राम मंदिर: भूमि पूजन के सीधे प्रसारण पर वामपंथियों को ऐतराज, कर दी यह बड़ी मांग
नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट से सात दशकों के बाद अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद अब राम मंदिर के निर्माण को लेकर जबर्दस्त राजनीति शुरू हो गई है। इस कार्यक्रम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से एक याचिका खारिज होने के बाद अब लेफ्ट ने भूमि पूजन समारोह के दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण को लेकर सख्त आपत्ति जता दी है। पार्टी के एक सांसद ने केंद्र सरकार को खत लिखकर देश की एकता-अखंडता और धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की दुहाई देते हुए सीधा प्रसारण रोकने की मांग की है। पार्टी की दलील है कि राम मंदिर मसले को लेकर देश में दशकों तक विवाद रहा है, इसलिए इस तरह के प्रसारण को हर हाल में रोका जाना चाहिए। दूसरी तरफ श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने लेफ्ट की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है।
भूमि पूजन के सीधे प्रसारण पर लेफ्ट का अड़ंगा
5 अगस्त को अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधारशिला कार्यक्रमों के दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण के खिलाफ सीपीआई ने मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने केंद्र सरकार को खत लिखकर इस कार्यक्रम के डीडी पर लाइव दिखाए जाने का विरोध किया है और इसे हर हाल में रोकने की मांग की है। सोमवार को केंद्र सरकार को लिखे खत में पार्टी ने कहा है कि अयोध्या में आयोजित हो रहे धार्मिक कार्यक्रम का दूरदर्शन जैसे मंच पर सीधा प्रसारण करना राष्ट्रीय अखंडता के तय मानदंडों के खिलाफ है। यही नहीं पार्टी ने प्रसारण रोकने के लिए यह भी दलील दी है कि अयोध्या में मंदिर का मामला लंबे वक्त तक विवाद का विषय रहा है इसलिए आधारशिला कार्यक्रम का प्रसारण टाला जाना चाहिए।
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सीपीआई ने दी बाबरी ढांचा गिराए जाने की दलील
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय को लिखी चिट्ठी में सीपीआई सांसद बिनॉय विस्वम ने कहा है, '1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसके बाद दशकों तक राम जन्मभूमि को लेकर अयोध्या में लगने वाले जमावड़ों के चलते देश में संघर्ष और मतभेद रहा है।......जिस प्रसार भारती ऐक्ट से दूरदर्शन संचालित होता है, उसके सेक्शन 12 2(ए) में स्पष्ट है कि इसका उद्देश्य 'संविधान में निहित मूल्यों के मुताबिक देश की एकता और अखंडता को कायम रखना है।' ' इतना ही नहीं लेफ्ट की इस चिट्टी में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि 'देश के एक नेशनल ब्रॉडकास्टर के रूप में जो धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक सद्भाव के सिद्धांतों पर स्थापित है, 5 अगस्त को अयोध्या में धार्मिक कार्यक्रम के लिए दूरदर्शन का इस्तेमाल राष्ट्रीय एकता के स्वीकार्य मानदंडों के विपरीत है।'
हर हाल में रुके डीडी पर प्रसारण- लेफ्ट
सीपीआई सांसद की ओर से लिखी गई इस चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि अयोध्या में उस जमीन पर विवाद के इतिहास को देखते हुए सरकार को उस धार्मिक कार्यक्रम के राजनीतिकरण करने से बचना चाहिए, ताकि देश के धर्मनिरपेक्ष छवि से कोई समझौता न होने पाए। खत के अंत में बिनॉय विस्वम ने लिखा है, 'सरकार के एक हिस्से के द्वारा संचालित होने वाले ब्रॉडकास्टिंग चैनल होने के नाते, अयोध्या में होने वाले धार्मिक कार्यक्रम के लिए दूरदर्शन का इस्तेमाल निश्चित तौर पर रोका जाना चाहिए।' गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से अयोध्या में जन्मभूमि की जमीन से जुड़ा सारा विवाद हमेशा-हमेशा के लिए अब खत्म हो चुका है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का पलटवार
इस बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य और 1989 में राम मंदिर परिसर में राम मंदिर का शिलान्यास करने वाले कामेश्वर चौपाल ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को खत लिखने के लिए सीपीआई पर जोरदार पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि लेफ्ट देश में अपनी राजनीतिक जमीन खो चुका है और चीन के उनके नेताओं को भी भारत में अपनी दुकानें बंद करनी पड़ रही हैं। उन्होंने सीपीआई के खत के बारे में कहा कि, 'जब किसी के पास करने के लिए कुछ नहीं होता तब वो अक्सर इसी तरह के बेकार के दावे और मांग करते हैं। '