने वाले वक्त में अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद अभी भी कम ही है और ये बुरी खबर इसलिए है क्योंकि कोविड-19 के मामलों में कमी की बजाए बढ़ोतरी हो रही है।
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