नागरिकता संशोधन कानून में हो सकता है बदलाव, केंद्रीय मंत्री बोले- CAA पर सरकार ने मांगे हैं सुझाव
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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं 40 दिनों से धरने पर बैठी हैं और वे मोदी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रही हैं। इस कानून के खिलाफ 140 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं जिनपर शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। इस बीच, मोदी सरकार के एक मंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून में बदलाव के संकेत दिए हैं।
सरकार ने कुछ सुझाव मांगे- आठवले
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने ऐसे संकेत दिए हैं कि मोदी सरकार कानून पर विचार करने के मूड में है। निर्भया के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग को लेकर मौन व्रत पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से मुलाकात के बाद रामदास आठवले ने कहा कि मोदी सरकार मुस्लिम विरोधी नहीं है। आठवले ने कहा कि लोगों की भावनाओं को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने इसपर कुछ सुझाव मांगे हैं।
लखनऊ में बोले थे शाह, सीएए वापस नहीं होगा
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी इस कानून के समर्थन में रैली कर लोगों को समझाने की कोशिश कर रही है कि इस कानून से देश के किसी नागरिक का लेना-देना नहीं है। पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ में ऐसी ही एक रैली को संबोधित किया था। इस रैली में शाह ने कहा था, 'सीएए के खिलाफ विपक्ष भ्रम फैला रहा है और देश को तोड़ने का काम किया जा रहा है।' अमित शाह ने कहा था कि जिसे विरोध करना हो करे, सीएए वापस नहीं होगा।
शाह ने विपक्ष पर साधा था निशाना
शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून में किसी की नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का प्रावधान है। अमित शाह ने विपक्षी दलों के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा था, 'राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, मायावती... मैं सार्वजनिक चर्चा के लिए तैयार हूं। अल्पसंख्यक छोड़ दीजिए, किसी की भी नागरिकता चली जाएगी, यह बता दीजिए। देश में कांग्रेस, सपा, बसपा और तृणमूल धरना और दंगे करवा रहे हैं।'
सीएए का हो रहा भारी विरोध
नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के अल्पसंख्यकों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून में मुस्लिमों को जगह ना दिए जाने का विरोध हो रहा है। विपक्ष का कहना है कि सरकार का ये कानून भेदभाव करने वाला है। इसके खिलाफ कई मुस्लिम संगठन में भी प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।