Ram Vilas Paswan: दलित-गरीब परिवार में जन्में पासवान 6 बार बने कैबिनेट मंत्री,जानिए शानदार राजनीतिक सफर
Ram Vilas Paswan started his political journey in 1969, 6 times cabinet minister
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया। उनके निधन की खबर उनके बेटे चिराग पासवान ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर देते हुए लिखा पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं। मिस यू पापा। बता दें पिछले रविवार को लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रमुख चिराग पासवान ने बताया था कि दिल्ली के एक अस्पताल में उनके पिता रामविलास पासवान का दिल का ऑपरेशन करवाया गया है। चिराग ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनके पिता को आने वाले हफ्तों में एक और सर्जरी से गुजरना पड़ सकता है लेकिन गुरुवार को अचानक हालत बिगड़ने के बाद निधन हो गया। रामविलास पासवान का निधन भारत की राजनीतिक जगत के लिए बड़ी क्षति हैं।
पिछले दो दशकों में वे केंद्र की हर सरकार में मंत्री रहे
पासवान एक ऐसे राजनेता रहे जो हर पार्टी के साथ मिल जाते थे और हर पार्टी की सरकार में मंत्री रहे। पासवान भारत की राजनीति में 'मौसम वैज्ञानिक' के नाम से भी जाने जाते थे। लालू यादव उन्हें इसी नाम से बुलाते थे। पिछले पांच दशक से राम विलास पासवान सक्रिय राजनीति में थे। पिछले दो दशकों में वे केंद्र की हर सरकार में मंत्री रहे। वहीं पिछले पचास साल में रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा के सदस्य रहे। राम विलास पासवान उस समय बिहार विधानसभा के सदस्य बने जब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार छात्र हुआ करते थे।
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दलित परिवार में हुआ था जन्म
राम विलास पासवान का जन्म जामुन पासवान और के घर पर हुआ जो बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी गाँव में रहने वाला एक दलित परिवार में हुआ था। दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। पासवान ने कोसी कॉलेज, पिल्खी और पटना विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और मास्टर ऑफ़ आर्ट्स की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से शादी की थी। 2014 में उन्होंने खुलासा किया कि उनके 1981 में लोकसभा के नामांकन पत्र को चुनौती दिए जाने के बाद उन्होंने उन्हें तलाक दे दिया था। उनकी पहली पत्नी से दो बेटियां, उषा और आशा हैं। जबकि दूसरी पत्नी से एक बेटे चिराग पासवान व एक बेटी है
निजी जिंदगी अक्सर परदे में रही
देश की राजनीति में इतना नाम कमाने वाले पासवान की निजी जिंदगी हमेशा पर्दे में ही रही। उनकी निजी जिंदगी पर बातें तभी हुई जब विवाद हुए। पासवान ने दो शादियां की थी। पासवान की पहली पत्नी अब भी उनके गांव शहरबन्नी में रहती हैं और इन दिनों बीमार भी हैं।
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राम विलास पासवान ने 1969 में शुरू किया था अपना राजनीतिक सफर
रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। रामविलास पासवान आठ बार लोकसभा सदस्य और पूर्व राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। वे अध्यक्ष, विचार शक्ति, 2002 रह चुके हैं। वे एससी / एसटी कल्याण समिति 1977-78; डीडीए सलाहकार परिषद, 1980-85; संसदीय राजभाषा समिति, 1980-85 और 1989-95 एआईआईएमएस सलाहकार समिति, 1991-96 और न्यायालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, 1998 -99; भारत-त्रिनिदाद और टोबैगो संसदीय मैत्री समूह (जुलाई 2010 से) के सदस्य रह चुके हैं। उनकी शतरंज में भी काफी दिलचस्पी थी।
चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था
राज नारायण और जयप्रकाश नारायण के पद चिन्हों पर चलने वाले पासवान इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए थे, 1975 में इमरजेंसी के दौरान 2 साल जेल में भी रहे थे। जेल से छूटने के बाद पासवान जनता पार्टी के सदस्य बने और संसदीय चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे। इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस सरकार से लड़ने से लेकर अगले पांच दशकों तक पासवान कई बार कांग्रेस के साथ, तो कभी खिलाफ चुनाव लड़ते रहे और जीतते रहे। 1977 के लोकसभा चुनाव में ही हाजीपुर सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े पासवान ने चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। इसके बाद 2014 तक उन्होंने आठ बार आम चुनावों में जीत हासिल की। फिलहाल वे राज्यसभा के सदस्य थे।
6 बार बनें कैबिनेट मंत्री
2015 29 जनवरी 2015 को वे सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य बने। 2014 वे 16वीं लोकसभा (9वें कार्यकाल) में फिर से चुने गए। उन्हें नरेंद्र मोदी की केंद्रीय कैबिनेट में बतौर मंत्री शामिल किया गया और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। 2013 वे राज्यसभा की नियम समिति के सदस्य चुने गये। 2011 सदस्य, परामर्शदात्री समिति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय 2010 जुलाई 2010-मई 2014 के बीच वे राज्य सभा के सदस्य रहे।
एनडीए से पहले नाता तोड़ा फिर जोड़ा
रामविलास पासवान ने 2002 के गोधरा दंगों के बाद तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी वाली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर एनडीए गठबंधन का दामन छोड़ दिया था। इसके बाद पासवान कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में शामिल हुए और मनमोहन सिंह कैबिनेट में दो बार मंत्री रहे। हालांकि, 2014 तक पासवान एक बार फिर यूपीए का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। 2014 और फिर 2019 में बनी नरेंद्र मोदी की दोनों सरकारों में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में अहम मंत्रालय दिए गए।