एक्टर ओम पुरी की एक दुर्लभ चीज मुझे कबाड़ के ढेर में मिली, अफसोस उसे लौटा न सका
ओम पुरी जी से प्रेरणा लेकर मैं अभिनय क्षेत्र में आया था। उनकी एक दुर्लभ चीज मेरे पास थी, जिसे मैं मिलकर लौटाना चाहता था।
दिल्ली। तमस धारावाहिक देखकर मेरे जीवन की दशा और दिशा ही बदल गई। ये भ्रम भी टूट गया कि अभिनेता बनने के लिए चॉकलेटी चेहरा और सुन्दर कद काठी होना जरूरी है। किशोरावस्था में ही ओम जी के सशक्त अभिनय ने मेरे सपनों को हवा दे दी और मैंने मन ही मन उन्हें अपना आदर्श मान लिया। Read Also: 'अर्धसत्य' नहीं खुली किताब थे ओमपुरी, जो दिल में होता वहीं जुबां पर
उस समय न मोबाइल थे, न कंप्यूटर, न ही नेट। फिल्मी पत्रिकाओं से फिल्मी ज्ञान बढ़ाता था। बहुत खोज-खबर के बाद पता चला कि ओम जी की पृष्ठभूमि रंगमंच की है और बाकायदा उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से तीन साल, अभिनय का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। तब मुझे पता चला कि कि अभिनय कला के लिए भी प्रशिक्षण लेना होता है और तभी से मै अपने आदर्श को ध्यान में रखते हुए एकलव्य की तरह रंगमंच में जुट गया। बुंदेलखण्ड के टीकमगढ़ जिले के गांव मवई से सागर विश्वविद्यालय स्नातक करने गया वहां रंगमंच से जुड़ा रहा फिर भोपाल व्यावसायिक रंगमंच से जुड़ गया और 1997 में मेरा चयन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में हो गया।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में एक दिन मैं पारसी नाटक रुस्तम सोहराब के संवाद याद करते-करते मेस के पीछे पड़े कबाड़खाने की ओर चला गया और वहां पड़े कचड़े में से अपने चरित्र के लिए तलवार जैसी कोई चीज खोजने लगा ताकि मैं उसके साथ संवाद का रिहर्सल कर सकूं। वहां अचानक मुझे एक पुराना परिचय-पत्र मिला, उस पर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा एंड एशियन थिएटर इंस्टिट्यूट लिखा था। ज्ञात हो शुरू में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा इसी नाम से जाना जाता था।
मैंने परिचय पत्र उठाया और खोल कर देखा तो वो मेरे आदर्श अभिनेता ओमपुरी जी का था। मैं उसे बहुत देर तक देखता रहा। परिचय पत्र में उनका नाम ओम पुरी, पद की जगह स्टूडेंट और सत्र 1970-1971 लिखा था। आई-कार्ड पर उनका हस्ताक्षर और उनकी जवानी की सपनों से भरी चमकती आंखों वाली श्वेत-श्याम छाया चित्र भी था, जो मेरे लिए अमूल्य था। मैंने उस परिचय पत्र को आज भी यह सोचकर सम्हाल कर रखा कि मैं स्वयं ओम जी को उनका परिचय पत्र दूंगा। उनसे मेरी अब तक तीन मुलाकात हुई थी लेकिन उस समय परिचय पत्र मेरे साथ नहीं था।
ओम जी के निधन का दुखद समाचार मिला तो मैं सन्न रह गया। बस आसमान में देखकर यही सोचता रहा कि पूरी दुनिया ने आपकी बेजोड़ अभिनय प्रतिभा का लोहा माना। आपके अभिनय को देखकर हम जैसे छोटे गांव-कस्बे के कितने ही लोगों ने अपने जीवन का लक्ष्य ही अभिनय बना लिया। आप स्वयं अभिनय के एक प्रशिक्षण संस्थान है। आप दुनिया में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं पर ओम जी, अफ़सोस कि आपका परिचय-पत्र नहीं नहीं दे पाया।
अब एक ही बात समझ आई कि जो करना हो, जल्दी कर लेना चाहिए, जीवन का कोई भरोसा नहीं। ईश्वर आपकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। मैं आपका परिचय पत्र मरते दम तक अपने पास संभालकर रखूंगा। Read Also: ओम पुरी के निधन से बॉलीवुड जगत हैरान, बोमन इरानी ने कहा- हमने एक जूनून खो दिया
(संजय श्रीवास्तव रंगकर्मी, अभिनेता और एनएसडी से ग्रेजुएट हैं। वे स्वराज, पिंजर और तलवार जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं।)