Covid19 को RBI ने भविष्य पर मंडरा रही काली छाया बताया, जानिए RBI मौद्रिक नीति की 10 बड़ी बातें?
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को कहा कि कोरोनो वायरस महामारी को "भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर लटकी एक काली छाया करार दिया है। आरबीआई के मुताबिक महामारी की वजह से घोषित लॉकडाउन देश की आर्थिक गतिविधि को सीधे प्रभावित करेगा।
बुधवार को जारी अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि COVID-19 महामारी के चलते वैश्विक व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण है कि इससे वैश्विक उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखला, व्यापार और पर्यटन में बड़े पैमाने पर अव्यवस्थित हुआ है।
भारत के एक मात्र उद्योगपति, जिनकी संपत्ति में लॉकडाउन के बाद भी हुआ इतना बड़ा इजाफा!
गौरतलब है आरबीआई यह रिपोर्ट पहले से ही मंद अर्थव्यवस्था में व्यापार को रोकते हुए भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिए घोषित 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के 16वें दिन से एक दिन पहले जारी किया है।
मालूम हो, देश में गुरुवार दोपहर 3 बजे तक कोरोना वायरस के 6000 से अधिक सक्रिय मामले आ चुके हैं और 184 मौतें हो चुकी हैं। देश में लगातार कोरोना वायरस संक्रमितों के मामले आ रहे हैं, जिसको देखते हुए माना जा रहा है कि देश में लॉकडाउन की समय-सीमा में विस्तार दिया जा सकता है।
Covid19: अति आवश्यक मेडिकल सप्लाई के लिए चीनी कंपनियों से बात कर रहा है भारत!
जानिए, RBI मौद्रिक नीति रिपोर्ट की 10 बातें-
महामारी ने देश की आर्थिक सुधार में तेजी से बदलाव किया है
आरबीआई ने कहा कि कोरोनो वायरस महामारी ने देश की आर्थिक सुधार में तेजी से बदलाव किया है। RBI ने बताया कि COVID-19 के प्रकोप से पहले 2020-21 के लिए ग्रोथ दृष्टिकोण सामान्य जा रहा था, लेकिन COVID-19 महामारी ने इस दृष्टिकोण को बुरी तरह से तहस-नहस कर दिया है।"
RBI COVID -19 की तीव्रता, प्रसार और अवधि" का आकलन कर रहा है
वर्तमान परिवेश को "अत्यधिक तरल" के रूप में वर्णित करते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह "COVID -19 की तीव्रता, प्रसार और अवधि" का आकलन कर रहा है। RBI ने कहा, "2020 में COVID-19 महामारी के साथ लॉकडाउन और वैश्विक उत्पादन में अनुमानित संकुचन का विकास ग्रोथ दृष्टिकोण पर भारी है।"
2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद में 5.0% वृद्धि का अनुमान
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद या सकल घरेलू उत्पाद में 5.0 फीसदी की वास्तविक वृद्धि का अनुमान लगाया, जो 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुआ और चालू वित्त वर्ष में 5.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान किया है, जो 31 मार्च, 2021 को समाप्त होता है। 2019-20 की अंतिम तिमाही का आधिकारिक डेटा मई-अंत में जारी की जाएगी।
2019-20 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति में दर में 6.7 फीसदी का अनुमान
केंद्रीय बैंक ने 2019-20 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मुद्रास्फीति अथवा उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि की दर में 6.7 फीसदी का अनुमान लगाया है और जनवरी-मार्च 2021 में यह अनुमान 3.2 फीसदी रखा है। अपनी मौद्रिक संरचना बनाते समय उपभोक्ता मुद्रास्फीति पर नज़र रखने वाली आरबीआई ने जारी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में यह सुनिश्चित किया है मुद्रास्फीति आगे लक्ष्य के भीतर बनी रहेगी।
कोरोनो वायरस का प्रकोप मुद्रास्फीति पर "अस्पष्ट" प्रभाव डालेगा
आरबीआई ने कहा कि कोरोनो वायरस का प्रकोप मुद्रास्फीति पर "अस्पष्ट" प्रभाव डालेगा। आरबीआई ने कहा कि आपूर्ति की गड़बड़ी के कारण गैर-खाद्य पदार्थों की कीमतों में संभावित लागत में वृद्धि से खाद्य कीमतों में संभावित गिरावट की संभावना है"। कई अर्थशास्त्रियों ने लॉकडाउन में जरूरी सामानों की खरीद के मामले में पैदा की गई दहशत से दुनिया भर में आपूर्ति बाधित होने की चेतावनी दी है।
RBI ने मौजूदा समय के लिए "नीतिगत" रुख जारी रखने का संकेत दिया है
केंद्रीय बैंक ने आगे बढ़ने के लिए मौजूदा समय के लिए "नीतिगत" रुख जारी रखने का संकेत दिया। आरबीआई ने कहा कि विकास को पुनर्जीवित करने और COVID -19 के प्रभाव को कम करने के लिए तरलता की स्थिति को संशोधित नीति के तहत संशोधित ढांचे के तहत जब तक आवश्यक हो प्रबंधित किया जाएगा। पिछले महीने के अंत में एक आपातकालीन कदम में आरबीआई ने 75 प्रमुख अंकों की तुलना में अपनी प्रमुख उधार दर में कटौती की थी और घरेलू बाजारों में रुपए और डॉलर की तरलता को इंजेक्ट करने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी।
कैलेंडर वर्ष 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था के मंदी में प्रवेश करने चेतावनी दी
RBI ने "पोस्ट-COVID अनुमानों" का हवाला देते हुए कैलेंडर वर्ष 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था के मंदी में प्रवेश करने वाली की भी चेतावनी दी है। बकौल आरबीआई, दुनिया भर के वित्तीय बाजार अत्यधिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं, क्योंकि वैश्विक कमोडिटी की कीमतें, विशेष रूप से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है।"
वित्त वर्ष 2020-21 के अंत में रेपो दर का अनुमान 4.65 फीसदी लगाया
रेपो दर यानी प्रमुख ब्याज दर, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक धन उधार देता है। उसने वित्त वर्ष 2020-21 के अंत में रेपो दर का अनुमान 4.65 फीसदी लगाया है। केंद्रीय बैंक ने दोहराया कि स्थिति अत्यधिक अनिश्चित बनी हुई है और इसलिए वह जीडीपी वृद्धि पर कोई अनुमान प्रदान करने से परहेज कर रही है।
उठाए गए महत्वपूर्ण उपाय घरेलू मांग पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करेंगे
मौद्रिक नीति रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई और सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण उपाय घरेलू मांग पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करेंगे और सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद करेंगे। आरबीआई ने कहा है कि इस समय मुद्रास्फीति के अनुमानों के आसपास जोखिम संतुलित है और अस्थायी दृष्टिकोण हालिया इतिहास के सापेक्ष सौम्य है, लेकिन COVID-19 भविष्य पर एक काली छाया की तरह लटका है।"
2019 के आखिरी 3 महीनों में सबसे खराब गति से बढ़ी है अर्थव्यवस्था
आरबीआई के मुताबिक 2019 के आखिरी तीन महीनों में छह साल से अधिक समय में सबसे खराब गति से अर्थव्यवस्था बढ़ी है और 2019-20 के लिए आधिकारिक अनुमान 5 प्रतिशत की वृद्धि दर का संकेत देते हैं। यह 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद विकास की सबसे धीमी गति है। मालूम हो, कि देश में गुरुवार दोपहर 3 बजे तक कोरोना वायरस के 6000 से अधिक सक्रिय मामले आ चुके हैं और 184 मौतें हो चुकी हैं।