रविशंकर प्रसाद बोले- सुप्रीम कोर्ट के जज कड़वे शब्दों से करें परहेज
नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को राज्यसभा में कड़वे शब्दों के इस्तेंमाल से परहेज करने की कोशिश की। वो उच्च सदन में आधार मामले में अल्पमत के फैसले इस्तेमाल किए गए संवैधानिक धोखाधड़ी जैसी टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे। प्रसाद ने बैंक खाता खोलने और मोबाइल फोन कनेक्शन प्राप्त करने के लिए आधार के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन करने के लिए चल रही बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के जजों का सम्मान करती है और उन्हें भी ऐसा करना चाहिए।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह अल्पमत का उल्लेखनीय फैसला है। मैं पूरी विनम्रता से यह सदन में कहना चाहता हूं। हम सुप्रीम कोर्ट के जजों का सम्मान करते हैं, लेकिन संवैधानिक धोखाधड़ी जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। वो सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री भी हैं। उन्होंने किसी जज का नाम तो नहीं लिया। लेकिन उनके जवाब से साफ है कि वह कांग्रेस नेता जयराम रमेश के दिए उस बयान का हवाला दे रहे थे जिसमें उन्होंने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के 500 पेज के अल्पमत के फैसले का हवाला दिया था।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में संसद में आधार विधेयक को धन विधेयक के तौर पर पारित करने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने अल्पमत का उक्त फैसला सुनाया था। जयराम रमेश ने जस्टिस चंद्रचूड़ के टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि एक विधेयक को धन विधेयक के रूप में पारित करना जबकि वह इसके योग्य न हो, द्विसदन व्यवस्था को खत्म करना है जो संविधान का बुनियादी ढांचा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में पारित किए जाने को बहुमत के फैसले से सही ठहराया था। धन विधेयकों को केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है और राज्यसभा द्वारा इसे 14 दिनों के भीतर लोकसभा को वापस किया जाना होता है, या फिर बिल को लोकसभा द्वारा पारित मानते हुए दोनों सदनों में पारित माना जाता है। राज्यसभा में एनडीए के पास पूर्ण बहुमत नहीं है।