आखिर क्यों रतन टाटा ने नहीं की शादी, खुद बताई वजह
नई दिल्ली। उद्योगपति रतन टाटा ने खुलकर अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात की है। एक साक्षात्कार में रतन टाटा ने अपने जीवन के कई पहलुओं के बारे में बात की है और बताया कि आखिर क्यों उन्होंने शादी नहीं करने का फैसला लिया। यही नहीं रतन टाटा ने बताया कि आखिर कैसे उनके दिमाग में टाटा नैनो कार का सुझाव आया। उन्होंने कहा कि शुरुआत से अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के बारे में सोचता रहा, आने वाली पीढ़ि और समाज के लिए कुछ करना टाटा के डीएनए में है।
कैसे आया टाटा नैनो का खयाल
अपने अनुभव को साझा करते हुए रतन टाटा ने कहा कि जमशेदपुर की बात करें तो यहां हमारे वर्कर काम करते थे और काफी मुश्किलों का सामना करते थे, यहां के गांव वालों का जीवन काफी मुश्किलभरा था, जिसके बाद इन लोगों के जीवन को बेहतर करना हमारा लक्ष्य बन गया। टाटा नैनो कार के बारे में बात करते हुए रतन टाटा ने कहा कि उन्होंने एक परिवार को एक स्कूटर पर जाते देखा था, वो बारिश में भीगते हुए जा रहे थे, मैं इन लोगों के लिए कुछ करना चाहता था क्योंकि इन लोगों के पास विकल्प का अभाव था और इसकी वजह से ये लोग परिवार के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालते हैं।
टाटा नैनो के फैसले पर गर्व
जब हमने नैनो लॉन्च की इसकी कीमत काफी ज्यादा थी, लेकिन मैंने लोगों से वादा किया था और हम अपने वादे पर कायम रहे। जब मैं पीछे देखता हूं तो मुझे अपने फैसले पर गर्व होता है। 10 साल पहले टाटा नैनो देश की सबसे सस्ती कार के रूप में लॉन्च हुई थी। लेकिन बिक्री में गिरावट और कार में कई हादसों की वजह से इसके उत्पादन को बंद कर दिया गया। इस तरह की कई घटनाएं सामने आई थी जब कार के इंजन में आग लग गई थी।
2-3 बार शादी के करीब आए
अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात करते हुए रतन टाटा ने बताया कि वह 2-3 बार शादी के काफी करीब आ गए थे, लेकिन वह आगे नहीं बढ़े क्योंकि वह अपने काम के प्रति काफी समर्पित थे। रतन टाटा ने बताया कि या तो मैं हमेशा बॉम्बे हाउस में रहता था या यात्रा करता था। 2-3 लोगों से शादी के मैं बेहद करीब आ गया था, लेकिन फिर मैंने शादी नहीं की क्योंकि उन्हें मेरी वजह से पूरी तरह से बदलना पड़ता क्योंकि मेरी लाइफस्टाइल बिल्कुल अलग थी।
अब ये करना चाहते हैं रतन टाटा
अब जब रतन टाटा (82) अपने काम से रिटायर हो चुके हैं उनका कहना है कि मेरी लाइफस्टाइल फिर से बदल गई है, अब मैं गोल्फ नहीं खेलता, बीच पर कॉकटेल नहीं पीता। मेरे अंदर और बेहतर करने की ललक कभी खत्म नहीं हुई। मैं लोगों के लिए सस्ता कैंसर का इलाज मुहैया कराना चाहता, ग्रामीण भारत का जीवन बेहतर करना चाहता। मैं टाटा ट्रस्ट में यह करने की कोशिश कर रहा हूं। जब रतन टाटा से लोगों के लिए कोई सलाह देने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि सलाह छोड़िए जो सही लगे करिए, अगर यह सबसे आसान चीज हो तो भी करिए। जब आप अपनी जिंदगी को पीछे देखते हैं वह आपके लिए ज्यादा मायने रखता है, सही काम करना।