CAA: केरल सीएम पर भड़के रविशंकर प्रसाद, नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को
नई दिल्ली। केरल विधानसभा में मंगलवार को नागिरकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास किए जाने पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कड़ा एतराज जताया है। प्रसाद ने कहा कि नागरिकता केंद्र का अधिकार क्षेत्र है और ये बहुत स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ है। ऐसे में राज्य विधानसभा में कैसे इस पर प्रस्ताव लाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केरल के सीएम को किसी अच्छे कानून के जानकार से सलाह लेनी चाहिए।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, नागरिकता यूनियन लिस्ट में शामिल है। ये यूनियन लिस्ट में 17 वें स्थान पर हैं। इस पर किसी भी कानून को पारित करने का अधिकार सिर्फ संसद के पास है। किसी राज्य विधानसभा को इस पर कानून बनाने या संशोधन का अधिकार नहीं। केरल की विधानसभा को भी नहीं।
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रसाद ने कहा, संविधान में संसद और राज्य विधानसभाओं को दिए अधिकार स्पष्ट हैं। मैं केरल के मुख्यमंत्रीसे आग्रह करना चाहूंगा कि वो बेहतर कानूनी सलाह लें। उन्हें जो अधिकार ही नहीं है, वो ना करें।
वहीं महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता आरिफ नसीम खान ने कहा है कि हम केरल सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार सहित सभी राज्य सरकारों को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए, जिसमें केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग की जाए।
केरल की विधानसभा ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून को रद्द करने की मांग करते हुए राज्य विधानसभा में मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने नागरिकता कानून को रद्द करने की मांग करते हुए राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया जिसे पारित कर दिया गया। प्रस्ताव पेश करते हुए विजयन ने कहा कि ये कानून संविधान के धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने-बाने के खिलाफ है और इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव होगा।
बता दें कि इसी महीने संसद से पास हुए विवादित नागरिकता संशोधन एक्ट का देश के कई हिस्सो में काफी विरोध हो रहा है। असम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इस कानून के खिलाफ निकाले गए जुलूसों में हिंसा भी हुई है। 20 से ज्यादा लोगों की मौत प्रदर्शनों में हो चुकी है। इस कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है। धर्म आधारित नागरिकता के प्रावधान को लेकर लोग सड़कों पर हैं।
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