पुरानी जगह पर ही बनेगा रविदास मंदिर, केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर
नई दिल्ली। दिल्ली में रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने रविदास मंदिर मामले पर केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इसके पहले, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डीडीए ने तुगलकाबाद इलाके में रविदास मंदिर को गिरा दिया था, जिसका जमकर विरोध हुआ था और दलित संगठन मंदिर गिराए जाने के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे।
इस मामले में 18 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा था कि संवेदनशीलता और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए सरकार उसी जगह पर 200 वर्ग मीटर जमीन मंदिर निर्माण के लिए देने को तैयार है। केंद्र सरकार ने मंदिर कमेटी को जगह देने का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था। सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया था भक्तों की एक कमेटी को मंदिर निर्माण के लिए सरकार 200 वर्ग मीटर जमीन देगी।
आज की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया। हालांकि, सर्वोच्च अदालत में केंद्र सरकार ने रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पहले के मुकाबले दो गुना जमीन देने की बात कही। अटॉनी जनरल ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 400 वर्ग मीटर जमीन दी जा सकती है। केंद्र के जमीन देने के प्रस्ताव को स्वीकार करने साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश भी दिया कि यहां कोई भी व्यापारिक गतिविधि स्वीकार नहीं की जाएगी।
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल को 6 महीने की जेल, इस मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा
साथ ही केंद्र को 6 हफ्ते के भीतर एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया जो मंदिर निर्माण की देखरेख करेगी। कोर्ट ने कहा कि समिति के सदस्य के तौर पर पूर्व सदस्य और अन्य लोग केंद्र सरकार को इसके लिए आवेदन भेज सकते हैं। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने उसी जगह मंदिर निर्माण के जमीन देने का प्रस्ताव कोर्ट में रखा था।